कमलनाथ सरकार के कार्यकाल और फैसलों की जांच करेगी शिवराज सरकार, 5 मंत्रियों की कमेटी बनाई

पूर्ववर्ती सरकार के 6 महीनों के फैसलों की गहनता से जांच करेगी कमेटी, जांच कमेटी में गोविंद सिंह राजपूत भी शामिल जो कमलनाथ सरकार में रहे चुके हैं मंत्री, जनहित विरोधी फैसलों को उपचुनावों में भुनाने की पूरी तैयारी में बीजेपी

कमलनाथ Vs शिवराज
कमलनाथ Vs शिवराज

Politalks.news/MP. मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के तख्ता पलट को करीब 5 महीने बीत चुके हैं, लेकिन कमलनाथ की मुश्किलें अब तक खत्म नहीं हो रही है. पहले तो पहली बार मुख्यमंत्री बने कमलनाथ के केवल 15 महीने बाद सत्ता हाथों से चली गई. अब शिवराज सरकार ने उनके कार्यकाल और उनके अंतिम 6 महीने में सीएम के तौर पर किए गए फैसलों की जांच करने के लिए जांच कमेटी बैठा दी. 5 सदस्यीय ये कमेटी 23 मार्च, 2020 से छह महीने पहले लिए गए कमलनाथ कैबिनेट के सभी फैसलों की जांच करेगी. ऐसे में कमलनाथ के लिए दिक्कतें खड़ी हो सकती है.

सबसे पहले बात करें जांच कमेटी की तो इसमें पांच वरिष्ठ मंत्रियों की कमेटी बनाई गई है. समिति में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को भी सदस्य बनाया गया है. वह कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे. तब भी राजपूत के पास राजस्व और परिवहन विभाग ही था. समिति के समन्वयक के रूप में अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है. कमेटी में राजपूत के साथ ही मौजूदा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, जगदीश देवड़ा, बिसाहूलाल सिंह और बृजेंद्र प्रताप सिंह भी पांच सदस्यीय कमेटी में शामिल हैं.

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शिवराज सरकार के इस फैसले को आगामी विधानसभा उप चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. सरकार चाहती है कि जनता को पिछली कमलनाथ सरकार के जनता के हितों के खिलाफ लिए निर्णयों की जानकारी दी जा सके और उसे चुनावों में भुनाया जा सके. कमलनाथ सरकार आई तो उन्होंने भी शिवराज सरकार के कई फैसलों पर सवाल उठाया था. नर्मदा किनारे 6 करोड़ पौधों का रोपण, सिंहस्थ में कराए गए निर्माण कार्य सहित कई ऐसे निर्णय हैं जिन पर कमलनाथ सरकार ने सवाल उठाए थे. इसी तरह शिवराज सरकार की ओर से तत्कालीन कमलनाथ सरकार से बदला राजनीति कहा जा रहा है.

गौरतलब है कि सत्ता संभालने के ​केवल दो महीने के अंदर ही शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के फैसलों की फाइलें खंगालना शुरु कर दिया था. मंत्रियों ने विभागीय अफसरों से पूर्व सरकार के आखिरी समय में लिए गए फैसलों से जुड़े तथ्यों को खंगालने को कहा था. इसके तहत पीडब्ल्यूडी सिंचाई जनसंपर्क में पब्लिकेशन से जुड़े मामले और मुख्यमंत्री फसल ऋण माफी योजना को लेकर नियुक्त कंसलटेंट के बारे में ब्यौरा मांगा गया. इसके साथ ही मंत्रियों ने ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायतों का ब्यौरा देने को भी कहा गया था. उस ब्यौरे के आधार पर पूर्व सरकार के फैसलों की छानबीन की जाएगी. गड़बड़ी पाई जाने पर मौजूदा सरकार संबंधितों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कराने का काम करेगी.

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इस फाइलों को खंगालने में पूर्व कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे और विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी. इनमें से 25 मंत्री/विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और उनमें से 12 तो शिवराज सरकार में बिना विधायक बने ही मंत्री बन बैठे हैं. शिवराज सरकार में राजस्व और परिवहन विभाग मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पास यही विभाग कमलनाथ सरकार में भी था. ऐसे में उन्हें पूरी जानकारी है कि विभाग में कहां और क्या घोटाला हुआ. ऐसे ही अन्य कांग्रेस बागियों की इस जांच में महत्वपूर्ण सहभागिता रहेगी.

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