देश में 17वीं लोकसभा के चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. एक ओर राजनीतिक दल उम्मीदवारों को चयन के लिए माथापच्ची कर रहे हैं तो दूसरी ओर दलबदल का दौर तेज हो गया है. इस गहमागहमी के बीच बड़े राजनीतिक दल स्थानीय स्तर पर समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए छोटे दलों से गठबंधन करने की कवायद में जुटे हैं.
सीटों की संख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा अलग-अलग इलाकों में असर रखने वाले छोटे दलों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. कई छोटे दल बड़े दलों की गोदी में बैठ चुके हैं और कई ऐसा करने के लिए सियासी मोलभाव कर रहे हैं जबकि कुछ अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
सपा-बसपा संग रालोद
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह का राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने इस बार सपा-बसपा के गठबंधन में शामिल हैं. अजीत सिंह ने मुस्लिम, जाट, गुर्जर और राजपूत गठजोड़ यानी ‘मजगर’ के बूते अपनी राजनीति को चमकाया, लेकिन राज्य में सपा और बसपा की मजबूती से मुस्लिम वोट उनसे छिटक गए. 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में लोकदल का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में 277 उम्मीदवार उतारे थे मगर छपरौली सीट ही बच सकी. हालांकि उप चुनाव में सपा से समझौते के बाद लोकसभा में पार्टी का एक सांसद पहुंच गया.
असमंजस में पीएसपी
शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व वाली प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी) अभी लोकसभा चुनावों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो उनकी बड़े राजनीतिक दलों के साथ कई छोटे दलों से भी गठबंधन को लेकर वार्ता निर्णायक स्थिति में है. जल्द ही इसकी तस्वीर साफ हो जाएगी. शिवपाल सिंह यादव की पार्टी की गठबंधन के लिए कांग्रेस के साथ पिछले कई दिनों से चर्चा चल रही है, लेकिन अभी तक बात बनी नहीं है. यादव का दावा है कि अब उनकी पार्टी 79 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी. केवल मैनपुरी सीट पर अपना प्रत्याशी देने के बजाए मुलायम सिंह यादव का समर्थन करेगी.
भाजपा के साथ अपना दल (एस)
अपना दल (एस) एनडीए सरकार का घटक दल है. पार्टी की संयोजक अनुप्रिया पटेल केंद्रीय मंत्री हैं. उत्तर प्रदेश सरकार में भी अपना दल (एस) के मंत्री हैं. हालांकि अनुप्रिया पिछले कुछ दिनों से भाजपा से नाराज सी थीं, लेकिन बोर्ड और निगमों में पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोनयन के बाद उनकी नाराजगी दूर हो गई है. इस बार भी अनुप्रिया पटेल की पार्टी उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर चुनाव लड़ेगा. अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से चुनाव लड़ेंगी और दूसरी सीट पर दोनों दलों के नेता बैठकर चर्चा करेंगे. अपना दल (एस) को मिर्जापुर सीट देने के बाद विकल्प के रूप में प्रतापगढ़, रॉबर्ट्सगंज, फूलपुर, डुमरियागंज या प्रयागराज में से किसी एक को रखा गया है.
अपना दल को हाथ का साथ
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के अपना दल (एस) के भाजपा के साथ तालमेल को अंतिम रूप देने के एक दिन बाद उनकी मां कृष्णा पटेल की अगुवाई वाले अपना दल ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया. गठबंधन के तहत कांग्रेस ने अपना दल को दो सीटें- गोंडा और बस्ती दी हैं, हालांकि अपना दल फूलपुर सीट की भी मांग कर रहा है. बता दें कि फूलपुर अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की कर्मस्थली है. यह धड़ा दावा करता है कि उनकी पार्टी ही सोनेलाल पटेल द्वारा गठित मूल पार्टी है और उसे पटेल एवं दूसरे पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल है.
भाजपा से सुलह की ओर भाएसपी
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (भाएसपी) उत्तर प्रदेश में बीजेपी का सहयोगी दल है. हालांकि सरकार में शामिल होने के बाद भी भाएसपी अध्यक्ष लगातार सरकार की कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगाते रहे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि उनकी पार्टी के बीजेपी से मतभेद खत्म हो गए हैं. लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने पांच सीटें मांगी हैं. हालांकि अभी सीटों का बंटवारा तय नहीं हुआ है.
अपने बूते मैदान में जनसत्ता दल
जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) बनाने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं. राजा भैया ने कौशांबी से शैलेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया है. शैलेंद्र कुमार तीन बार सांसद और तीन बार विधायक रह चुके हैं. वहीं, प्रतापगढ़ से पूर्व सांसद और वर्तमान एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह मैदान में हैं. राजा भैया फतेहपुर, हमीरपुर, गाजियाबाद समेत बीस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
भाजपा के भरोसे आरपीआई
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का घटक दल है. इसका आधार महाराष्ट्र में है, लेकिन अब इसने उत्तर प्रदेश में भी अपनी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है. इसी के मद्देनजर पार्टी ने यहां संगठन को विस्तार भी दिया है. लखनऊ दौरे पर आए आरपीआई के अध्यक्ष रामदास अठावले ने कहा था कि उन्होंने भाजपा से उत्तर प्रदेश में सीटें मांगी हैं. भाजपा सीटें नहीं देती है तो भी उनकी पार्टी उन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जहां प्रभाव है.
और भी हैं कतार में…
प्रदेश के अन्य छोटे दल भी किसी न किसी के साथ चुनावी गठजोड़ की कवायद में जुटे हैं. पीस पार्टी ने तीन अन्य दलों राष्ट्रीय क्रांति पार्टी, वंचित समाज पार्टी और जयहिंद पार्टी के साथ नैशनल प्रोग्रेसिव अलाइंस का गठन किया है. महान दल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुका है. साथ ही आम आदमी पार्टी, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी (पीएमएसपी) और इत्तेहाद-ए-मिल्लत कौंसिल (आइइएमसी), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) जैसे दल भी गठबंधन की कोशिश में जुटे हैं.