Politalks.news/Bihar. जदयू सरकार में मंत्री रहे श्याम रजक आज लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए. तेजस्वी यादव ने श्याम रजक को पार्टी की सदस्यता दिलाई. रजक की 10 साल बाद फिर में राजद में वापसी हुई है. श्याम रजक किसी समय में लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी समझे जाते थे. इसी प्रकार राजद के निष्कासित विधायक प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव के साथ अशोक कुशवाहा ने जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली और नीतीश की पार्टी में शामिल हो गए. पार्टी में शामिल होने के बाद सभी नेताओं ने पिछली पार्टियों पर गंभीर आरोप लगाए. इधर, महागठबंधन के सदस्य रहे जितिनराम मांझी ने श्याम रजक पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने सत्ता भोग ली और अंतिम समय पर कुछ भी कहकर निकल गए.
गौतरलब है कि जदयू ने श्याम रजक को सोमवार को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया. इधर, रविवार शाम राजद ने इसी तरह के आरोप में दोषी मानते हुए प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव और फराज फातमी सहित तीनों विधायकों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया. सुबह श्याम रजक राजद में तो शाम को विधायक प्रेमा चौधरी और विधायक महेश्वर यादव सहित विधायक अशोक कुशवाहा भी जदयू में शामिल हो गए. तीनों विधायकों को नीरज कुमार, श्रवण कुमार और विजेंद्र यादव की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता दी गई. विधायक फराज फातमी भी एक दो दिनों में जदयू में शामिल हो जाएंगी.
इस मौके पर पांच बार विधायक रह चुके महेश्वर यादव ने राजद को पारिवारिक पार्टी कहते हुए पूंजीपतियों को टिकट देने का गंभीर आरोप लगाया. यादव ने कहा कि राजद में गरीबों का सिर्फ नाम लिया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि पार्टी में पूंजीपतियों का बोलबाला है. पूंजीपतियों को राज्यसभा और लोकसभा का टिकट दिया जा रहा है. राजद सिर्फ एक परिवार की पार्टी बनकर रह गई है. राजद में गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए जगह नहीं बची है.
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इधर जदयू के पूर्व मंत्री और पटना के फुलवारी से विधायक श्याम रजक ने राजद की सदस्यता ग्रहण करते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ खुलकर बयान दिए. रजक ने कहा कि नीतीश कुमार सिर्फ अफसरों की सुनते हैं जिसके चलते सरकार के कई मंत्री प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने इशारों इशारों में बताया कि जदयू में कई एमएलए व जनप्रतिनिधि नाराज हैं और आने वाले दिनों में पार्टी में टूट की संभावना हो सकती है.
श्याम रजक ने कहा कि मैं 10 साल बाद अपने घर राजद आकर भावुक हूं. मैं सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए राजनीति में आया था. राजद से जाने के बाद मेरी लड़ाई कमजोर पर गई थी. मैं फिर से तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गरीबों के हक की लड़ाई में शामिल होने आया हूं. रजक ने सीएम नीतीश पर आरोप जड़ते हुए कहा कि नीतीश कुमार बहुत बड़े-बड़े बयान देते हैं, लेकिन सच्चाई इससे उलट है. सच्चाई यह है कि प्रदेश में अपराध बढ़ा है, बेरोजगारी बढ़ी है, गरीबों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है. नीतीश कहते हैं कि बजट 2 लाख करोड़ रुपए कर दिया, लेकिन सरकार सिर्फ 11 फीसदी खर्च कर पाती है. अनुसूचित जाति के लिए 1700 करोड़ रुपए का बजट दिया, लेकिन खर्च सिर्फ 11 फीसदी किया.
श्याम रजक ने कहा कि बिहार में बेरोजगारी चरम पर है. युवाओं के पास काम नहीं है. राज्य के युवाओं को अब युवा नेता तेजस्वी यादव में आस्था है. वे इनकी ओर देख रहे हैं. अब मैं अंतिम दम तक सामाजिक न्याय के लिए लड़ता रहूंगा. यह लड़ाई तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ी जा रही है.
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इधर, एनडीए में शामिल होने से पहले प्रदेश के पूर्व सीएम जितिनराम मांझी ने श्याम रजक पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने सत्ता भोग ली और अब अंतिम समय में कुछ भी कहकर निकल गए. मांझी ने तंज कसते हुए कहा कि रजक को नीतीश कुमार या एनडीए से किसी प्रकार की परेशानी थी तो चुनाव से पहले फैसला लेना था. हिंदूस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष मांझी ने कहा कि अगर नीतीश खराब आदमी हैं तो वह आज नहीं वर्षों से खराब होंगे. श्याम को सही-गलत का फैसला पहले ही लेना चाहिए था. अभी तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं स्वार्थ की बात है. चुनाव के समय में ऐसा निर्णय लेना सही नहीं है.