Politalks.News/Rajasthan. जाने माने शायर शौक बहराइची का एक शेर जो उन्होंने कभी मुल्क के घटिया राजनीतिक हालातों पर व्यंग्य करते हुए लिखा था कि अमर हो गया. शेर था- “बर्बाद गुलिस्तां करने को तो एक ही उल्लू काफी था… यहां हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम -ए-गुलिस्तां क्या होगा.” अब महान शायर बहराइची साहब हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनका यह शेर आज भी राजनीति की कड़वी सच्चाई को बयां करता है. वो अलग बात है कि सियासी चश्मा लगा होने के कारण, ऐसा कुछ होता नजर नहीं आता. अगर ऐसा नहीं होता तो बशीर बद्र साहब क्यों लिखते कि – “घरों पर नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे… बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला.” चलिए छोड़िए साहेब शेरो शायरी तो होती रहेगी. कुछ खास खबरों पर नजर डाल लेते हैं.
न्यूज-1. चार्टर विमान से जयपुर से जैसलमेर ले जा गए कांग्रेस विधायक…- इतना भी डर काहे बात का साहेब. जो बस से कूदकर भाग सकते हैं, वो पैराशूट बांधकर भी तो हवा में उड़ सकते हैं. चिंता मत कीजिए. जिसे नहीं बिकना होगा वो जयपुर में भी नहीं बिका होगा, जैसलमेर में भी नहीं बिकेगा और जो बिक गया होगा या जो बिकेगा ही, उसे आप जयपुर रखें या फिर जैसलमेर. क्या फर्क पड़ता है.
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न्यूज-2. मुख्यमंत्री बोले विधायकों के रेट बढ़ गए, 35 करोड़ तक ही नहीं अब अनलिमिटेड वाला ऑफर है… अगर ऐसा है तब तो जिन्होंने पहले वाली ऑफर ले ली वो तो घाटे में रहे, वैसे यह अनलिमिटेड शब्द सुना-सुना से लगता है, रिलायंस की जीओ की सिम के साथ इस अनलिमिटेड शब्द का गहरा संबंध रहा है.
न्यूज-3. एसओजी के बाद अब एसीबी को भी नहीं मिल रहे विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा…. मिलेंगे कहां से साहेब, हरियाणा में भगवा के मजबूत सुरक्षा चक्र में जो बैठे हैं, इतने दिन इंतजार किया है, तो कुछ दिन और सही, 14 अगस्त को तो आएंगे ही, तब दोनों आपकी ही सुरक्षा में होंगे.
न्यूज-4. कांग्रेस बोली जो दल बदल करे, उसके खिलाफ सजा का प्रावधान होना चाहिए… हुजूर, 70 सालों में कितने ही साल आपकी पार्टी की सरकार रही, तब बनवा देते ऐसा कोई कानून तो आज ये दिन तो नहीं देखने पड़ते.
न्यूज-5. बीएसपी मामले में हाईकोर्ट ने कांग्रेस खेमे में बैठे 6 विधायकों को दिए नोटिस…. देख लिजिए जनाब. अब विधायकों को नोटिस भी लेने पड़ेंगे, जवाब भी देना पड़ेगा, आखिर यह कैसे हो सकता है, जीतकर हाथी पर आए, बैठे हाथ में हैं, कोर्ट को समझाना तो पड़ेगा.
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न्यूज-6. विधानसभा सत्र के लिए चौथी बार में गहलोत सरकार को मिली राज्यपाल से परमिशन… बहुत अच्छा रहा, चार बार में काम हो जाना भी कम बड़ी बात नहीं है, अब सबको समझ में आ गया होगा कि संविधान होता क्या है.
चलिए आपको आखिर में खुर्शीद अहमद सहाब का एक शेर सुना देते हैं, क्या खूब कहा कि- “सरों पर ताज रक्खे थे, कदम पर तख्त रक्खा था… वो कैसा वक्त था, मुट्ठी में सारा वक्त रक्खा था”.



























