ये पहला मौका नहीं है जब बीजेपी और क्षत्रपों में आपसी ठनक देखी गई है. 2014 के आम चुनाव के बाद जिस तरह से नरेंद्र मोदी की लहर उठी, उस लहर में विपक्ष पूरी तरह से बहता चला गया. इनके बीच क्षत्रपों की नींव भी कहां बचने वाली थी. इसका परिणाम निकला कि उत्तरप्रदेश में बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता पर आसीन हुई. कई मायनों में ये जीत खास रही. बीजेपी की इस जीत ने मायावती और मुलायम सिंह यादव की पकड़ को यूपी में खत्म करके रख दिया.

महाराष्ट्र में भी कमोबेश यही स्थि​ति देखने को मिल रही है. हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से शिवसेना और बीजेपी में लंबी बातचीत हुई, मसलों को सुलझाया गया, उसके बाद दोनों पार्टियों में गठबंधन हुआ. दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा और प्रचड़ जीत भी हासिल की.

यह भी किसी से छुपा नहीं है कि मुख्यमंत्री पद के विवाद को लेकर यहां आने वाले विधानसभा चुनाव में शायद स्थिति कुछ और ही दिख सकती है. आए दिन किसी न किसी बात को लेकर दोनों के बीच टकराव बना ही रहता है. दोनों ही दल विधानसभा चुनाव में पूरा जोर लगाने में लगे हैं.

बीजेपी के साथ ममता दीदी के बीच टकराव भलां कौन भूल सकता है. पिछले एक साल में जिस तरह की तल्खि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी में देखने को मिली है, वो शायद इतिहास में कभी नहीं हुआ. मामला इतना गर्मा गया कि बंगाल में हिंसक घटनाएं तक पनपी.

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ममता बनर्जी ने न केवल जुबानी तीर चलाए बल्कि चुनावी रैलियों में बीजेपी के दिग्गजों को वहां आने तक की इजाजत नहीं दी. आए दिन हिंसक घटनाएं, जुलूस, विरोध प्रदर्शन इस स्थिति को विकट बना रहे थे. निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति के बाद अब नौबत यहां तक आ पहुंची है कि इन सबके बीच कई कार्यकर्ताओं की जिंदगी तक चली गई. बंगाल अभी तक शांत नहीं हुआ है.

बिहार में भी सियासी हलचल चरम पर है. पिछले दिनों बीजेपी के दिग्गज़ नेता का जदयू के नेताओं पर सवाल उठाना, इफ्तार पार्टी में शामिल न होना और मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी का कोई रोल नहीं होना, सभी बातें केवल इस ओर इशारा करती हैं कि बीजेपी और जेडीयू में सब ठीक-ठाक तो नहीं है. हालांकि दोनों ने ही इस बात को कभी स्वीकारा नहीं है.

फिलहाल संसद भवन में हुए अभिभाषण में जिस तरह से बीजेपी ने अपने वायदों को सामने रखा, उसमें ये देखना होगा जब उनके खुद के ही घटक दल और अन्य दलों के साथ खटास चरम पर है तो कैसे सबका साथ लेकर कोई बिल ला पाएंगे और कैसे उन वायदों को पूरा कर पाएंगे.

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