राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने दिया बयान, सीजफायर और अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ऐलान करने पर बोले अशोक गहलोत, कहा- यह तो पूरी तरह हमारी सरकार का निर्णय होना चाहिए था, सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा- वर्तमान परिस्थितियों में भारत के ऊपर बनाए गए अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखकर मेरे बचपन के दो वाकये याद आते हैं जिसमें भारत ने सभी अंतरराष्ट्रीय दबावों को पाछे छोड़ कर कार्रवाई की थी, ये 1961 की बात है जब मैं छठवीं कक्षा में था, 1961 तक गोवा राज्य पुर्तगाल के कब्जे में था, इसके भारत में विलय के लिए पंडित नेहरू की सरकार ने सैन्य ऑपरेशन विजय शुरू किया, पुर्तगाल NATO का सदस्य देश था इसलिए पुर्तगाल के इलाके में सैन्य ऑपरेशन NATO के खिलाफ माना जाता और भारत पर पश्चिमी देश आक्रमण कर सकते थे, अमेरिका के राजदूत ने भी पंडित नेहरू से मिलकर सैन्य कार्रवाई न करने का अनुरोध किया परन्तु पंडित नेहरू की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं सेना के शौर्य ने पुर्तगालियों को खदेड़ दिया और गोवा का भारत में विलय किया, गहलोत ने आगे कहा- जब मैं यूनिवर्सिटी में आया यानी 1974 तक सिक्किम चोग्याल राजवंश का एक स्वतंत्र राजतंत्र था, यहां की महारानी अमेरिका की रहने वाली थीं जिस वजह से सिक्किम को अमेरिका का समर्थन था, 1974 में इन्दिरा गांधी की सरकार ने सिक्किम के भारत में विलय के लिए अभियान चलाया, तब अमेरिका ने भारत पर दबाव डाला और कार्रवाई तक की चेतावनी दी परन्तु इन्दिरा जी ने इस सबको अनदेखा कर सिक्किम को भारत का हिस्सा बनाया, कांग्रेस नेता ने आगे लिखा- पूर्व में भारत कभी अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे नहीं झुका इसलिए ही हम देशवासियों के गले यह बात नहीं उतर रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीजफायर का ऐलान कैसे कर दिया। यह तो पूरी तरह हमारी सरकार का निर्णय होना चाहिए था, इन्दिरा जी के समय से ही भारत की नीति है कि भारत-पाकिस्तान के मामले में किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं होगा, हाल में हुए सैन्य ऑपरेशन पर अमेरिका के दखल से पूरा देश चिंतित है कि ऐसी क्या मजबूरी रही जिससे केन्द्र सरकार ने किसी तीसरे देश को दखल देने दिया