Politalks.News/UttarPradesh. 28 जनवरी गुरुवार का दिन, शाम का समय और दिल्ली का गाजीपुर बॉर्डर जो कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगता है, शायद ही कोई भूल सकता है जब यहां पर सरकार द्वारा जबरन खत्म करवाया जा रहा किसान आंदोलन मिनिटों में फिर से खड़ा हो गया. खैर फिर वहां जो हुआ वो तो सबको पता है लेकिन, इस दौरान किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के गिरे आंसुओं की पहली बूंद 110 किलोमीटर दूर बैठे अजित सिंह और जयंत चौधरी पर जाकर गिरी. राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाने वाले अजित सिंह चौधरी को तुरन्त आभास हो गया कि यह केवल राकेश टिकैत के आंसू नहीं बल्कि हमारी खोई हुई सियासत को चमकाने के लिए एक मौका आया है.
फिर क्या था जयंत चौधरी ने तत्काल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) मुखिया का राकेश टिकैत के साथ मंत्रणा करते हुए और दिल्ली में किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट कर दिया. यही नहीं अजित सिंह के निर्देश पर जयंत चौधरी तो तत्काल प्रभाव से शुक्रवार सवेरे ही गाजीपुर बॉर्डर पर जाकर टिकैत के साथ फोटो भी खिंचा आए. उसके बाद वहां से सीधे मुजफ्फरनगर किसानों की महापंचायत में भी पहुंच गए. इस दौरान जयंत चौधरी को भी लगने लगा कि उत्तर प्रदेश में सियासत चमकाने के लिए इससे अच्छा मौका और कोई हाथ नहीं लगेगा क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव की हलचल भी शुरू हो चुकी है. शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में पांच घंटे चली महापंचायत में हजारों किसानों के बीच रालोद के उपाध्यक्ष जयंत ने किसानों के बीच घड़ियाली आंसू बहा कर अपनी सियासत को सक्रिय बनाने के लिए एलान भी कर डाला. बता दें कि यह पंचायत राकेश टिकैत के बड़े भाई और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बुलाई थी लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चेहरा जयंत चौधरी ने अपना चमकाया.
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पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपना अस्तित्व खो चुकी है रालोद
आपको बता दें, आज से 4 साल पहले 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान अजित सिंह और जयंत चौधरी की सियासत काफी पीछे रह गई थी और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) से जनता का भी मोहभंग हो गया था. इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से रालोद केवल एक सीट ही जीत पाई थी, साथ ही अजित सिंह के ग्रह जनपद बागपत और उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों मेरठ, मुजफ्फरनगर समेत आसपास जाट बेल्ट में राष्ट्रीय लोक दल का जनाधार भी बुरी तरह घट गया. उसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इनकी करारी हार हुई और रालोद का एक भी प्रत्याशी जीतने में सफल नहीं हो सका, यही नहीं अजित के साथ जयंत भी अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सके.
इस तरह पिछले यूपी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद ‘रालोद का सियासी मार्केट ठंडा‘ पड़ा हुआ था. अगले वर्ष होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा के साथ सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. दूसरी ओर यूपी में अपना खोया हुआ जनाधार बढ़ाने के लिए अजित और जयंत मौके की तलाश में थे. रालोद प्रदेश की सियासत में सक्रियता बढ़ाने के लिए करवटें तो ले रहा था लेकिन उसे कोई मौका नहीं मिल पा रहा था. इधर कृषि कानूनों के विरोध में जाटलैंड यानी पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान राकेश टिकैत के नेतृत्व दिल्ली बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन आंदोलन को दो महीने बीत जाने के बाद भी दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के बीच रालोद के ये नेता अपनी पैंठ नहीं बना पा रहे थे. इसी बीच जब कुछ संगठन और कई किसान नेता आंदोलन को छोड़कर जाने लगे और दुखी राकेश टिकैत की रुलाई फुट पड़ी तो इस मौके को भुनाने में चौधरी बंधुओं ने तनिक भी देर नहीं लगाई.
