Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में आज गहलोत सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के 2 वर्ष पूरे कर लिए हैं. बात करें अशोक गहलोत के पिछले 2 कार्यकालों की तो इस बार के तीसरे कार्यकाल में शुरुआती 2 सालों में गहलोत सरकार को सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. 10 महीने से कोरोना महामारी, 34 दिन की सियासी बाड़ाबंदी और लगभग 8 महीने की चुनाव आचार संहिता के साथ प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने अपने 2 साल पूरे कर लिए हैं. लेकिन इन सारी चुनौतियों के बावजूद गहलोत सरकार का दावा है कि इन 2 वर्षों में हमने चुनावी घोषणा पत्र के 50% से ज्यादा वादे पूरे कर दिए हैं.
किसान और रोजगार के वादों के जरिए सत्ता में आई कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में 501 बिंदू थे. इनमें से गहलोत सरकार ने 252 से अधिक वादे पूरे कर दिए हैं जबकि 173 घोषणाओं को लेकर काम जारी है. राजस्थान में गहलोत सरकार ने रिफाइनरी और मेट्रो प्रोजेक्ट को फिर से नई गति दी है तो वहीं कोविड की चुनौती को निरोगी राजस्थान जैसी अभिनव योजना के जरिए अवसर में भी बदला है. इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि केंद्र से मदद नहीं मिलने के बावजूद राजस्थान के विकास की रफ्तार अपनी जगह बदस्तूर रही है. वहीं, इस कोरोना जैसी महामारी से निपटने में राजस्थान देश दुनिया के लिए एक नजीर बना है.
प्रदेश में कोरोना के चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार के 2 साल पूरे होने पर बड़े स्तर पर कोई आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है. बल्कि सीएम गहलोत ने अपने सभी मंत्रियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी हैं. खासतौर पर सभी मंत्री जिलों में जाकर जनता के समक्ष सरकार का रिपोर्ट कार्ड रखेंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी 18 दिसंबर को 2 दर्जन से अधिक नई योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास कर सकते हैं. इसी दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस वार्ता भी होगी और जनता के समक्ष विजन डॉक्यूमेंट भी रखा जाएगा.
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गहलोत सरकार के दूसरे साल में जिस तरह से कोरोना की चुनौती के बावजूद विकास कार्यों की रफ्तार बरकरार है निश्चित तौर पर जनता ने निकाय चुनाव में उसी पर ही मोहर लगाई है. अगर सरकार के 2 साल के कामकाज को देखें तो कई उतार चढ़ाव भी देखने को मिले हैं. एक तरफ गहलोत सरकार ने कोरोना में कुशल प्रबंधन के जरिए देश के समक्ष एक नजीर पेश की तो वहीं बीते साल में सरकार को सियासी संकट का भी सामना करना पड़ा.
सरकार के इस दो साल के कार्यकाल के दौरान ग्राम पंचायतों, नगर निगम, पंचाय़त और स्थानीय निकाय चुनावों की आचार संहिता और कोरोना संकट के कारण प्रभावित रहा. इसके बावजूद गहलोत सरकार दो साल में अपने जनघोषणा पत्र में किए गए वादों में से आधे से ज्यादा वादे पूरे कर चुकी है. इसके पीछे बड़ी वजह है कि सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को सरकार बनते ही उसे सरकारी दस्तावेज बनाकर उसे जनघोषणा पत्र का नाम दिया.
दरअसल विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सरकार के मंत्रिमंडल का गठन 24 दिसंबर को हुआ था. इसी दिन गहलोत कैबिनेट की पहली बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. खासतौर किसानों की कर्ज माफी का बड़ा फैसला लिया गया. इसके अलावा युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देना हो नई नौकरियों का रास्ता खोलना हो प्रदेश में मेट्रो रिफाइनरी जैसे रुके हुए प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करना हो या फिर निरोगी राजस्थान जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण योजना को अमलीजामा पहनाना हो सरकार ने इन 2 सालों में ऐसे न जाने कितने अहम फैसले लिए हैं, जिनसे जनता को सीधा लाभ पहुंचा है.
