लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के बाद तमाम एग्ज़िट पोल प्रदेश में कांग्रेस को महज तीन से पांच सीटें दे रहे हैं. इसके बाद कांग्रेस में अभी से हार के कारणों को लेकर चर्चा शुरु हो गई है. कांग्रेस नेता अब मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने की रणनीति को कम सीटें आने के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं.

अगर कांग्रेस अजमेर से सचिन पायलट या रघु शर्मा, भीलवाड़ा से सीपी जोशी, झालावाड़ से प्रमोद जैन भाया, बाड़मेर से हरीश चौधरी, जयपुर शहर से महेश जोशी और जयपुर ग्रामीण से लालचंद कटारिया को मैदान में उतारती तो शायद कांग्रेस की अच्छी सीटें आ सकती थी. अब कांग्रेस के पास सिवाय मंथन और अफसोस के अलावा कुछ नहीं बचा है.

अजमेर
अगर खुद डिप्टी सीएम सचिन पायलट या मंत्री रघु शर्मा यहां से चुनाव लड़ते तो कांग्रेस शानदार मुकाबला कर सकती थी. दोनों नेता पहले यहां से सांसद रह चुके हैं. दोनों के मुकाबले रिजु झुंनझुनवाला बेहद कमजोर प्रत्याशी साबित हुए. बाहरी होने के चलते अजमेर के मतदाताओं की बात छोड़िए, खुद कांग्रेस के कईं नेताओं ने रिजु का साथ नहीं दिया. पायलट या रघु शर्मा लड़ते तो अजमेर सीट कांग्रेस आराम से निकाल सकती थी. वहीं रिजु को टिकट देकर कांग्रेस ने जीत सीधे थाली में परोसकर बीजेपी को दे दी.

भीलवाड़ा
मिनी नागपुर के नाम से पहचान बनाते भीलवाड़ा में कांग्रेस ने कमजोर मोहरे पर दांव खेला. विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद भी कांग्रेस ने कमजोर प्रत्याशी रामपाल शर्मा पर दांव खेला. यहां कांग्रेस अगर सीपी जोशी को मैदान में उतारती तो बाजी पलट सकती थी. लेकिन स्पीकर बनने के बाद सीपी को कांग्रेस ने चुनावी मैदान में उतारने पर विचार तक नहीं किया. जोशी पहले यहां से सांसद रह चुके हैं.

बारां-झालवाड़
यहां से मंत्री प्रमोद जैन भाया मैदान में उतरते तो मुकाबले में कांग्रेस नजर आ सकती थी. लेकिन भाया ने खुद चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई जिसके चलते बीजेपी से आए प्रमोद शर्मा को टिकट दिया गया. पू्र्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह के सामने शर्मा कहीं टिकते नजर नहीं आए. खुद कांग्रेस यहां से बड़े अंतर से हार मानकर चल रही है.

जयपुर शहर
तमाम विरोध के बावजूद कांग्रेस ने जयपुर शहर से ज्योति खंडेलवाल पर दांव खेला. ज्योति की जगह अगर महेश जोशी को चुनाव लड़ाया जाता तो कांग्रेस की बात बन सकती थी. यहां भी कांग्रेस ने बीजेपी को एक तरह से वॉकओवर दे दिया.

जयपुर ग्रामीण
हालांकि कृष्णा पूनिया ने अच्छी तरह से चुनाव लड़ा लेकिन बाहरी होने का कहीं ना कहीं नुकसान उन्हें उठाना पड़ा. अगर यहां से पहले सांसद रहे लालचंद कटारिया को चुनाव में उतारते तो बात बन सकती थी. लेकिन कांग्रेस ने जाट और सेलिब्रिटी की रणनीति के तहत कृष्णा पूनिया को यहां से उतारा. इससे अच्छा यह होता कि कृष्णा को अगर चूरु से टिकट देते तो सीट निकल सकती थी.

बाड़मेर
बाड़मेर में कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को टिकट दिया. मंत्री हरीश चौधरी ने टिकट के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. वहीं बीजेपी ने जाट कार्ड खेलते हुए कैलाश चौधरी मैदान में उतारा. जानकारों का कहना है कि कैलाश चौधरी के सामने हरीश चौधरी भारी साबित होते.

तो यह वो छह सीटें हैं जिन पर कांग्रेस अगर मंत्रियों और दिग्गजों पर दांव खेलती तो विजयश्री हासिल कर सकती थी. अब इनको चुनाव नहीं लड़ाने की रणनीति कांग्रेस के लिए भारी साबित होती दिख रही है. लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस नेता खुलकर कमजोर रणनीति अपनाने की गलती स्वीकार कर सकते हैं.

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