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सावन का महीना...राजनीति में मचा है सोर, जयपुर में घबराए जिया अब जैसलमेर में नाचे मोर... ओह्ह ओह्ह
जिनके बलम बैरी, गए हैं बिदेसवा. लाई है जैसे उनके, प्यार का संदेसवा, काली अंधियारी, घटाएं घनघोर...बताने की जरूरत नहीं की कौनेसे बलम बैरी हो गए हैं, यह भी बताने की जरूरत नहीं कि कौनसे परदेस गांव में जाकर बैठ गए हैं...