क्रिकेट और राजनीति का रिश्ता काफी पुराना है. कई दिग्गज़ खिलाड़ियों ने क्रिकेट में कीर्तिमान स्थापित करने के बाद राजनीति की पिच पर भी अपना जौहर दिखाया है. वहीं कुछ दिग्गज़ इस सियासी पिच पर फिसड्डी साबित हुए. पॉलिटॉक्स की इस खास रिपोर्ट में उन क्रिकेट खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने क्रिकेट में अपना लोहा मनवाने के बाद अपना भाग्य राजनीति में आजमाया है…
नवजोत सिंह सिद्धू:
हमारी इस लिस्ट में पहला नाम है नवजोत सिंह सिद्धू का. क्रिकेट में अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के दम पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति के पिच पर भी विपक्ष दलों की हर बॉल पर छक्का लगाया है. सिद्धू ने अपनी राजनीति की पारी की शुरुआत बीजेपी के साथ की. वो 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. राजनीति के मैदान में सिद्धू क्रिकेट की तरह ऐसे जमे कि वो यहां से लगातार तीन बार सांसद चुने गए. 2014 में उनका टिकट काट दिया गया और उनकी जगह अमृतसर से अरुण जेटली को उम्मीदवार बनाया गया. हालांकि जेटली को हार का सामना करना पड़ा. पार्टी से असंतुष्ट नवजोत ने पहले तो आवाज-ए-पंजाब पार्टी का गठन किया लेकिन बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया. सिद्धू वर्तमान में पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के रुप में कार्यरत हैं.
कीर्ति आजादः
कीर्ति आजाद 1983 की विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा रह चुके हैं. कीर्ति के पिता भगवत आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे. पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए कीर्ति राजनीति में आए और 1999 में बीजेपी के टिकट पर बिहार की दरभंगा सीट से सांसद चुने गए. हालांकि 2004 में उनको हार का सामना करना पड़ा लेकिन 2009 और 2014 में कीर्ति ने फिर से जीत हासिल की. 2016 में उन्हें अनुशासनहीनता के कारण पार्टी से निलंबित किया गया. इसके बाद वो कांग्रेस से जुड़े और झारखंड की धनबाद सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें इस बार हार का सामना करना पड़ा है.
मोहम्मद अजहरुद्दीनः
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने क्रिकेट के बाद राजनीति की पिच पर भी भाग्य आजमाया है. मैच फिक्सिंग प्रकरण के चलते 2001 में उनके क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद उन्होंने 2009 में राजनीति की पिच पर उतरने के कांग्रेस का सहारा लिया. पार्टी ने उन्हें यूपी की मुरादाबाद सीट से प्रत्याशी बनाया, जहां उन्होंने जीत हासिल की. 2014 में उन्हें राजस्थान की टोंक-सवाईमोधापुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
चेतन चौहानः
क्रिकेट में अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवा चुके चेतन चौहान ने राजनीति में कई बार विपक्षी उम्मीदवारों के डंडे उडाए. वो बीजेपी के टिकट पर यूपी की अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद चुने गए. वर्तमान में योगी सरकार में युवा एवं खेल मंत्रालय के मंत्री हैं.
गौतम गंभीरः
2011 में क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम के सदस्य रहे गौतम गंभीर ने हाल ही में सियासी पिच पर कदम रखा और बीजेपी के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा. यहां उन्होंने आम आदमी पार्टी की आतिशी को बड़े अंतर से मात दी और राजनीति में सफल शुरूआत की. अपनी बेबाक छवि के चलते उनका राजनीति करियर लंबा जाने की पूरी उम्मीद है.
मौहम्मद कैफः
टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी मोहम्मद कैफ ने सियासी पिच पर कदम तो रखा लेकिन विफल साबित हुए. 2014 के लोकसभा चुनाव में कैफ कांग्रेस के टिकट पर यूपी की फुलपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे. यहां उनको बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य से हार का सामना करना पड़ा था. इस हार के साथ ही कैफ राजनीति से दूर हो गए.
विनोद कांबलीः
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व खिलाड़ी और सचिन तेंदुलकर के बचपन के दोस्त विनोद कांबली ने भी राजनीति में अपने हाथ आजमाए हैं. उन्होंने 2009 में लोक भारती पार्टी की तरफ से महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन करारी हार का सामना करना पड़ा.
मनोज प्रभाकरः
टीम इंडिया के पूर्व ऑल-राउंडर मनोज प्रभाकर भी राजनीति में सफल नहीं हो पाए. 1996 में मनोज प्रभाकर ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस के टिकट पर साउथ दिल्ली से चुनावी मैदान में उतरे. हालांकि जीत उनसे कोसो दूर रह गयी.