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ये रहीं सरकार की प्रमुख उपलब्धियां
- सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों का ऋण माफ किया.
- 20.50 लाख किसानों के 7692 करोड़ रुपए के अल्पकालीन फसली ऋण माफ किए.
- 28016 सीमांत एवं लघु किसानों के 290 करोड रुपए के मध्यकालीन व दीर्घकालीन कृषि ऋण माफ किए.
- वृद्ध किसानों को पेंशन उपलब्ध कराई गई.
- किसानों को कृषि कार्य के लिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए आसान दर पर गुणवत्ता युक्त बिजली उपलब्ध कराई.
- राज्य की सभी 144 मंडियों को इनाम पोर्टल से जोड़ा गया.
- हस्तशिल्प और हथकरघा निदेशालय का गठन.
- राजीव गांधी सेवा केंद्रों कोई लाइब्रेरी से जोड़ा.
- पंचायती राज चुनाव में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की शर्त को हटाया.
- प्रदेश में नई शिक्षा नीति बनाने की दिशा में काम.
- बंद किए गए 20000 स्कूलों की समीक्षा कर नए सिरे से खोले गए.
- राज्य की सभी पंचायत समितियों में बालिका छात्रावास बनाए गए.
- मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना में कैंसर, हृदय, सांस, गुर्दा रोग की दवाइयों को शामिल कर निःशुल्क दवाइयों की संख्या 607 से बढ़ाकर 709 की गई.
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 28 लाख बीपीएल के 1.17 करोड़ स्टेट बीपीएल के 29 लाख यानी कुल 1 करोड़ 74 लाख लाभार्थियों को एक मार्च 2019 से 1 प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं वितरण.
- 1114 किलोमीटर लंबाई से 330 गांवों को सड़कों से जोड़ा.
- राज्य की नई राजस्थान पर्यटन नीति बनीं, 100 करोड रुपए के पर्यटन विकास कोष का गठन.
- महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य में 24/ 7 महिला हेल्पलाइन.
जहां अशोक गहलोत सरकार ने ये वादे पूरे कर दिए हैं तो वहीं विभिन्न विभागों की लंबित भर्तियों का मामला, 75 हजार भर्तियां हर साल करने का वादा और जवाबदेही कानून जैसे मामले अभी अटके पड़े हैं. इसके अलावा राजस्थान के लगभग दो लाख संविदा कर्मियों को स्थाई करने का वादा भी अभी पूरा नहीं हुआ है.
इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि कोरोना काल में सरकार के कामकाज पर असर पड़ा है. केंद्र से मिलने वाली मदद में आई कमी और नागरिकों के जीवन बचाने को लेकर जुटाए गए संसाधनों की वजह से कई सारी योजनाओं को सरकार चाहकर भी अमलीजामा नहीं पहना सकी है. कोरोना के अलावा सरकार के समक्ष इस साल सियासी संकट भी एक बड़ी चुनौती रहा. कोरोना काल के बीच ही सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान सरकार बचाने को लेकर मंत्री विधायकों को 34 दिन बाड़ाबंदी में रहना पड़ा. पहले जयपुर और उसके बाद जैसलमेर में विधायकों और मंत्रियों की बाड़ाबंदी हुई, लेकिन इन सबके बावजूद सरकार ने जिस तरीके से 50 फ़ीसदी से अधिक घोषणाओं को लागू करने का साहस दिखाया है और आने वाले समय का रोड में भी तैयार किया है.
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इतनी सारी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सियासी चुनौतियों के बीच चुनावी घोषणा पत्र के 50% से ज्यादा वादे पूरे करते हुए 2 साल का सफलतम कार्यकाल पूरा करने के लिए गहलोत सरकार बधाई की पात्र है. जनता ने निकाय चुनाव में सरकार पर भरोसा व्यक्त किया है ऐसे में सरकार चाहेगी कि 2 साल के अवसर पर कई नई सौगातें जनता को दी जाए ताकि अगले साल आने वाली उपचुनाव की चुनौती के लिए पूरी तैयारी से मैदान में उतरा उतरा जा सके.
पॉलिटॉक्स परिवार की तरफ से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मंत्रीमंडल के सदस्यों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बधाई.