शिवसेना ने खुल कर की सोनिया गांधी की खिलाफत, राहुल को बताया अपरिपक्व, जानें क्या है वजह

पवार ही ऐसे नेता हैं जो पूरे विपक्ष को एकजुट रखकर केंद्र की मोदी सरकार से टक्कर ले सकते हैं, शिवसेना ने कहा कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है

शिवसेना ने खुल कर की सोनिया गांधी की खिलाफत
शिवसेना ने खुल कर की सोनिया गांधी की खिलाफत

Politalks.News/Congress. कांग्रेस पार्टी पिछले कई महीनों से अपने नए नेता को लेकर संकट से गुजर रही है. कांग्रेस में जारी गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा जैसे असंतुष्ट नेताओं के घमासान के बाद एक बार फिर से महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने भी अब सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते खिलाफत शुरू कर दी है. शिवसेना ने साफ तौर पर कहा है कि मराठी मानुष और एनसीपी के मुखिया शरद पवार को नए यूपीए की कमान मिलनी चाहिए. यही नहीं शिवसेना ने राहुल गांधी को भी परिपक्व नेता नहीं माना. शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे शिवसेना के इस बयान के बाद एक बार फिर से विपक्ष में हलचल मच गई है.

शिवसेना के इस नए सियासी हथकंडे के बाद फिर से महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज हो गई है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हैं . शिवसेना की इस मांग के बाद शिवसेना और कांग्रेस के बीच खटास बढ़ सकती है. कुछ दिन पहले भी सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिख उनसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए योजनाओं को लागू करने को कहा था, सोनिया के इस फरमान के बाद शिवसेना, कांग्रेस में तभी से तल्खी बढ़ी हुई है. आपको बता दें कि शिवसेना के इस मुखपत्र सामना को फिलहाल पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ही देख रहे हैं. राउत ही सामना अखबार में संपादकीय की जिम्मेदारी निभाते हैं.

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कांग्रेस को अब अपने अध्यक्ष की भूमिका को लेकर भी बदलाव करना होगा-

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि कांग्रेस और सोनिया गांधी को अब कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष पद को लेकर भी नई सोच लानी होगी और नेतृत्व के बारे में बदलाव भी करना होगा. यही नहीं सामना में शिवसेना ने यह भी लिखा कि राजधानी दिल्ली में देश भर से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ देने के लिए कांग्रेस को आगे आना होगा. सामना की संपादकीय में लिखा गया कि राहुल गांधी से अच्छे शरद पवार विपक्ष के नेता हो सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस को एनसीपी प्रमुख शरद पवार को यूपीए का नया चेयरपर्सन बनने की वकालत करनी चाहिए.

शिवसेना ने कहा कि शरद पवार ही ऐसे नेता हैं जो पूरे विपक्ष को एकजुट रखकर केंद्र की मोदी सरकार से टक्कर ले सकते हैं. शिवसेना ने कहा कि अभी जिस तरह की रणनीति विपक्ष ने अपनाई है, वह मोदी और शाह के आगे बेअसर है. शिवसेना ने तंज कसते हुए कहा कि अभी यूपीए की हालत एक एनजीओ की तरह नजर आती है, केंद्र में मौजूदा विपक्ष बेजान हो चुका है. कांग्रेस की स्थिति ऐसी पार्टी की है जिसके पास पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है और सोनिया का साथ देने वाले मोतीलाल वोरा और अहमद पटेल जैसे नेता भी अब नहीं रहे. इसलिए अब गांधी परिवार को शरद पवार को आगे लाना चाहिए.

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राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता पर भी शिवसेना ने सवाल उठाए-

सामना ने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाए हैं. शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि, राहुल गांधी में सभी विपक्षी दलों को साधने की क्षमता कम है. राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर भले ही संघर्ष कर रहे हों लेकिन कहीं न कहीं उनमें कमी है. तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, अकाली दल, बीएसपी, समाजवादी पार्टी, जगन मोहन रेड्डी, नवीन पटनायक, कुमारास्वामी की पार्टी, चंद्रशेखर राव, नवीन पटनायक की पार्टी और नेता बीजेपी के विरोधी है. लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में जो यूपीए है उसमें यह लोग शामिल नहीं है. ऐसे में बीजेपी विरोधी इन पार्टियों का यूपीए में शामिल हुए बिना विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार से टकराने में सक्षम नहीं होने वाला.

सामना के जरिए शिवसेना द्वारा कांग्रेस पर किए गए इस हमले के बाद भाजपा ने यूपीए पर तंज कसा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने शिवसेना के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि संजय राउत का बयान यही दिखा रहा है कि अब यूपीए में भी बगावत हो गई है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि महाराष्ट्र में जिस दल के साथ मिलकर कांग्रेस सरकार चला रही है, अब उसी दल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यूपीए की चेयरपर्सन बने रहने को लेकर सवाल खड़े करना दिखाता है कि यूपीए में सब कुछ ठीक नहीं है.

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