MaharashtraPolitics. देश की राजनीति में इस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति चर्चा में बनी हुई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के सुप्रीमो शरद पवार का अपने भतीजे अजित पवार के साथ मनमुटाव की खबरों की बीच उनका इस्तीफा देना और बाद में वापिस लेना, इस खबर से देश की राजनीति में भी भूचाल सा ला दिया है. महाराष्ट्र की सियासत (Maharashtra Politics) की बात की जाए तो शरद पवार का नाम दिग्गजों की गिनती में शुमार होता है. हालांकि देखा जाए तो शरद पवार (Sharad Pawar) का राजनीति में कद तो राष्ट्रीय सत्र का है, क्योंकि सत्ताधारी विपक्षी नेता भी उन्हें एक मजबूत स्तंभ के रूप में ही देखते हैं, लेकिन शरद पवार को ‘महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स के पितामह’ की उपाधि से संबोधित किया जाए तो गलत न होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने बीते 60 साल की राजनीति में अपने चाणक्य दिमाग से प्रदेश के साथ-साथ देश की राजनीति में भी अपना सिक्का जमाया है.
बहरहाल शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए मानों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भूचाल ला दिया था. हालांकि उन्होंने कार्यकर्ताओं की इच्छा का सम्मान करते हुए इस्तीफा वापस ले लिया लेकिन बीते तीन से चार दिनों में जो यह नाटकीय स्वांग रचा गया, यह सब कुछ अनायास न होकर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष की एक गुगली थी जिसमें वे सबको फंसा कर ले गए. कुल मिलाकर एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना शरद पवार का एक सोचा समझा मास्टरस्ट्रोक कहा जा सकता है.
देश की राजनीति में शरद पवार को लेकर चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि उन्होंने अपने इस दांव से महाराष्ट्र में सियासी हलचलें तेज कर दी हैं. सरकार बदलने तक से लेकर अब तक मीडिया की पूरी हाईलाइट सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे तक ही सीमित रही. इस बीच शरद पवार ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया. इस भूचाल का असर ये हुआ है कि प्रदेश के साथ-साथ देशभर के राजनीतिक दलों की ध्यान एक बार फिर शरद पवार पर केंद्रित हो गया.
शरद पवार के इस्तीफे के बाद नया अध्यक्ष ढूंढने के लिए बनाई गई कमेटी ने कुछ और ही निर्णय ले लिया और उन्हें इस्तीफा वापिस लेने एवं लोकसभा चुनाव तक पद पर बने रहने को कहा गया जिसे पवार ने सहसम्मान मान लिया. कमेटी ने फैसला लिया कि शरद पवार ही पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे. उन्होंने 2024 तक अपना कार्यकाल हर काल में पूरा करना होगा.
यह भी पढ़ेंः शरद पवार के पास ही रहेगी ‘पावर’ बने रहेंगे NCP के अध्यक्ष, प्रेस वार्ता में दिया ये बड़ा बयान
अब सवाल उठता है कि अगर इस पूरे घटनाक्रम का पटाक्षेप ऐसा ही होना था, तो इसकी जरूरत क्या थी. दरअसल इस पूरी पटकथा के पीछे शरद पवार सोचा समझा मास्टरप्लान. आइए जानते हैं शरद पवार ने क्यों अपने इस्तीफे का दांव चला और इससे उन्हें क्या फायदा हुआ या होने वाला है.
शरद पवार के मास्टरस्ट्रोक की ये हैं 3 अहम वजह
- पार्टी का राष्ट्रीय स्तर का दर्जा छिनना
शरद पवार को इस्तीफे वाला मास्टरस्ट्रोक चलने के पीछे सबसे अहम वजह रही पार्टी का राष्ट्रीय स्तर का दर्जा चुनाव आयोग ने छीन लिया जाना. ऐसे में पार्टी में किसी तरह की हताशा ना हो और शरद पवार के कद पर आंच ना आए या उनकी स्थिति शिवसेना के उद्धव ठाकरे जैसी ना हो जाए, इन सब वजहों को दबाना बहुत जरूरी था. लिहाजा शरद पवार चाहते थे कि उनका कद पार्टी में पहले की तरह बना रहे और पार्टी में कोई सिर ना उठा सके. ऐसे में इस्तीफा देकर उन्होंने विपक्ष के नेताओं सहित पार्टी कार्यकर्ताओं की सहानुभूति भी हासिल कर ली. राहुल गांधी और एमके स्टालीन जैसे दिग्गज राजनेताओं ने भी उनसे इस्तीफा वापिस लेने का अनुरोध किया. वहीं मीडिया का पूरा ध्यान भी शरद पवार और एनसीपी पर केंद्रित हो गया. ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार की ताकत का एक बार फिर से उदय हुआ है.
- असंतोष को भी खत्म करना
राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने और अजित पवार की ओर से मतभेद के बीच पार्टी में असंतोष बढ़ने का खतरा भी लगातार बढ़ने लगा था. ऐसे में जरूरी था कि दोनों बातों पर लगाम लगाई जाए. आगामी लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी गठबंधन को बनाए रखने के लिए भी ये जरूरी था. ऐसे में शरद पवार ने अपने मास्टरस्ट्रोक से इस तरह के सभी गतिरोधों को साधने का काम किया. उन्होंने पार्टी नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं के जरिए अपनी जरूरत और इज्जत दोनों को बखूबी कायम रखा.
- अजित पवार को जमीन दिखाना
शरद पवार पिछले लंबे समय से अजित पवार से भी परेशान हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जिस तरह अजित पवार ने फडणवीस के साथ रातों रात सरकार बनाकर महाविकास अघाड़ी को झटका दिया था, इसमें शरद पवार की बड़ी किरकिरी भी हुई थी. हालांकि इसे भी शरद पवार का ही प्लान बताया जा रहा था. इतना ही नहीं, अजित पवार भी लगातार पार्टी में अपना कद बढ़ाने में जुटे थे. ऐसे में शरद पवार के लिए जरूरी था कि उन्हें भी जमीन दिखा दें. हाल में ये खबरें खूब उड़ीं कि अजीत पवार कुछ विधायकों के साथ बीजेपी जॉइन कर सकते हैं. ऐसे में शरद पवार ने उन पर इतना दबाव बनाया कि उन्हें खुले मंच पर ये कहना पड़ा कि वे जिंदगीभर एनसीपी में ही रहेंगे. यहां अजीत पवार के सामने शरद पवार का कद पहले के मुकाबले कईं गुना बढ़ गया है.
यह भी पढ़ेंः पीएम मोदी की ‘किचन कैबिनेट’ के ‘संतोष’ बनेंगे कर्नाटक में बीजेपी के वजी़र!
82 वर्षीय शरद पवार ने राजनीति में 60 साल से अधिक का समय बिताया है और अपने पिछले 24 साल पार्टी को दिए हैं. पार्टी के गठन से लेकर अब तक वे ही पार्टी के सिरमौर बने हुए हैं. उनके बाद भतीजे अजीत पवार और बेटी सुप्रीया सुले में सुप्रीमो को लेकर अलगाव हो सकता है, इसका भी उन्हें भली भांति अहसास है. इन सभी बातों को विराम देने के लिए उनके ये मास्टरस्ट्रोक एकदम सटीक निशाने पर बैठा है. कहना गलत न होगा कि एक बार फिर से शरद पवार की गुगली ने महाराष्ट्र के सभी दिग्गजों को क्लीन बोल्ड करने हुए चारों खाते चित कर दिया है.