Politalks.News/Rajasthan. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के 8 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की एक बार फिर कानूनी जीत हुई है. इसे सीएम गहलोत की नैतिक जीत भी बताई जा रही है. बसपा प्रकरण में कांग्रेस को पहले हाईकोर्ट और उसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिली. सबसे पहले हाईकोर्ट में जस्टिस महेंद्र गोयल की एकलपीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पीकर को ही मामला तय करने के आदेश दिए. हाईकोर्ट ने कहा कि स्पीकर को ये फैसला करना है कि विलय सही है या गलत. मामला पिछले साल का है जिसे बसपा के साथ बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने चुनौती दी थी.
कैशम मेघवाल सिंह बनाम मणिपुर मामले के अनुसार मामला निस्तारित करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर द्वारा मदन दिलावर की याचिका रद्द करने को भी सही माना है. दल बदल कानून के तहत ये फैसला सुनाया गया है. फैसले के खिलाफ मदन दिलावर अब हायर कोर्ट का रूख कर सकते हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सारहीन याचिका मानते हुए बीजेपी विधायक की एसएलपी को खारिज कर दिया.
गौरतलब है कि विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के लिए विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने 18 सितंबर, 2019 को मंजूरी दी थी. बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी. दिलावर की दलील थी कि विधायकों के मर्जर के स्पीकर के आदेश पर रोक लगाई जाए और आखिरी फैसला होने तक 6 विधायकों के वोटिंग राइट्स पर भी स्टे लगाया जाए. इस मामले में खुद बसपा ने भी अर्जी लगाई थी. उसका कहना था कि बागी विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होने दिया जाए. (हालांकि विधानसभा में वोटिंग देने की नौबत नहीं आई).
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इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए स्पीकर को मामला तय करने के लिए आदेश दिए. कैशम मेघवाल सिंह बनाम मणिपुर मामले के अनुसार बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले को निस्तारित करते हुए जस्टिस महेंद्र गोयल द्वारा स्पीकर सीपी जोशी द्वारा मदन दिलावर की याचिका रद्द करने के आदेश को अपास्त किया गया. सभी पक्षों की बहस रिकॉर्ड पर लेने के बाद फैसला सुनाते हुए जस्टिस गोयल की एकलपीठ बैंच ने कांग्रेस को बड़ी राहत देते हुए कहा कि स्पीकर को ये फैसला करना है कि विलय सही है या गलत.
इसके कुछ देर बार सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरूण मिश्रा ने बीजेपी विधायक मदन दिलावर की एसएलपी ये कहते हुए रद्द कर दी कि याचिका सारहीन है और इस पर सुनवाई नहीं हो सकती.
हाईकोर्ट में मिली इस जीत को कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की नैतिक और कानूनी जीत माना जा रहा है, साथ ही बसपा से कांग्रेस में आए बसपा विधायकों को भी बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विधायक मदन दिलावर और बसपा हायर कोर्ट जाने का मूड बना रहे हैं.