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लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के अगुवाई में बीजेपी सहित एनडीए ने प्रचंड जीत दर्ज की और मोदी का फिर से दूसरी बार का कार्यकाल सुनिश्चित हो गया. दूसरी तरफ कांग्रेस की अगुवाई वाला विपक्ष मोदी लहर में कहीं टिकता नजर नहीं आया. बिहार में पहली बार पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल लोकसभा चुनावों में खाता तक नहीं खोल पाई. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 एनडीए उम्मीदवारों के पास गईं सिर्फ एक सीट कांग्रेस के खाते में गई.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव इस वक्त रांची अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. लालू सजायाफ्ता हैं सो चुनावी प्रक्रिया से भी दूर रहे. चुनाव के बाद पार्टी की हार पर लालू यादव ने चुप्पी तोड़ते हुए एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत की. इस बातचीत में लालू यादव ने इस लोकसभा चुनाव का विश्लेषण करते हुए नरेंद्र मोदी को बीजेपी और एनडीए का मजबूत नेता बताया है. साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को इस्तीफा न देने की सलाह देते हुए कहा है कि यह इस्तीफा कांग्रेस सहित विपक्ष के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा.

लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश एक आत्मघाती कदम है न सिर्फ उनकी पार्टी बल्कि उन तमाम समाजिक और राजनीतिक ताकतों के लिए भी जो संघ परिवार से सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं. यह बीजेपी के जाल में फंसने जैसा होगा. जैसे ही कोई गांधी-नेहरू परिवार के बाहर का व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज होगा, मोदी-शाह ब्रिगेड उसे सोनिया और राहुल का प्यादा और रिमोट कंट्रोल ठहराने की कोशिश करेंगे. यह खेल अगले आम चुनावों तक चलेगा. राहुल गांधी को अपने विपक्षियों को ऐसा मौका देना ही क्यों चाहिए?

साथ ही लालू यादव ने कहा कि विपक्ष के पास बिन दुल्हे की बारात होने के कारण उन्हें जीत नहीं मिल सकी है. उन्होंने कहा कि यह एक तथ्य है कि मोदी की अगुवाई वाले बीजेपी से विपक्ष चुनाव हार चुका है. सभी विपक्षी दलों को जो इन असहिष्णु और सांप्रदायिक ताकतों को रोकना चाहते हैं, उन्हें अपनी साझी हार स्वीकार करनी चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए कि आखिर गलती कहां रही. हार की वजह ढूंढना मुश्किल नहीं है.

यादव ने इस दौरान पीएम नरेंद्र की तारिफ भी की और कहा कि इस चुनाव में विपक्षी पार्टियों का एक ही लक्ष्य रहा कि बीजेपी को हटाना लेकिन वो सभी एक राष्ट्रीय विमर्श खड़ा करने में असफल रही हैं. इस चुनाव में बीजेपी के पास मोदी के रूप में एक निर्विवाद नेता था. लेकिन विपक्ष की बारात का कोई दुल्हा ही तय नहीं हो पाया. मोदी को विपक्ष ने बिहार जैसे राज्य में भी बड़ा जनादेश दे दिया. उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों को हर राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का कैंडिडेट के तौर पर पेश करना चाहिए था. राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित न करना बहुत बड़ी गलती रही.

लोकसभा चुनाव में विपक्ष की हार की वजह लालू यादव ने खराब रणनीति बताई. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में विपक्ष ऐसे चुनाव लड़ा मानो यह देश का नहीं राज्यों का चुनाव हो. विपक्ष अपनी रणनीति और एक्शन को एकरूप करने से चूक गया. देश को एक राष्ट्रीय विकल्प की जरूरत थी, लेकिन विपक्षी दल अपने राज्यों में लड़ते रहे और यह विकल्प खड़ा ही नहीं हो पाया. हर चुनाव की अपनी अलग कहानी होती है. लालू प्रसाद ने इस दौरान साल 2015 के महागठबंधन का भी जिक्र किया और कहा कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह के कहने पर उन्होंने नीतीश कुमार को सीएम पद का उम्मीदवार माना था.

इसके साथ ही लालू यादव ने कहा कि कांग्रेस का घोषणापत्र बीजेपी से कहीं ज्यादा बेहतर था. लेकिन बेहतर घोषणापत्र होने के बावजूद इसे विपक्षी पार्टियों का पर्याप्त समर्थन नहीं मिला. यह लड़ाई थी एक निरंकुश सरकार और हाशिये पर खड़े समाज, बेरोजगार यवाओं, परेशान किसानों और प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के बीच. आपस में बंटी हुई विपक्षी पार्टियां देश के ऐसे तबकों को मंच मुहैया कराने में नाकाम रहीं. साथ ही उन्होंने कहा कि एक चुनाव का रिजल्ट इस देश की सच्चाई को नहीं बदल सकता. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आते रहेंगे-जाते रहेंगे लेकिन देश बचा रहेगा.

लालू ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत को बीजेपी और उनके नेता नरेंद्र मोदी की जीत बताया और विपक्ष की रणनीतिक हार कहा. विपक्षी पार्टियों को अपने-अपने राज्यों में रणनीति के बारे में सोचना चाहिए.उन्हें अपने कार्यकर्ताओं और लोगों का हौसला बढ़ाना चाहिए जो इस तानाशाही सरकार के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ते रहे हैं. अपनी आरामतलबी को छोड़कर अब विपक्ष को सड़क पर उतरना चाहिए, लोगों को दर्द को साझा करना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी दलों को धैर्य रखने के साथ संयम की जरूरत है. चुनावी बिसात आज नहीं तो कल जरूर पलटेगी. भारत एक बहुलतावादी देश है. यह गांधी, जेपी, टैगोर, पेरियार, ज्योतिबा फुले, अंबेडकर की धरती थी और रहेगी. हमारा देश सांप्रदायिक सदभाव वाला देश रहा है और आगे भी रहेगा. लालू यादव के इस विश्लेषण में विपक्ष को गहन मंथन के साथ रणनीतिक तौर पर मजबूत होने का आह्वान किया गया है. अब देखने वाली बात रहेगी कि दशकों से राजनीति के धुरंधर रहे लालू यादव की इन बातों पर विपक्ष कितना ध्यान दे पाता है.

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