कांग्रेस शासित प्रदेशों में सोनिया गांधी का फरमान ‘कृषि कानूनों को कर दें रद्दी की टोकरी के हवाले’

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को 'कृषि विरोधी' विधानों को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करने की सलाह, संविधान में मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर अपने राज्यों में नया कानून बनाने को कहा

Sonia Gandhi
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Politalks.News/Bharat. किसानों से संबंधित कृषि कानूनों में देशभर में उठे बवाल के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandi) ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह देते हुए कृषि कानूनों को रद्दी की टोकरी के हवाले करने की बात कही है. सोनिया गांधी ने पार्टी शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा कि वे केंद्र सरकार के ‘कृषि विरोधी’ विधानों को निष्प्रभावी करने के लिए अपने यहां कानून पारित करने की संभावना पर विचार करें, साथ ही संसद में हाल में पारित कृषि संबंधी कानून को बेअसर करने के लिए संविधान में मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर अपने राज्यों में नया कानून बनायें. सोनिया ने कहा कि नया विधेयक मोदी के विधेयक की खामियां दूर करेगा और किसानों को न्याय दिलाएगा.

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करें. बता दें, अनुच्छेद 254 (2) राज्य विधानसभाओं को यह अनुमति प्रदान करता है कि वे केंद्र के ऐसे किसी कानून को नकारने वाला कानून बनाने की शक्ति देता है जो संविधान में दिए गए राज्य के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण करते हैं. यह अनुच्छेद राज्यों को संसद द्वारा पारित इन तीनों कृषि कानूनों के अस्वीकार्य करने का अधिकार प्रदान करता है.

वेणुगोपाल ने अपने बयान में कहा कि अनुच्छेद 254 (2) इन ‘कृषि विरोधी एवं राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने वाले’ केंद्रीय कानूनों को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य विधानसभाओं को कानून पारित करने का अधिकार देता है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सोनिया ने कांग्रेस शासित प्रदेशों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत कानून पारित करने के संदर्भ में गौर करने की सलाह दी है और विधानसभा से कानून पारित करने को कहा है.

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वेणुगोपाल ने दावा किया कि राज्य के इस कदम से कृषि संबंधी तीन कानूनों के अस्वीकार्य एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जा सकेगा. इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने और कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को बाधित करने का प्रावधान शामिल है. उल्लेखनीय है कि वर्तमान में पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारें हैं. महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है. कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि कांग्रेस शासित प्रदेशों की ओर से कानून पारित करने के बाद वहां किसानों को उस घोर अन्याय से मुक्ति मिलेगी जो मोदी सरकार और भाजपा ने उनके साथ किया है.

गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न मानसून सत्र में संसद ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी. विधेयकों पर भारी विरोध और विपक्ष के अनुग्रह के बावजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को इन विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसके बाद ये कानून बन गए.

इसके बाद देशभर में इन कानूनों पर किसान और कृषक संगठनों ने आंदोलन शुरु कर दिया है. पंजाब, हरियाणा और यूपी में सबसे अधिक विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. अन्य राज्यों में भी सांकेतिक तौर पर कृषि कानूनों का विरोध किया जा रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तो खुद ही केंद्र सरकार के इन कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे थे.

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अब कांग्रेस शासित राज्य ऐसे रास्ते तलाश कर रहे हैं कि केंद्र के कानून के स्थान पर अपना विधेयक किसे लाया जाए तथा अपनी विधान सभाओं में इसे पारित कराया जाए. अगर ये तरीका कारगर होता है तो अन्य पार्टियों द्वारा शासित प्रदेशों के लिए भी केंद्र के कृषि कानून से बचने की राह प्रशस्त होगी.

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