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पंजाब में कांग्रेस के लिए एक कड़ा फैसला साबित हुआ ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ अब फिर चर्चा में है. आज इस ऑपरेशन की 35वीं बरसी है. इस अवसर पर पंजाब में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं तो वहीं कई जगह तनाव बढ़ने और झड़पों तक की खबरें सामने आई है. वहीं अमृतसर में स्वर्ण मंदिर हरमिंदर साहिब में तो पुलिस की मौजुदगी में तलवारें लहराई गई और सरे आम खालिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगे. इसी बीच शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की उचित जांच की मांग की है.

गुरूवार को ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की 35वीं बरसी के मौके पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है. दिल्ली में नॉर्थ ब्लॉक में हुई इस मुलाकात में सुखबीर बादल ने शाह से ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की उचित जांच की मांग की है. बता दें कि इससे पहले दिल्ली गुरुद्वारा सिख मैनेजमेंट कमेटी ने भी पूरे ऑपरेशन की जांच की मांग की थी. अब फिर से यह मांग उठने के बाद ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चर्चा में रहने वाला है.

इसके अलावा दिल्ली गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने दो दिन पहले ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की गहन जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग की थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मानवता के सबसे पवित्र स्थान श्री दरबार साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब हमले के 35 वर्षों के बाद भी भारत सरकार ने सिखों से माफी नहीं मांगी है. सिरसा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अगुवाई में विशेष जांच दल का गठन कर इस बर्बर कांड ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की जांच की जानी चाहिए.

साथ ही मनजिंदर सिरसा ने कहा कि ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की जांच करवाई जानी बेहद जरूरी है ताकि इस पूरे घटनाक्रम के वो तख्य उजागर हो सकें जो आरोपों-प्रत्योरोपों के भंवर में दब कर रह गए. उन्होंने कहा कि शुक्रवार 7 जून को डीएसजीपीसी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, तख्त श्री पटना साहिब और तख्त श्री हजूर साहिब के प्रतिनिधि राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे और जहां वे ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की उचित जांच कराने के लिए एसआइटी गठित करने की मांग करने वाले हैं.

गौरतलब है कि तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के आदेश के बाद 6 जून 1984 को पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार किया गया. भारतीय सेना के इस मिशन में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को बब्बर खालसा समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके साथियों से मुक्त करवाना था. इस दौरान हुए गोलीकांड में सैंकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. आजाद हिन्दूस्तान के इतिहास में यह ऑपरेशन एक बड़ी खूनी लड़ाई के रूप में दर्ज है. इसके बाद सूबे में कानून व्यवस्था बिगड़ी थी. गुरूवार को इसकी 35वीं बरसी के अवसर पर प्रदेशभर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं.

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