NEET-JEE परीक्षा को लेकर सतीश पूनियां ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना- यह कैसा दोगला चरित्र है?

1 करोड़ 40 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को कांग्रेस सरकार का बड़ा झटका, चिकित्सक भर्ती परीक्षा लेने के बाद उसे रद्द करना राज्य सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान, कोरोना प्रबंधन एवं चिकित्सा व्यवस्थाओं को ठीक करने पर सरकार का नहीं कोई ध्यान

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Politalks.News/Rajasthan. कोरोनाक़ाल में JEE और NEET परीक्षा आयोजित करवाने को लेकर कांग्रेस केन्द्र सरकार का विरोध कर रही है. इस पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि नीट-जेईई मेन परीक्षा को लेकर सीएम गहलोत केन्द्र सरकार पर सवाल खड़े करते हैं, लेकिन खुद दोहरा रवैया अपनाते हैं. इन्हीं की सरकार का प्रारम्भिक शिक्षा विभाग 31 अगस्त को प्री डी.एल.एड. परीक्षा आयोजित करवाने जा रहा है. यह कैसा दोगला चरित्र है आपका? इसके साथ ही सतीश पूनियां ने फ्यूल सरचार्ज का बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार, दो हजार चिकित्सकों की भर्ती रद्द करने सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर गहलोत सरकार पर निशाना साधा है.

पूनियां ने कहा कि प्रदेश के 1 करोड़ 40 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को कांग्रेस सरकार ने बड़ा झटका दिया है. अब बिजली कम्पनियां बिल में 30 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से फ्यूल चार्ज वसूलेंगी, जिससे प्रदेश के आमजन और किसानों पर दोहरी मार पड़ेगी. इसके साथ ही प्रदेश में दो हजार चिकित्सकों की भर्ती को रद्द करने का विरोध करते हुए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पूनियां ने कहा कि प्रदेश में लाखों पदों पर भर्तियाँ लम्बित हैं, जिन्हें पूरा करना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन इस बीच भर्तियां पूरी करना तो दूर, चिकित्सक भर्ती परीक्षा लेने के बाद उसे रद्द करना राज्य सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है.

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सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं चिकित्सा मंत्री स्पष्ट करें कि चिकित्सक भर्ती परीक्षा में क्या खामियां थीं, जिसके कारण रद्द किया गया है. पूनियां ने कहा कि इससे सरकार ने बेरोजगार डॉक्टर्स के सपनों पर भी कुठाराघात किया है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा मंत्री भर्ती को रद्द करने का यह तर्क दे रहे हैं कि खामियों के चलते परीक्षा को रद्द किया गया, अगर कोई खामी थी तो सरकार को इसे भी साफ करना चाहिए.

वहीं प्रदेश में कोरोना प्रबंधन को लेकर सतीश पूनियां ने कहा कि 74 हजार से अधिक मामले एवं 900 से अधिक मौतें प्रदेश में हो चुकी हैं, यहां तक कि सीएमओ के अन्दर भी कोरोना के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार और मुख्यमंत्री गहलोत का कोरोना प्रबंधन एवं चिकित्सा व्यवस्थाओं को ठीक करने पर कोई ध्यान नहीं है.

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