Politalks.News/UP/SP. उत्तर प्रदेश में 2017 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद लग रहा था कि यूपी में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो चुका है. इसके बाद जब प्रियंका गांधी ने यूपी कांग्रेस की कमान संभाली, लगने लगा अब कांग्रेस के पुराने दिन लौटने लगे हैं. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद प्रियंका गांधी जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में जुटी हैं. वे अपने काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं लेकिन लगातार कांग्रेस नेताओं के अन्य राजनीतिक पार्टियों का जाने के सिलसिले को रोक पाने में नाकामयाब रही हैं जिससे उनके मिशन यूपी (Mission UP) को झटके पर झटके लग रहे हैं. यूपी में गैर बीजेपी नेताओं की राजनीतिक ठोर के तौर पर समाजवादी पार्टी पहली पसंद बनती जा रही है. हालिया वक्त में दर्जनभर कांग्रेसी नेता हाथ का साथ छोड़ अखिलेश यादव की साइकिल की सवारी करने निकल पड़े हैं. इनमें राहुल गांधी के करीबी रहीं अन्नू टंडन और यूपी कांग्रेस संपर्क समिति के बालकुमार पटेल भी शामिल हैं.
लगातार कांग्रेस और बसपा के पूर्व सांसद और विधायकों के सपा में शामिल होने से समाजवार्दी पार्टी पहले से काफी मजबूत होते दिख रही है. चूंकि अब यूपी चुनावों में डेढ़ साल का वक्त शेष है, ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव संगठन को मजबूती देने में लगे हैं. यहां तक की वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में खुद शामिल करा रहे हैं. वहीं प्रियंका गांधी को यूपी में योगी की टक्कर का चेहरा माना जाने लगा था लेकिन उनकी टीम के विकेट गिरते दिख रहे हैं. सपा की बढ़ती ताकत से बसपा की मायावती भी थोड़ी चिन्चित दिखाई दे रही हैं, वहीं थोड़ी सी फिक्र तो सीएम योगी आदित्यनाथ को भी होने लगी है.
बीते कुछ दिनों में उन्नाव की पूर्व सांसद अन्नू टंडन, मिर्जापुर के पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, सीतापुर की पूर्व सांसद कैसर जहां, अलीगढ़ के पूर्व सांसद विजेन्द्र सिंह, पूर्व मंत्री चौधरी लियाकत, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, पूर्व विधायक जासमीन अंसारी, अंकित परिहार और सोनभद्र के रमेश राही जैसे दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़कर सपा का दामन थामा है. बदायूं से पांच बार के सांसद सलीम शेरवानी भी सपा के साथ जुड़ चुके हैं और अखिलेश यादव से उनकी नजदीकियां बढ़ती जा रही है. बसपा के भी कुछ नेताओं के सपा से जुड़ने की खबर है.
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जैसा कि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अताउर रहमान का कहना है, ‘उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर साफ है कि बीजेपी का विकल्प सिर्फ सपा है. यही वजह है कि कांग्रेस ही नहीं बल्कि बसपा के भी बड़े नेता सपा में शामिल हो रहे हैं. सपा को मजबूत करने वाले हर नेता के लिए अखिलेश यादव ने पार्टी के दरवाजे खोल दिए हैं और लगातार जॉइनिंग हो रही है. 2022 की सीधी लड़ाई योगी बनाम अखिलेश की होगी. मायावती बीजेपी की बी-टीम बन चुकी हैं. ऐसे में सपा ही यूपी के लिए मजबूत विकल्प है और सूबे के लोग अखिलेश यादव के विकास कार्यों को देख चुके हैं.’
सपा में शामिल होने वाले नेताओं की फेहरिस्त में अन्नू टंडन और बालकुमार पटेल भी शामिल हैं. राहुल गांधी की करीब रहीं अन्नू टंडन अब अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है और उनकी रणनीति को तैयार करने में जुटी हुई हैं. यूपी कांग्रेस संपर्क समिति में नामित बालकुमार पटेल भी अखिलेश यादव के पास चले गए हैं. उन्हें सितम्बर में समिति में नामित किया गया था. बालकुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं और उनकी समुदाय में पकड़ है. ऐसे में कुर्मी समुदाय को साधने में सपा सफल होती दिख रही है. जिस तरह कांग्रेस छोड़ नेता सपा में जा रहे हैं, उसके चलते पार्टी के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है.
इधर, केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके सलीम शेरवानी भी अखिलेश यादव से हाथ मिला चुके हैं. शेरवानी ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया था, लेकिन 90 के दशक में सपा में शामिल हो गए. 2009 में सपा छोड़कर फिर कांग्रेस में वापसी की और तीन चुनाव लड़े. अब फिर अखिलेश की साइकिल पर सवार होकर पार्टी को मजबूत करने में जुट गए हैं. सपा में वापसी करने के लिए अखिलेश के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं. अखिलेश की हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बगल में वो बैठे दिखते हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि सपा उन्हें मुस्लिम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ा रही है.
सपा का मुस्लिम चेहरा रहे आजम खान और उनके बेटे इस समय जेल में हैं. आजम खान की छवि कट्टर मुस्लिम नेता के तौर पर रही है. जिस तरह बीजेपी हिंदुत्व कार्ड खुलकर खेल रही है, उसके चलते सपा हार्डकोर मुस्लिम राजनीति को अब खुलकर खेलने से बच रही है. लेकिन सलीम शेरवानी की छवि साफ सुथरी है और इमेज हार्डकोर मुस्लिम नेता की नहीं रहने के चलते उन्हें मुस्लिम मतों को साधने वाला दांव कहा जा सकता है. शेरवानी के जरिए कांग्रेस के परम्परागत मुस्लिम वोटर्स को अपने पाले में लाने का ये दांव काम कर सकता है.
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कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल होने वाले नेताओं को लेकर यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू थोड़ा परेशान जरुर हैं लेकिन संघर्ष कर रह हैं. उनका मानना है कि पार्टी का साथ वही नेता छोड़कर गए हैं, जो सिर्फ चुनाव लड़ने के मकसद से कांग्रेस में आए थे. कांग्रेस के पुराने और वफादार नेता पार्टी के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं और मेहनत कर रहे हैं. कांग्रेस पिछले 30 साल में पहली बार जमीन पर संगठन को ग्राम स्तर पर खड़ा किया गया है और हर एक मुद्दे पर हमारी पार्टी ने मुखर होकर संघर्ष किया है. लल्लू ने ये भी कहा कि कांग्रेस को सूबे में सिर्फ चुनाव लड़ने वाले नेता की नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर संघर्ष करने वाले नेताओं की जरूरत हैं.
कांग्रेस चाहें कुछ भी कह ले लेकिन सच यही है कि कांग्रेस से सपा में जाने वाले नेताओं का प्रस्थान रुकने का नाम नहीं ले रहा. हर दिन कई दिग्गज नेताओं का साइकिल की सवारी करना जारी है और प्रियंका ने इस बात पर नाराजगी भी जताई है. अखिलेश यादव जिस तरह से खुले मन से कांग्रेस नेताओं को पार्टी में जगह दे रहे हैं, उससे तो दूर दूर तक नहीं लगता कि कांग्रेस विधानसभा चुनावों में सपा के साथ जंगी मैदान में उतरेगी. हालांकि ‘मिशन यूपी’ को लग रहे झटकों से उबरते हुए प्रियंका गांधी लगातार ग्राम स्तर पर पार्टी को मजबूती देने में अनवरत लगी हुई है.