राजस्थान सरकार ने नगर निगम, नगर परिषद और नगरपालिकाओं के वार्डों का पुनगर्ठन किया है. स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक व संयुक्त सचिव पवन अरोड़ा के अनुसार प्रदेश के सभी नगरीय निकायों के वार्डों का पुनर्गठन 2011 की जनगणना के अनुसार करने की अधिसूचना जारी की गई है. सरकार ने यह बदलाव नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 6 (1) और धारा 9 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए किया है.

अब 15000 तक की जनसंख्या के शहरों में 20 वार्ड, 15001 से 25000 तक की जनसंख्या के शहरों में 25 वार्ड, 25001 से 40000 तक की जनसंख्या के शहरों में 35 वार्ड, 40001 से 60000 तक की जनसंख्या के शहरों में 40 वार्ड, 60001 से 80000 तक की जनसंख्या के शहरों में 45 वार्ड, 80001 से 100000 तक की जनसंख्या के शहरों में 55 वार्ड और 100001 से 200000 तक की जनसंख्या के शहरों में 60 वार्ड होंगे.

200001 से 350000 तक की जनसंख्या के शहरों में 65 वार्ड, 350001 से 500000 तक की जनसंख्या के शहरों में 70 वार्ड, 500001 से 800000 तक की जनसंख्या के शहरों में 80 वार्ड, 800001 से 1000000 तक की जनसंख्या के शहरों में 85 वार्ड, 1000001 से 1500000 तक की जनसंख्या के शहरों में 100 वार्ड और 1500001 से ऊपर जनसंख्या वाले शहरों में 150 वार्ड गठित होंगे.

सभी नगरीय निकायों में निर्धारित सीटों की जनसंख्या के अनुसार वार्डों का गठन एवं पुर्नसीमांकन का कार्य मुख्य नगरपालिका अधिकारी को नगर नियोजक के सहयोग से नियत अवधि में पूर्ण करना है. इसके लिए राजस्थान नगरपालिका निर्वाचन नियम 1994 के तहत मुख्य नगरपालिका अधिकारी को प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त किया गया है. मुख्य नगरपालिका अधिकारी अपनी-अपनी पालिका क्षेत्र में वार्डों के गठन के संबंध में वार्डों की सीमा निर्धारित करेंगे और सीमा निर्धारण के प्रारूप एवं नक्शें पर आपत्ति आमंत्रित करेंगे तथा प्राप्त आपत्तियों का निराकरण करेंगे.

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