देश में लोकसभा चुनाव का 5वां चरण का मतदान कल है. इस दौरान राज्यों की 51 संसदीय सीटों पर मतदान होगा. सोमवार को ही प्रदेश में लोकसभा चुनावों का दूसरा चरण है जिसमें प्रदेश की 12 सीटों पर 2.30 करोड़ से अधिक मतदाता सत्ताधारियों की किस्मत का फैसला करेंगे. लेकिन दौरान कांग्रेस और बीजेपी के चेहरों पर चिंता की गहरी लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं. वजह है तीन सरकारी अवकाश, जो लगातार आ रहे हैं. 5 मई को रविवार, 6 मई को मतदान और 7 मई को अक्षय तृतीया की सरकारी छुट्टी है. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों को यह चिंता सता रही है कि अधिकांश लोग इस छुट्टियों का फायदा आउटिंग के लिए करेंगे न कि वोट डालने के लिए. कई प्राइवेट कार्यालयों में सोमवार की आधे दिन की छुट्टी है लेकिन सरकारी कर्मचारियों के बारे में बात करें तो बीजेपी-कांग्रेस की चिंता करना पूरी तरह जायज़ है.
6 मई को रमजान भी शुरू हो रहे हैं. ऐसे में मुस्लिम वोटर्स का वोट डालने पोलिंग बूथ तक आना भी पूरी तरह से पर्दे के पीछे की बात है. चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के समय इस बात को लेकर काफी हंगामा हो चुका है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए परेशानियां बढ़ेंगी क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक परम्परागत तौर पर कांग्रेस का पक्षधर है.
वहीं 7 मई को परशुराम जयंती है. पूर्व वसुंधरा सरकार ने जाते-जाते परशुराम जयंती को सरकारी अवकाश घोषित किया था. ऐसे में तीन दिन का बड़ी छुट्टी होने का अवसर सरकारी कर्मचारी खोना नहीं चाहंगे. अगर ऐसा होगा तो नुकसान दोनों पार्टियों को होगा, यह निश्चित है. खासतौर पर इसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि शहरी वोटर का बीजेपी से गहरा संबंध है.
7 मई को ही आखातीज और अक्षय तृतीया भी है. आखातीज शादियों के लिए एक अबुछ सावा है. ऐसे में जिन घरों में शादी का माहौल है, उनका भी पोलिंग बूथ तक आना थोड़ा मुश्किल होगा. अक्षय तृतीया खास तौर पर गांवों में मनाई जाती है. ग्रामीण वोटर्स कांग्रेस का मजबूत पक्ष रहा है. अगर ग्रामीण इलाकों से वोटिंग कम होती है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा.
खैर, जो भी होगा, वह तो मतदान के दिन पता चल ही जाएगा. लेकिन 5वें चरण के इस मतदान के बाद बनी इस अवकाश की स्थिति ने दोनों पार्टियों और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के चेहरों पर चिंता की गहरी लकीरें तो खींच ही दी है.