Politalks.News/MP. मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए उपचुनावों की जंग के बीच तीखी नोकझोंक और बयानबाजी पहले से भी कर्कश होती जा रही है. इसी बीच सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के बेटे और विधायक जयवर्धन सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहकर संबोधित कर दिया. इतना ही नहीं, जयवर्धन ने ये भी कहा कि सिंधिया के लिए सत्य के मायने अलग हैं. 1857 में जो गद्दारी की थी, वह उनका सत्य था. इस पर सांवेर से भाजपा के उम्मीदवार तुलसी सिलावट भड़क गए. तुलसी ने कहा, ‘आप उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था लेकिन आज हद पार कर दी.’ तुलसी ने दिग्गी के परिवार के अकबर से लेकर जाकिर नाइक तक के किस्से गिनाने की धमकी दी.
मध्यप्रदेश में चुनावी जंग में विकास और आम लोगों की बात न होकर निजी हमले हो रहे हैं. पहली बार गद्दार के बयान को लेकर दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हुए हैं. ताजा मामले में दिग्गी राजा के नवाब और विधायक जयवर्धन सिंह ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार कहा. जयवर्धन ने कहा, ‘सिंधिया के लिए सत्य के मायने अलग है. 1857 में जो गद्दारी की थी, उस समय उसको भी यह सत्य की जीत का नाम ही देते थे. जो सत्य था आज इतिहास उसका गवाह है. संयम रखिए… जनमत और इतिहास न्याय करेगा.’
जयवर्धन सिंह ने कहा कि प्रदेश की 28 सीटों पर संभावित हार के डर से इमरजेंसी में दुगनी कीमत पर खरीदी की गई है. बस यही कहना चाहता हूं कि इतिहास घास की रोटी खाने वालों के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि हम आखिरी सांस तक जनता के अधिकार, लोकतंत्र और संविधान के लिए लड़ेंगे. दिल्ली और भोपाल में भाजपा की सरकार बैठी है. उसके बाद भी प्रदेश के किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है. शिवराज सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए जयवर्धन सिंह ने कहा कि लालच और स्वार्थ की लड़ाई को उसूलों का नाम देकर महा धोखा किया गया है. 35 करोड़ का पिटारा खुल चुका है.
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जयवर्धन सिंह यहीं नहीं रूके और उन्होंने सिंधिया के साथ चुनाव आयोग पर भी निशाना साध दिया. जयवर्धन ने कहा, ‘हताश और निराश गद्दारों को विश्वास हो गया है कि वो चुनाव हार रहे हैं इसलिए पैसा बांटने का आखिरी दांव चला जा रहा है. चुनाव आयोग भले ही धृतराष्ट्र बन जाए, पर ये जनता कृष्ण बनकर न्याय करेगी. महाराज छाती पीटकर लाल-पीले होकर तम तमा कर बोल रहे हैं कि चुनाव मैं लड़ रहा हूं और यह चुनाव मेरा है. सबको मालूम है कि यह चुनाव आपके व्यक्तिगत अहम के कारण ही प्रदेश को भोगना पड़ रहा है. जिस समय दुनिया कोविड से लड़ रही थी, आपने प्रदेश को चुनाव लड़ने पर मजबूर कर दिया.’
जयवर्धन के आरोपों पर सिंधिया भक्त तुलसी सिलावट भले कैसे चुप रह पाते. उन्होंने जयवर्धन पर भड़कते हुए कहा कि आप उम्र में छोटे हैं इसलिए अभी तक जवाब नहीं दे रहा था. महाराष्ट्र में आपकी सहयोगी शिवसेना ने सामना में लिखा और कई अखबार आपके पूर्वजों की देश और धर्म के साथ गद्दारी के किस्सों से रंगे पड़े है. एक शीर्षक है- मुगलों और अंग्रेजों के मुखबिर थे दिग्गी के पूर्वज. सच को खंडित नहीं किया जा सकता हुजूर. पहले मराठा युद्ध में गरीबदास की भूमिका को कैसे खंडित करेंगे? जाकिर नाइक जैसे दरिंदे को शांति दूत मानने को कैसे खंडित करेंगे?
तुलसी ने आगे कहा कि शिवसेना के उद्धव जी ने जिन शब्दों के साथ आपके परिवार का आदर किया था. उनसे भी उसका खंडन करवाएंगे क्या? इस पर जयवर्धन भी आमने सामने की लड़ाई पर आ गए. जयवर्धन ने पलटवार करते हुए कहा कि खंडन तो किया था, वो बात अलग है कि वो सामना में नही छप सकता है. हमारे यहां एक गांव है विजयपुर, जिसका नाम विजयपुर तात्या टोपे द्वारा अंग्रेजों पर विजय के उपरांत रखा गया था.
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उस युद्ध में हमारे पूर्वजों का भी सहयोग था. जीवित सबूत भी मौजूद है. फिर भी आपको ज्यादा जानकारी चाहिए तो विजयपुर ही चले जाएं. संत पीपाजी हमारे पूर्वज हैं और हमारे परिवार के पास हिंदुपत की उपाधि है. संत पीपाजी और हिंदुपत के वारे में जानकारी प्राप्त कर ले इतिहास का पता चल जाएगा.
इस पर पुन: तुलसी ने कहा- पीपाजी का नाम लेकर मुगलों की और अंग्रेजों की मुखबिरी को जस्टिफाई करने की कोशिश मत कीजिए हुजूर. बात निकली है, तो बहुत दूर तक जाएगी.