दिल्ली हिंसा को लेकर शिवसेना का केंद्र सरकार पर हमला- ‘ये लोकतंत्र नहीं है भाई, कुछ और ही चल रहा है’

दिल्ली में कानून-व्यवस्था बाधित हो गई, यह सरकार की विफलता है और अराजकता के लिए वो किससे इस्तीफा मांगेंगे? क्‍या सरकार इस दिन का इंतजार कर रही थी, क्‍या सरकार किसानों के सब्र का बांध टूटने का इंतजार कर रही थी?- संजय राउत

दिल्ली हिंसा को लेकर शिवसेना का केंद्र सरकार पर हमला
दिल्ली हिंसा को लेकर शिवसेना का केंद्र सरकार पर हमला

Politalks.News/FarmersProtest. दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा किसानों का आंदोलन आज कुछ उपद्रवियों की हिंसात्मक हरकतों के चलते निशाने पर आ गया है. गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर अब सियासत शुरू हो गई है. सियासी पार्टियों ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दिल्ली में हुई हिंसा सरकार की विफलता है. संजय राउत ने अपने ट्विटर अकांउट के माध्‍यम से कहा कि, “सरकार ने आखिर तक लाखों किसानों की बात क्‍यों नहीं सुनी. ये किस टाइप का लोकतंत्र हमारे देश में पनप रहा है? ये लोकतंत्र नहीं है भाई… कुछ और ही चल रहा है.”

राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि क्या सरकार इसी दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही थी? राउत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानून लोगों के लिए बनाए जाते हैं, अगर लोग खुश नहीं हैं तो ये कानून किसके लिए हैं? आज हुई हिंसा का जिम्‍मेदार कौन है? रावत ने कहा कि यदि कोई और सरकार होती तो उससे तुरंत इस्‍तीफा मांगा जाता. अब दिल्ली में कानून व्‍यवस्‍था कौन देख रहा है?

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संजय राउत ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘दिल्ली में कानून-व्यवस्था बाधित हो गई है. यह सरकार की विफलता है. इस अराजकता के लिए, दिल्ली में कदम उठाए गए. वो किससे इस्तीफा मांगेंगे? सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार या जो बाइडन? इस मामले पर इस्तीफा … इस्तीफा दिया जाता है सर, जय हिंद …’ शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा है कि हम किसानों की मांग के साथ हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करते हैं, लेकिन दिल्‍ली में हुई हिंसा की निंदा करते हैं.’ रावत ने कहा कि, ‘यदि किसान नेताओं ने सरकार से शांतिपूर्ण प्रदर्शन का वादा किया था तो उसे पूरा करना चाहिए था.’

संजय राउत ने कहा, ‘आज दिल्‍ली की सड़कों पर जो दृश्‍य देखने को मिला वह न तो आंदोलनकारियों को शोभा देता है और न ही सरकार को. दो महीनों से चला आ रहा किसानों का आंदोलन, लेकिन अचानक क्‍या हो गया? ऐसा आंदोलन तो विश्‍व में कहीं नहीं हुआ था. क्‍या सरकार इस दिन का इंतजार कर रही थी, क्‍या सरकार किसानों के सब्र का बांध टूटने का इंतजार कर रही थी?’

एक अन्य ट्वीट में संजय राउत ने कहा कि, ”अगर सरकार चाहती तो आज की हिंसा रोक सकती थी. दिल्ली में जो चल रहा है उसका समर्थन कोई नहीं कर सकता. कोई भी हो लाल किला और तिरंगे का अपमान सहन नहीं करेंगे. लेकिन माहौल क्यों बिगड़ गया? सरकार किसान विरोधी कानून रद्द क्यों नहीं कर रही? क्या कोई अदृश्य ताकत राजनीति कर रहा है? जय हिंद.”

संजय राउत ने आगे कहा कि मुंबई के आजाद मैदान पर प्रदेश भर के हजारों किसान आए थे, लेकिन यहां माहौल खराब नहीं होने दिया गया, लेकिन दिल्‍ली में शायद इमरजेंसी का माहौल बनाना चाहते हों. यही प्रयास पिछले साल शाहीन बाग में हुआ था. राउत ने कहा कि जब बाबरी मस्जिद गिरी थी तब भी पुलिस को आश्‍वस्‍त किया था.

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