पॉलिटॉक्स ब्यूरो. नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) को लेकर देश भर में मचे विरोध के बीच कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा कि, ‘नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने का मतलब गांधी के विचारों पर जिन्ना के विचारों की जीत होगी, धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत का स्तर गिरकर ‘पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण’ हो जाएगा. उधर केन्द्र सरकार इस विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पर अपनी मुहर लगाकर पूर्वोत्तर भारत की जनता का सामना करने को तैयार हो गई है. केंद्रीय कैबिनेट में इस विधेयक को मंज़ूरी मिल गई है और सूत्रों की मानें तो सोमवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किया जाएगा. सदन में कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके समेत अन्य पार्टियां पहले से ही इस बिल का विरोध कर रही है.
एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘यदि नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पारित होता है तो मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के मूल सिद्धांतों के ‘खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन’ को अनुमति नहीं देगा’. बता दें, नागरिकता संशोधन बिल (CAB) में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए अवैध अप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है बशर्ते कि वो मुसलमान नहीं हों. यानी मुसलमान को छोड़कर पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग भारतीय नागरिकता ले सकेंगे.
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हालांकि नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) पारित करवाने का मोदी सरकार का यह दूसरा प्रयास है. इससे पहले भी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान 8 जनवरी, 2019 को यह लोकसभा में पारित हो चुका है. लेकिन इसके बाद पूर्वोत्तर में इसका हिंसक विरोध शुरू हो गया, जिसके बाद सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. सरकार का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही यह विधेयक स्वतः ख़त्म हो गया था. हाल ही में मिली मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब एक बार फिर इस विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा. विधेयक को दोनों सदनों के सांसदों को भिजवा दिया गया है. संभावना है कि इसे पहले लोकसभा में सोमवार को लाया जाएगा, जिस पर मंगलवार को बहस कर पारित कराया जाएगा और उसी दिन इसे राज्यसभा में रखा जाएगा और बुधवार को वहां पर चर्चा होगी.
क्या है सीएबी (CAB) और एनआरसी (NRC) में अंतर?
सरकार की तरफ से जिस विधेयक को सदन में पेश किया जाना है वह दो अहम चीज़ों पर आधारित है- पहला, ग़ैर-मुसलमान प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना और दूसरा, अवैध विदेशियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजना, जिनमें ज़्यादातर मुसलमान हैं. हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने 20 नवंबर को सदन को बताया कि उनकी सरकार दो अलग-अलग नागरिकता संबंधित पहलुओं को लागू करने जा रही है, एक सीएबी (Citizenship Amendment Bill) और दूसरा पूरे देश में नागरिकों की गिनती जिसे राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर या एनआरसी (National Register of Citizens) के नाम से जाना जाता है.
अमित शाह ने बताया कि सीएबी (Citizenship Amendment Bill) में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. वहीं एनआरसी के जरिए 19 जुलाई 1948 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले अवैध निवासियों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.