Politalks.News/UttrakhandChunav. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) का घमासान तेज हो गया है. भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) पार्टी में अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची जारी है. प्रत्याशी चयन के मद्देनजर उत्तराखंड भाजपा ने सभी 70 सीटों पर दावेदारों के पैनल को अंतिम रूप दे दिया है. शनिवार को पार्टी की चुनाव समिति की बैठक में चर्चा के बाद इस पर मुहर लगाई गई. यह सूची आज दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को सौंपी जाएगी. प्रत्याशियों के संबंध में अंतिम निर्णय केंद्रीय संसदीय बोर्ड लेगा. सियासी जानकारों का कहना है कि 5 साल में 3 सीएम प्रदेश की जनता को देने वाली भाजपा में अंदरखाने जबरदस्त गुटबाजी है. देवभूमि की भाजपा कई खेमों में बंटी है. पार्टी के पास इसका कोई तोड़ भी नहीं है. इसलिए टिकट वितरण में माथाफोड़ी होना तय माना जा रहा है.
28 नाम तय, 25 सीटों पर फंसा पेंच, 15 पर गिर सकती है गाज!
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार 28 सीटों पर स्थिति लगभग साफ है. यदि कोई फेरबदल नहीं हुआ तो प्रथम चरण में इन नामों की घोषणा हो सकती है. इसके अलावा 25 सीटें विभिन्न कारणों से फंसी हैं, जिन पर मशक्कत करनी पड़ेगी. यह भी बताया जा रहा कि 10 से 15 वर्तमान विधायकों के टिकट पर पार्टी कैंची चला सकती है. साथ ही सबसे बड़ा संशय पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को चुनाव लड़ाए जाने को लेकर बना हुआ है.
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शनिवार को हुई भाजपाई दिग्गजों की अहम बैठक
उत्तराखंड भाजपा मुख्यालय में शनिवार को केंद्रीय मंत्री एवं प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में हुई प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में दावेदारों के पैनल पर विमर्श हुआ. करीब डेढ़ घंटे चली बैठक में विधानसभा क्षेत्रवार चर्चा की गई. कुछेक सीटों पर एकाध नाम जोड़े गए तो कुछ से हटाए गए.
28 सीटों पर एकल दावेदारी, केन्द्रीय संसदीय बोर्ड लेगा अंतिम फैसला
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि, देवभूमि की 28 सीटों पर बीजेपी के पास केवल एक ही स्पष्ट दावेदार है. उनके नाम की जल्द ही घोषणा हो सकती है, जबकि अन्य सीटों पर एक से अधिक नेता दावेदारी ठोंक रहे हैं. ऐसे में आगामी 19 जनवरी को दिल्ली में होने वाली पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में इन सीटों पर अंतिम फैसला लिया जाएगा.
ये टिकट बताए जा रहे हैं लगभग तय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (खटीमा), कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (चौबट्टाखाल), बंशीधर भगत (कालाढूंगी), सुबोध उनियाल (नरेंद्र नगर), डॉ हरक सिंह रावत (केदारनाथ), स्वामी यतीश्वरानंद (हरिद्वार ग्रामीण), बिशन सिंह चुफाल (डीडीहाट), रेखा आर्य (सोमेश्वर), अरविंद पांडेय (गदरपुर), गणेश जोशी (मसूरी) व डा धन सिंह रावत (श्रीनगर), विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल (ऋषिकेश), प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक (हरिद्वार), विधायक मुन्ना सिंह चौहान (विकासनगर), उमेश शर्मा काऊ (रायपुर), विनोद चमोली (धर्मपुर), चंदन रामदास (बागेश्वर), सौरभ बहुगुणा (सितारगंज), राजेश शुक्ला (किच्छा), कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन (खानपुर), महेश जीना (सल्ट), चंद्रा पंत (पिथौरागढ़), डा प्रेम सिंह (नानकमत्ता), नवीन दुम्का (लालकुंआ), बलवंत सिंह भौर्याल (कपकोट), ऋतु खंडूड़ी (यमकेश्वर), कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रीतम पंवार (धनोल्टी) व पूर्व विधायक राजकुमार (पुरोला).
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इन सीटों पर फंसा है पेंच
वहीं देवभूमि की बीजेपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी संसदीय बोर्ड इस बैठक में पौड़ी, कोटद्वार, थराली, कर्णप्रयाग, घनसाली, प्रतापनगर, टिहरी, झबरेड़ा, लक्सर, पिरान कलियर, राजपुर रोड, चम्पावत, लोहाघाट, नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर, जागेश्वर, अल्मोड़ा, रानीखेत, द्वारहाट, गंगोलीहाट, बाजपुर, काशीपुर, रुद्रपुर और गंगोत्री सीट को लेकर माथापच्ची करनी पड़ेगी.
क्या होगा त्रिवेन्द्र सिंह रावत का?
सूत्रों का तो यहा तक कहना है कि, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के भी डोईवाला सीट से चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति साफ नहीं है. केंद्रीय नेतृत्व ही इस आगामी बैठक में इस फैसला करेगा. सूत्रों का कहना है कि वे चुनाव लड़ेंगे या पार्टी संगठन उन्हें अन्य कोई जिम्मेदारी देगा, इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करेगा. इसके अलावा दिवंगत विधायक हरबंस कपूर के परिवार के किसी सदस्य को कैंट सीट से टिकट देने का निर्णय भी पार्टी नेतृत्व ले सकता है.