पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश में जारी इस संकट के समय में यूपीए सरकार की मनरेगा योजना ग्रामीण श्रमिकों के लिए संजीवनी बनी हुई है. राजस्थान में गहलोत सरकार द्वारा ग्रामीण श्रमिकों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार देकर आर्थिक संबल देने के लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे है. प्रदेश में मनरेगा के तहत देश में सर्वाधिक 50 लाख से अधिक ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री सचिन पायलट ने कहा मनरेगा योजना के तहत श्रमिक नियोजन प्रतिदिन 50 लाख से अधिक हो गया है. इस योजना के तहत करीब 13 लाख प्रवासी श्रमिक भी रोजगार पा रहे हैं.
सचिन पायलट ने बताया कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के चुनौती भरे इस समय में मनरेगा के तहत रोजगार मिलने से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को भरपूर आर्थिक संबल मिल रहा है. लॉकडाउन के कारण जहां अप्रेल माह में केवल 62 हजार श्रमिकों को रोजगार मिल रहा था, वहीं विभाग के प्रयासों से आज 50.20 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है.
पायलट ने आगे बताया कि प्रदेश के भीलवाड़ा जिले में सर्वाधिक 4.11 लाख से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है. इसी प्रकार डूंगरपुर जिले में 3.55 लाख, बांसवाड़ा जिले में 3.50 लाख तथा अजमेर जिले में 2.67 लाख से अधिक श्रमिकों को मनरेगा में रोजगार मिल रहा है.
मनरेगा के तहत प्रवासी श्रमिकों को मिल रहे रोजगार को लेकर सचिन पायलट ने कहा कि मनरेगा में रोजगार पा रहे 13 लाख प्रवासी श्रमिकों में से लगभग सवा ग्यारह लाख के पास पहले से ही जॉब कार्ड थे और लगभग पौने दो लाख प्रवासी श्रमिकों को नये जॉब कार्ड जारी किये गये है.
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पायलट ने कहा कि बताया कि लॉकडाउन की वजह से लाखों की संख्या में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा से रोजगार मिला व उन्हें आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिली है. इसके साथ ही पायलट ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा कार्यस्थल पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइड लाईन की पालना की जा रही है.