राजस्थान विधानसभा में अद्भुत नाटकीय घटनाक्रम चल रहा है. यह सिर्फ राजनीति है या इसका जनहित से कोई लेना-देना भी है, इसका निर्णय कोई नहीं कर सकता. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी कायदे-कानून को लेकर सख्त हैं और कांग्रेस-भाजपा के विधायक एक दूसरे पर तीर चलाने में कोई कंजूसी नहीं करते. नतीजा यह कि विधानसभा में हंगामा होता रहता है और लोग उसे नाटक की तरह देखते रहते हैं.

विधानसभा में प्रश्नकाल होता है. विधायक प्रश्न पूछते हैं. संबंधित विभाग के मंत्री जवाब देते हैं. पिछली सरकार भाजपा की थी. यह सरकार कांग्रेस की है. सवाल-जवाब के दौर में पिछली सरकार के कार्यों का जिक्र होता रहता है. इसमें विधायकों की रोचक निशानेबाजी देखने को मिलती है.

विधानसभा अध्यक्ष जोशी प्रश्न पूछने वाले विधायकों के अलावा अन्य सदस्य के पूरक प्रश्न पूछने पर टोकते हैं और विषय से अलग हटकर पूछे गए प्रश्नों को रोक देते हैं. इस पर भाजपा के सदस्य हंगामा करते हैं. जब से विधानसभा शुरू हुई, एक दिन भी ऐसा नहीं निकला, जब प्रश्नकाल में रुकावट पैदा नहीं हुई है. कई प्रश्न अटक गए. विधायक अपने-अपने क्षेत्रों के जन प्रतिनिधि हैं. क्षेत्र की समस्याओं को लेकर विधानसभा में उपस्थित होते हैं. सरकार से सवाल पूछते हैं. सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी सवालों के जवाब दे. यही शासन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया है.

अगर प्रश्नकाल में सूचीबद्ध सभी प्रश्नों के जवाब मंत्री की तरफ से मिलने का सिलसिला जारी रहता है तो लगता है कि सरकार चल रही है. विधायक भी अपना काम कर रहे हैं. लेकिन यहां तो प्रश्नकाल को ही रोकने का प्रयास हो रहा है. भाजपा विधायक कर रहे हैं. यह कांग्रेस सरकार को काम नहीं करने देने की राजनीति है. सोमवार को तो भाजपा विधायकों ने गजब कर दिया. बांह पर काली पट्टी बांधकर और मुंह पर सफेद पट्टी बांधकर सदन में आ गए.

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का कहना है कि पहले से जो प्रावधान हैं, उन्हें ही लागू किया है. सवाल करने से कौन रोक रहा है?  मैं चाहता हूं कि हर विधायक सवाल लगाए और सरकार जवाब दे. लेकिन किसी दूसरे के सवाल पर कोई तीसरे व्यक्ति को पूरक प्रश्न की इजाजत नहीं है. विधानसभा में उप नेता, प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि प्रश्नकाल में नई व्यवस्था लागू करके सरकार ने विपक्षी विधायकों की आवाज को दबाने का काम किया है. अध्यक्ष नहीं चाहते कि हम सवाल-जवाब करें. सवाल करना हमारा संवैधानिक अधिकार है.

भाजपा का विरोध अपनी जगह ठीक है, लेकिन इस मुद्दे पर सदन में नाटकीय तरीके से चुप्पी साधने का अभिनय और कोई प्रश्न नहीं पूछना कहां तक उचित है? भाजपा प्रमुख विपक्षी पार्टी है. उसके विधायक सरकार से सीधे सवाल पूछ सकते हैं. मुंह पर पट्टी बांधकर सदन में बैठने से क्या साबित होगा? गौरतलब है कि भाजपा की यह रणनीति प्रश्नकाल को ही बाधित करने के लिए है. प्रश्नकाल के अलावा विधानसभा ठीक से चल रही है. प्रश्नकाल खत्म होने के बाद शून्यकाल से भाजपा विधायक सक्रिय हो जाते हैं.

सोमवार को विधानसभा में गृह, न्याय, आबकारी एवं कारागार विभागों की अनुदान मांगों पर बहस हुई. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, दानिश अबरार, साफिया जुबेर सहित कई विधायकों ने बहस में भाग लिया. राज्यमंत्री भजनलाल जाटव और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से प्रभारी मंत्री शांति धारीवाल ने बहस का जवाब दिया. विधानसभा में भाजपा के विधायक दिन भर बांह पर काली पट्टी बांधकर बैठे रहे.

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