पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहा सियासी घमासान का पटाक्षेप अब होता नजर आ रहा है. बुधवार को एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली स्थित शरद पवार के घर हुई बैठक के बाद दोनों दलों के नेताओं ने सयुंक्त रूप से जल्द सरकार बनाने की घोषणा की. सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में ‘शिराकां‘ (शिवसेना-राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस) (Shirakan Government) सरकार खाका तैयार हो गया है, जिसके तहत शिवसेना और एनसीपी को ढाई-ढाई साल की कमान मिलेगी. यानी ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री रहेगा तो बाकी ढाई साल एनसीपी का, वहीं विधानसभा अध्यक्ष पद भी शिवसेना या एनसीपी को ही मिलेगा, जबकि कांग्रेस को उप-मुख्यमंत्री पद के साथ कुछ महत्वपूर्ण विभाग देने पर तीनों दलों में सहमित बन चुकी है.
सूत्रों के अनुसार बुधवार को शरद पवार के घर कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की हुई बैठक के दौरान शिवसेना से भी फोन पर बात की गई. इसके बाद एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के बीच मिलकर महाराष्ट्र में सरकार (Shirakan Government) बनाने पर सहमति बनी. अब गुरुवार को एक बार फिर दोपहर 2 बजे कांग्रेस और एनसीपी की साझा बैठक होगी. इस बैठक के बाद दोनों दलों के नेता मुंबई के लिए रवाना होंगे. बताया जा रहा है कि शुक्रवार को मुंबई में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की एक और बैठक होगी, जिसके बाद शुक्रवार को ही गठबंधन सरकार का ऐलान किया जा सकता है.
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आखिर कैसे मानीं सोनिया गांधी?
कांग्रेस और शिवसेना के बीच विचाराधात्मक मुद्दों को लेकर बड़ी गहरी खाई है जो कि आज से नहीं बल्कि शिवसेना के गठन के समय से है और शायद कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति नहीं होती तो शायद बाल साहेब को कट्टर हिन्दुत्व की भावना वाली शिवसेना के गठन की जरूरत भी नहीं पड़ती. लेकिन जहां ‘मुख्यमंत्री की कुर्सी’ मूंछ का सवाल बन गई तो अपनी बात की लाज रखने के लिए शिवसेना कांग्रेस के साथ गठबंधन को भी राजी हो गई. लेकिन कांग्रेस अपने मुस्लिम वोट बैंक के खिसकने के डर से अटकी हुई थी. (Shirakan Government) शिवसेना को समर्थन देने को लेकर असमंजस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तरफ से इस मामले पर पूरी तरह आश्वस्त होना चाहती थीं.
सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के मुसलमानों की भी यही इच्छा है कि चाहे कांग्रेस शिवसेना को समर्थन दे दे लेकिन किसी भी हाल में बीजेपी को दुबारा सत्ता पर आसीन न होने दे. इसके अलावा जब वैचारिक विरोधी शिवसेना को समर्थन देने की बात आई तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के कई सीनियर नेताओं से लंबी मंतेना की. इस चर्चा में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री कमलनाथ के साथ की गई बातचीत भी काफी कारगर रही. सूत्रों की मानें तो इन दोनों नेताओं ने ही शिवसेना को समर्थन देने की वकालत की. दोनों नेताओं ने आलाकमान के सामने दलील दी कि महाराष्ट्र में अभी पार्टी चौथे नम्बर पर आ चुकी है और आने वाले चुनावों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है, ऐसी स्थिति में अगर हम सरकार (Shirakan Government) में रहते हैं तो इस स्थिति से बचा जा सकता है, इसलिए हमारा शिवसेना को समर्थन करना बहुत जरूरी है.
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उधर महाराष्ट्र में शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सुबे में सरकार बनाने का दावा करते हुए लिखा है कि महाराष्ट्र में किसी भी पल सरकार (Shirakan Government) बन सकती है और 21 दिनों से चल रही अस्थिरता जल्द समाप्त होगी. सामना में आगे लिखा गया कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी एकसाथ मिलकर मजबूत और स्थिर सरकार देंगे. बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र में लगातार सरकार बनाने का दावा कर रही है. वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि आने वाले 2 से 5 दिनों में सभी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. दिल्ली में न्यूज एजेंसी ANI से संजय राउत ने कहा, ‘जब 3 दल सरकार बनाते हैं तो प्रक्रिया लंबी होती है. यह प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है. आने वाले 2-5 दिनों में जब प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तो महाराष्ट्र में सरकार बनाई जाएगी. संजय राउत ने कहा कि शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना चाहिए यह महाराष्ट्र की जनता की इच्छा है. यह राज्य की जनभावना है कि उद्धव ठाकरे जी ही सरकार का नेतृत्व करें.