Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में कांग्रेस पर लगातार आंतरिक गुटबाजी का आरोप लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी के अंदर की खींचतान गाहे-बगाहे सामने आती रहती है. पिछले कुछ दिनों से खुद बीजेपी के भीतर अजीब सी जद्दोजहद नेताओं में भी दिख रही है. ताजा मामला प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था के मुद्दे पर राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन देने के गए प्रतिनिधिमंडल को लेकर चर्चाओं में है, जहां बीजेपी प्रतिनिधि के राजभवन पहुंचने से पहले ही प्रदेश महामंत्री दीया कुमारी ने अलग से ज्ञापन राज्यपाल को सौंप दिया.
दरअसल, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की अगुवाई में पांच सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल 1 बजे राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला. लेकिन प्रदेश महामंत्री और राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने उससे पहले ही राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलकर लॉ एंड ऑर्डर सुधारने की मांग को लेकर अपना ज्ञापन सौंप दिया. ऐसे में यह घटना सियासी गलियारों में चर्च का विषय बन गई और कयास लगाए का रहे हैं कि बीजेपी में भी सबकुछ ठीक नहीं है.
बता दें, पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अक्सर ऐसा देखा गया है कि उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही कुछ अन्य बीजेपी नेता उसी मुद्दे पर प्रेस में अपना बयान जारी कर देते हैं, जिस मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष प्रेस से बात करने वाले हों. अब पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा है कि आखिर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां इसे अनुशासनहीनता मानेंगे या यह सिलसिला बीजेपी में इस तरह ही चलता रहेगा?
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दीया कुमारी के पहले राजभवन जाकर ज्ञापन सौंपने का सवाल जब प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से पूछा गया तो पूनियां ने सफाई देते हुए कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के चलते राज्यपाल ने केवल 5 लोगों को ही साथ आने की अनुमति दी थी. पूनिया कहते हैं कि दीया कुमारी ने राज्यपाल से पहले ही समय ले लिया था इसलिए उन्होंने अपना ज्ञापन अलग से दिया. अब यह बात कई लोगों को हजम नहीं हो रही कि अगर ऐसा था भी तो प्रतिनिधिमंडल के बाद भी राजभवन जाया जा सकता था, आखिर प्रोटोकॉल भी कोई चीज है. इसके अलावा जब एक ही मुद्दे को लेकर ज्ञापन दिया गया तो प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन दे रहा है तो दीया कुमारी को अकेले अलग से ज्ञापन देने की कहां जरूरत है.
ऐसे में इस तरह दीया कुमारी द्वारा अकेले राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने से पार्टी के भीतर ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि क्या बीजेपी में सब कुछ सही है? सवाल यह उठा कि क्या पार्टी के कुछ लोग प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ सक्रिय हैं या उनके साथ व्यक्तिगत स्पर्धा में लगे हुए हैं? इस सवाल पर दीया कुमारी ने अपनी सफाई भी दी.
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हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी बड़ा दिल दिखाते हुए दीया कुमारी के ज्ञापन की बात को नजरअंदाज कर दिया हो, लेकिन अगर यही बात है तो बीजेपी के सभी प्रदेश पदाधिकारी क्या अलग से अपना ज्ञापन देने के लिए स्वतंत्र हैं? सवाल यह भी कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी अगर अलग ज्ञापन देने का सिलसिला शुरू कर देगी तो क्या यह पार्टी हित में होगा?