जयंत चौधरी बोले- भाजपा नेताओं का बन्द करना पड़ेगा हुक्का-पानी
दिल्ली में किसानों के आंदोलन को धार देने के लिए नरेश टिकैत के द्वारा मुजफ्फरनगर में बुलाई गई महापंचायत में सबसे अधिक रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ही सक्रिय दिखाई दे रहे थे. जयंत ने हजारों किसानों के बीच मोदी और योगी सरकार को ललकारने में ज्यादा फोकस रखा. इस दौरान जयंत चौधरी ने गंगा जल और नमक गिराकर स्टेज से बयान देते हुए कहा कि, ‘मेरा प्रस्ताव ये है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का हुक्का-पानी बंद करना पड़ेगा.’ उसके बाद जयंत ने अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए अपना भावनात्मक सियासी दांव भी चल दिया. रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि, ‘पुरानी बातों को भूल जाओ. पहले चूक गए थे, आगे से मत चूकना. युवाओं की ओर इशारा करते हुए जयंत ने कहा अपनी गलती मान लो. किसान भगवान का रूप है और वह सड़क पर है. केंद्र सरकार अपनी जिद पर अड़ी है.’
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जयंत चौधरी ने कहा कि यूपी की योगी सरकार लव जेहाद और मुगलों की बात करती है, लेकिन गन्ने का भाव तय नहीं कर पाई है, अब चुप रहने से काम नहीं चलेगा. जयंत ने कहा कि आज अस्तित्व की लड़ाई है, हमारा मुकाबला उन लोगों से है जो गलती नहीं मानते. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर बागपत पुलिस ने बुधवार रात को बुजुर्ग किसानों पर लाठीचार्ज किया. जयंत ने किसानों से कहा गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचना सही है लेकिन, आपके आसपास जहां भी किसान आंदोलन चल रहा है, वहीं पर शामिल होकर आंदोलन को मजबूत बनाएं.
अजित को हराना सबसे बड़ी भूल, भाजपा को सबक सिखाएंगे: नरेश टिकैत
एक प्रसिद्ध कहावत है, ‘ताली एक हाथ से नहीं बजती है, दोनों हाथ से बजाई गई ताली की गूंज भी दूर तक सुनाई देती है’. ऐसा ही शुक्रवार को मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में हुआ. जब रालोद और चौधरी अजित सिंह ने किसानों का खुलकर समर्थन किया तो भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत ने भी अजित और रालोद के समर्थन में आकर भाजपा के लिए वोट न देने की सौगंध भी खाली. नरेश टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन अपने अनुशासन के लिए जाना जाता है. हम इसी में रहकर अपना काम करेंगे. टिकैत ने किसानों को बीजेपी से संभलकर रहने की सलाह दी.
भाकियू अध्यक्ष ने कहा कि अजित सिंह को लोकसभा चुनाव में हराकर बड़ी भूल की है, हम भी दोषी हैं. उन्होंने मौजूद हजारों किसानों से कहा कि आगे से इस प्रकार की गलती मत करना, इस परिवार ने हमेशा किसान के मान सम्मान की लड़ाई लड़ी है. इस बीच ‘नरेश टिकैत ने महेंद्र सिंह टिकैत के साथ अजित सिंह के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भी याद किया, उन्होंने कहा कि आगे से साथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे. नरेश टिकैत ने किसानों से वादा करते हुए कहा कि उनकी एक और गलती बीजेपी पर भरोसा करना है. आने वाले दिनों में वह अपनी यह गलती सुधारेंगे. नरेश टिकैत ने कहा कि आगामी चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाया जाएगा’.
आपको बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस कार्रवाई के बाद मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाई गई थी. मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग सिसौली गांव पहुंचे. महापंचायत केेे दौरान टिकैत के समर्थन में किसानों के हजारों हाथ उठे. गौरतलब है कि बलियान खाप पश्चिम यूपी में जाटों की सबसे बड़ी खाप पंचायत है और उसके अध्यक्ष भी नरेश टिकैत ही हैं.