राज्यसभा सीटों पर नामांकन के लिए पर्चा दाखिल हो चुके हैं. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बीजेपी ने ओडिसा से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है. यहां बीजेपी अल्पमत में है. 147 सीटों वाली ओडिशा विधानसभा में बीजू जनता दल (बीजद) के 109 विधायक हैं. बीजेपी के पास 22 और कांग्रेस के पास 9 सीटें हैं. राज्यसभा के लिए नामित तीन उम्मीदवारों में से सभी को पहली प्राथमिकता के आधार पर 38 वोटों की जरुरत है. इसी के चलते कयास लग रहे थे कि बीजद अपना तीसरा उम्मीदवार राज्यसभा के लिए खड़ा करेगी. हालांकि अंत समय पर नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सत्ताधारी बीजद ने बीजेपी का समर्थन करते हुए अश्विवी वैष्णव को उच्च सदन में पहुंचने की राह को आसान कर दिया है.
ओडिसा की सत्ताधारी पार्टी बीजद की ओर से पार्टी के पूर्व विधायक देबाशीष और यूथ विंग के वाइस प्रेसिडेंट सुभाषीश खूंटिया ने नामांकन दाखिल किया है. वहीं तीसरे उम्मीदवार के रुप में बीजद ने अश्विनी वैष्णव को राज्यसभा उम्मीदवारों के समर्थन का ऐलान किया है. अश्विनी वैष्णव को बीजद के दो राज्यसभा सांसदों के चुनाव के बाद बचे हुए 33 वोट मिलेंगे. इसके अलावा बीजेपी के 22 विधायक पहले से हैं. इस तरह रेल मंत्री का दूसरी बार ओडिशा से राज्यसभा जाना तय है. काबिलेगौर है कि पिछली बार भी बीजद ने उनका समर्थन किया था.
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बीजद के समर्थन से वैष्णव का राज्यसभा जाना एक अहम बात है. यह लोकसभा चुनाव के लिए बनते नए समीकरणों का भी संकेत देता है और 2024 के बाद किसी भी तरह की जरुरत पड़ने पर दोनों दलों के एक साथ आने की संभावनाओं के द्वार भी खोलता है. यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि एक तरफ इंडिया अलायंस में बिखराव की स्थिति है तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी नए दलों और नेताओं को साथ ला रही है.
एक सिक्के के दो पहलू हैं बीजेपी-बीजद
राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार आरोप लगाते रहे हैं कि ओडिशा में बीजेपी और बीजद साथ हैं. दोनों के बीच कोई फर्क नहीं है. माना जा रहा है कि इस फैसले के बाद यह हमला पहले से तेज हो सकता है. राहुल गांधी ने पिछले दिनों ओडिशा के झारसुगुड़ा में कहा था कि मैं बीजेपी के लोगों के पास गया तो उन्होंने कहा कि हमें हाईकमान से आदेश मिला है कि मोदी सरकार की आलोचना न करें. दोनों एक ही सिक्के के पहूल हैं और उनमें कोई अंतर नहीं है.
सभी राज्यसभा उम्मीदवारों का चुनाव निर्विरोध
27 फरवरी को 15 राज्यों की 56 राज्यसभा सीटों पर मतदान होना है. नामांकन की अंतिम तिथि 15 फरवरी थी, जिसके बाद सभी नामांकन सही पाए गए हैं. इन सभी सीटों में से अधिकांश पर टकराव की कोई स्थिति नहीं है. करीब करीब सभी का निर्विरोध उच्च सदन में पहुंचना निश्चित है. आगामी दो से तीन महीनों में होने जा रहे लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राज्यसभा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों ने साझेदारी और गठबंधन की कोशिशें तेज कर दी हैं.
हालांकि इस अहम पड़ाव पर कुछ दिग्गजों का पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल होने और सीट बंटवारे में सहमति ने बनने के कारण गठबंधन में शामिल पार्टियों के अलग चुनावी मैदान में उतरने से इंडिया अलायंस को भारी झटका लगा है. ओडिशा में बीजद के बीजेपी को समर्थन देने से एक नया सियासी समीकरण भी बनने नजर आ रहा है. कहना गलत न होगा कि राज्यसभा चुनाव के परिणामों से लोकसभा चुनाव 2024 का पूरा तो नहीं लेकिन नतीजों की एक झलक तो सामने आ ही सकती है.