राजस्थान में मदन लाल सैनी के निधन के बाद उनकी जगह नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति इस महीने होने की संभावना है. उनके निधन के बाद से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद खाली है. हालांकि इससे भाजपा को कोई ज्यादा असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बगैर ही सदस्यता अभियान जोरशोर से जारी है. संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सदस्यता अभियान समाप्त होने के बाद संगठन चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया जाएगा.
विश्वसनीय सूत्रों से खबर मिली है कि प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र गहलोत को संगठन चुनाव प्रभारी और प्रदेश महामंत्री कैलाश मेघवाल को सह प्रभारी बनाया जा रहा है. जल्दी ही इनकी नियुक्ति की घोषणा हो सकती है. संगठन चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. रविवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में सदस्यता अभियान को लेकर बैठक हुई, जिसमें संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और अभियान के संयोजक सतीश पूनिया ने सभी जिलों की समीक्षा की.
बीजेपी के जिन नेताओं का नाम प्रदेशाध्यक्ष के लिए चर्चा में है, उनमें सतीश पूनिया का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान में बीजेपी की कमान सतीश पूनिया के हाथों में सौंपने के बारे में मन बना लिया है. पूनिया वर्तमान में आमेर से विधायक हैं और संगठन में उनके पास प्रदेश प्रवक्ता का जिम्मा है. पूनिया संघ पृष्ठभूमि से हैं और उन्हें संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है. वे लगातार चार बार बीजेपी के प्रदेश महामंत्री रहे हैं.
हालांकि एक चर्चा यह भी है कि बीजेपी किसी जाट को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर राजपूतों की नाराज नहीं करना चाहेगी. इस स्थिति में किसी ब्राह्मण नेता को मौका दिया जा सकता है. यदि इस दिशा में विचार होता है तो अरुण चतुर्वेदी का नाम सबसे ऊपर है. संघ पृष्ठभूमि से जुड़े चतुर्वेदी पहले भी प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं. वे पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. किसी ब्राह्मण नेता के प्रदेशाध्यक्ष बनने की संभावना इसलिए भी है, क्योंकि परंपरागत रूप से बीजेपी की समर्थक मानी जानी वाली इस जाति को मोदी के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है.
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एक संभावना यह भी है कि जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अमित शाह उनके पक्ष में बताए जाते हैं, इसीलिए इस बार उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. चूरू के विधायक राजेन्द्र राठौड़ का नाम भी चल रहा है, लेकिन उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना इसलिए कम है, क्योंकि वह जनता दल छोड़कर भाजपा में आए हैं. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ नए भाजपा नेता हैं, इसलिए उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावना भी कम ही है. बताया जाता है कि भाजपा संघ की पृष्ठभूमि के किसी व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहता है.
भाजपा का एक खेमा राजसमंद की विधायक दीया कुमारी का नाम आगे कर रहा है. इस खेमे के नेताओं का मानना है कि जयपुर राजघराने से जुड़ी दीया कुमारी वसुंधरा राजे को चुनौती दे सकती है. बहरहाल यह सिर्फ कयास है. मदन लाल सैनी को जब प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था, तब राजनीतिक परिस्थितियां अलग थीं. राजस्थान में भाजपा सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं. अब सत्ता में कांग्रेस है.
मीडिया में खबरें नारायण लाल पंचारिया को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाने की आ रहीं हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चाहती हैं कि भाजपा के राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. पंचारिया के नाम पर सहमति हो सकती है, क्योंकि वह भी मदन लाल सैनी की तरह पार्टी में निर्विवाद नेता हैं. पंचारिया संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं और लंबे समय से दिल्ली में सक्रिय हैं. बताया जाता है कि भाजपा इस बार संघ की पृष्ठभूमि के व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है.
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यह जरूर तय है कि प्रदेशाध्यक्ष का फैसला मोदी-शाह ही करेंगे. आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेशाध्यक्ष पद पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पार्टी नेतृत्व के बीच जबरदस्त खींचतान देखने को मिली थी. पिछले साल अप्रेल में यह घटनाक्रम उस समय सामने आया जब दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी. इस हार की गाज वसुंधरा राजे के ‘यस मैन’ माने जाने वाले अशोक परनामी पर गिरी. उन्होंने अमित शाह के कहने पर 16 अप्रेल को प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी राजे को किनारे करने का सिलसिला जारी है. उनसे अदावत रखने वाले नेताओं को चुन-चुनकर ताकतवर बनाया गया है. जिन गजेंद्र सिंह शेखावत को वसुंधरा ने प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनने दिया वे मोदी के मंत्रिमंडल में राजस्थान के इकलौते कैबिनेट मंत्री हैं. जिन ओम बिरला को कोटा से टिकट देने का राजे ने विरोध किया, वे लोकसभा के अध्यक्ष बन चुके हैं और अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल अभी तक का सर्वश्रेष्ठ कार्यकाल माना जा रहा है. इस स्थिति में यह लगता नहीं है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह प्रदेशाध्यक्ष के मामले में वसुंधरा राजे से कोई राय-मशविरा भी करेंगे. अब तो वही मुमकिन होगा जो मोदी-शाह चाहेंगे.
खैर, राजस्थान प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में करीब एक दर्जन नेता और भी शामिल हैं, जिनमें सीपी जोशी, मदन दिलावर, वासुदेव देवनानी और कैलाश मेघवाल प्रमुख आदि प्रमुख हैं.