राजस्थान में दूसरे चरण की 12 लोकसभा सीटों पर प्रचार का आज अंतिम दिन है. दोनों दलों के दिग्गजों ने ताबड़तोड़ सभाएं करते हुए सियासी फिज़ा अपने पक्ष में बहाने की खूब कोशिशें की. ऐसे में दूसरे चरण की प्रदेश की कईं सीटों पर मुकाबला पहले फेज़ की तुलना में रोचक और कांटे का हो गया है. सात सीटों पर मुकाबला बराबरी का दिख रहा है. वहीं जयपुर शहर, चूरु और श्रीगंगानगर सहित तीन सीटों पर बीजेपी मुकाबले में कहीं आगे दिख रही है. सीकर और करौली में कांग्रेस बेहद मजबूत स्थिति में है. सबसे कांटे की टक्कर नागौर, अलवर, दौसा, बीकानेर और जयपुर देहात में दिख रही है. झुंझुनूं और भरतपुर में मुकाबला बराबरी का बनता जा रहा है.

बीजेपी इन सीटों पर बेहद मजबूत…

श्रीगंगानगर:
यहां मुकाबला बीजेपी केे निहालचंद मेघवाल और कांग्रेस के भरत मेघवाल के बीच है. दो मेघवालों में मुकाबला होने के चलते जातिगत समीकरणों के आधार पर हार-जीत का आकलन करने का कोई तुक नहीं है. निहालचंद मेघवाल पूरी तरह से मोदी चेहरे और मोदी लहर के भरोसे वोट मांग रहे हैं. यहां मोदी इम्पैक्ट की बदौलत निहालचंद शुरुआत से ही बढ़त बनाते हुए दिखे. भरत मेघवाल को अपनों के ही विरोध से जूझना पड़ रहा है.

जयपुर शहर:
यह सीट बीजेपी का परम्परागत गढ़ रही है. चुनाव की शुरुआत से ही कांग्रेस यहां संघर्ष करती नजर आई. यहां से बीजेपी ने मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा और कांग्रेस ने पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल को उम्मीदवार बनाया है. सीट पर परिणाम क्या रहेगा, यह तो सीएम अशोक गहलोत के बयान से साफ समझा जा सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जयपुर में विकास तो खूब कराया लेकिन पता नहीं जयपुर शहर की जनता क्या चाहती है. दूसरी ओर, पीएम मोदी की सभा ने बीजेपी की रही सही कसर पूरी कर ली. कांग्रेस गुलाबी नगर में अभी तक तीन बार ही चुनाव जीत पाई है. भितरघात कांग्रेस के लिए अंतिम दौर तक बड़ी चुनौती साबित होगा.

चूरु:
चूरु में कांग्रेस ने अपने अल्पसंख्यक वोटर्स को खुश रखने के लिए मुस्लिम को टिकट देने का प्रयोग जारी रखा. जाट बाहुल्य इलाके में कांग्रेस ने रफीक मंडेलिया के रूप में मुस्लिम को मौका देकर वाकई में बहुत बड़ा रिस्क लिया है. बीजेपी ने जाट कार्ड और मौजूदा सांसद राहुल कस्वां पर फिर दांव खेला है. हालांकि मंडेलिया ने पैसों की बदौलत माहौल में गर्माहट बनाने की कोशिशें की लेकिन जातिगत समीकरण साधने में नाकाम रहे.

कांग्रेस दो सीटों पर मजबूत…

सीकर:
यहां कांग्रेस ने मैनजेमेंट के माहिर सुभाष महरिया को मैदान में उतारा है. हालांकि पहले बीजेपी मुकाबले में बेहद पिछड़ी नजर आ रही थी लेकिन संघ की मेहनत और मोदी की सभा के बाद सुमेधानंद सरस्वती ने खूब कवर किया है. महरिया बीजेपी में पहले रह चुके हैं इसलिए उनकी हर रणनीति से वाकिफ है. लिहाजा महरिया मोदी लहर में अपने कौशल और मैनजमेंट से अभी भी मुकाबले में बहुत आगे दिख रहे हैं. हालांकि अब उनकी जीत का अंतर पहले के मुकाबले ज्यादा होता नहीं दिख रहा है.

करौली-धौलपुर:
इस सीट पर कांग्रेस सियासी और जातिगत समीकरण सहित दोनों क्षेत्रों में बेहद अच्छी स्थिति में है. लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक पर बीजेपी विधायक है. एक पर बसपा और अन्य छह सीटों पर कांग्रेस के विधायक है. जातिगत समीकरणों से कांग्रेस यहां बेहद मजबूत है. इस सीट पर कांग्रेस अच्छे अंतर से जीत का दावा कर रही है.

सात सीटों पर कड़ी टक्कर…
प्रदेश की शेष सात सीटों में से कहीं पर मुकाबला बेहद कांटे का तो कहीं पर सीधी टक्कर है. नागौर, जयपुर देहात, बीकानेर, अलवर और दौसा में मुकाबला बेहद दिलचस्प है. झुंझुनूं और भरतपुर में भी मुकाबला मतदान की तारीखों तक बराबरी पर आने के पूरे आसार है. कुल मिलाकर कह सकते है कि पहले चरण के मुकाबले कांग्रेस दूसरे चरण में ज्यादा सीटें जीत सकती है. लेकिन मोदी लहर और साइलेंट वोटर्स ने अपना काम कर दिया तो फिर कांग्रेस की टक्कर वाली सीटों पर समीकरण बिगड़ सकते हैं.

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