आज तारीख 6 जून है. 35 साल पहले आज के ही दिन पंजाब में सेना ने आंतकियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था. लेकिन इस ऑपरेशन को क्यों अंजाम दिया गया, इसकी कहानी तो काफी पहले शुरू होती है. हुआ ये कि पंजाब में अकाली दल आनन्दपुर साहिब का प्रस्ताव लेकर आई. अकाली दल के प्रस्ताव का लब्बोलुआब ऐसा था कि इसमें कहा गया कि पंजाब को पूर्णतया स्वायत्तता दी जाए. उसे कमोबेश अलग देश की तरह बना दिया जाए. यह प्रस्ताव आने के बाद यह तय था कि देश की सभी सियासी पार्टियों को इसका विरोध करना था, लेकिन विरोध के चक्कर में पंजाब के निवासियों को यह लग रहा था कि केंद्र सरकार उनका दमन करने पर उतारू है.
इस विरोध को थामने के लिए संजय गांधी की तरफ से पंजाब प्लान एक्शन में लाया गया. मिशन की कमान पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह को दी गई. ज्ञानी जैल सिंह को पंजाब के भीतर से ही एक ऐसे चेहरे की तलाश थी जो अकालियों को उन्हीं के धुन में जवाब दे सके. ज्ञानी जैल सिंह की नजर जरनैल सिंह भिंडरांवाले पर गई. भिंडरांवाले दमदमी टकसाल का एक धार्मिक नेता था, जो अपने खुरेजी तेवरों और भाषणों के लिए उन दिनों पूरे पंजाब में लोकप्रिय हो रहा था. ज्ञानी जैल सिंह ने भिंडरांवाले की मुलाकात संजय गांधी से कराई.
जरनैल सिंह भिंडरांवाले के पक्ष में आने के बाद संजय और कांग्रेस को लगा कि अब पंजाब के हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन हर बार चीजें आपके अनुमान के हिसाब से नहीं होती है. वो कई बार आशा के विपरित भी हो जाती है. ऐसा ही कुछ भिंडरांवाले के मामले में संजय के साथ हुआ. वो संजय गांधी और कांग्रेस की पकड़ से बाहर जाने लगा. खुले तौर पर सामाजिक कार्यक्रमों में खालिस्तान की मांग करने लगा. इस दौरान उस पर हत्या जैसे कई गंभीर मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन हर बार वो ज्ञानी जैल सिंह की निजी पैरवी के कारण बचता चला गया.
लेकिन किसी अपराधी को बचाना कितना घातक हो सकता है, भिंडरावाले इसका सबसे विरला उदाहरण है. एक बार तो जरनैल सिंह भिंडरावाले सत्ता को उसकी मांद में चुनौती देने दिल्ली आया. उसने सुरक्षा के तौर पर महफूज माने जाने वाले लुटियंस दिल्ली में खुलेआम हथियारों की नुमाइश की. वो खुली जीप के अंदर लंबे समय तक घुमा, लेकिन इस सब के बावजूद भी किसी ने उसे गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं की. प्रशासन की तरफ से गिरफ्तार नहीं करने का कारण बताया गया कि अगर भिंडरांवाले को गिरफ्तार करते तो पंजाब के हालात और भी बिगड़ सकते है.
लेकिन फिर भी पंजाब में हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे थे. देश का संपन्न राज्य लगभग दो साल से लगातार दंगों की आग से धधक रहा था. क्योंकि संजय गांधी का अकालियों से मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया नेता अब खुद आतंकी बन चुका था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में सिखों के एक विद्रोही गुट ने जंग छेड़ दी. 37 साल के भिंडरांवाले ने अपने साथ युवाओं की बड़ी फौज तैयार कर ली, जो मरने-मारने पर उतारू थी. वो भिंडरांवाले के इशारे पर किसी को भी मारने को तैयार थे. उसके इन्हीं साथियों ने पंजाब में 200 लोगों की हत्या कर दी थी.
अब पानी सिर से ऊपर जाने लगा था. इंदिरा अब पंजाब समस्या का जल्द से जल्द निदान चाहती थी, लेकिन सरकार के सामने कार्रवाई करने में समस्या यह थी कि भिंडरांवाले और उसके साथियों ने अमृतसर में सिखों के सबसे पवित्र गुरुद्वारे स्वर्ण मंदिर में शरण ले रखी थी. आखिर में इंदिरा ने सियासी नुकसान की परवाह किये बिना आंतकियों पर कार्रवाई का आदेश दे दिया. इस कारवाई को ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया गया. इंदिरा के आदेश के बाद सेना ने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश किया और दोनों तरफ से भयंकर गोलीबारी शुरू हुई.
देखते ही देखते मंदिर परिसर खून की नदी में तब्दील हो गया. मंदिर की दीवारें रक्त से सन गई. ऑपरेशन ब्लू स्टार में 83 सेना के जवान और 492 आम नागरिक मारे गए. आजाद भारत में असैनिक संघर्ष के इतिहास में यह सबसे बड़ी खूनी लड़ाई थी. भिंडरांवाले और उसके साथियों को मारने के लिए मशीन गन, तोपें, रॉकेट लॉन्चर और आखिरकार लड़ाकू टैंकों तक का प्रयोग करना पड़ा. वहीं इस ऑपरेशन में सिखों का सर्वोच्च स्थल अकाल तख्त तबाह हो चुका था. ऑपरेशन ब्लू स्टार की खबर फैलते ही सिखों में बवाल मच गया.
भारतीय सेना की सिखों से जुड़ी इकाइयों में बगावत हो गई. इसी ऑपरेशन के कारण प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जान से हाथ धोना पड़ा. उसी साल 31 अक्तूबर को दो सिख अंगरक्षकों ने उनके शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया. इंदिरा की हत्या की खबर सिखों के लिए देश में काल बनकर आई. हत्या से गुस्साए लोगों ने आठ हजार से ज्यादा सिखों को मौत के घाट उतार दिया. उनमें से 3 हजार सिख तो सिर्फ दिल्ली में ही मारे गए. जरनैल सिंह भिंडरांवाले को ज्ञानी जैल सिंह के जरिए शीर्ष में लाते वक्त संजय गांधी ने नहीं सोचा होगा कि यही शख्स उनकी मां इंदिरा गांधी की मौत की वजह लेकर आएगा.
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