पॉलिटॉक्स ब्यूरो. गहलोत सरकार के शाॅर्ट नोटिस पर बुलाए गए विधानसभा के बजट सत्र के खिलाफ सदन में हंगामा करती भाजपा का विधायक कैलाश मेघवाल की नाराजगी के चलते शॉर्ट सर्किट हो गया. 15 वीं विधानसभा के चौथे सत्र के पहले दिन शुक्रवार को जैसे ही राज्यपाल कलराज मिश्र का ने अपना अभिभाषण शुरू किया बीजेपी ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने शॉर्ट नोटिस पर बजट सत्र बुलाना नियमों के खिलाफ है, कहकर हंगामा करते रहे, सरकार को कोसते रहे लेकिन सामने बैठे मुख्यमंत्री गहलोत सिर्फ मुस्कुराते रहे. अभिभाषण के बीच करीब 7 मिनट के हंगामे के बाद कटारिया के साथ सभी बीजेपी और सहयोगी आरएलपी के विधायक अभिभाषण का वाॅकआउट कर बाहर आ गए लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर वहीं बैठे रहे.
इस पर बीजेपी के कटारिया व पूनियां जैसे दिग्गजों को जैसे झटका लगा, उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा भी होगा. खैर, इसके बाद तुरन्त विधायक अर्जुन लाल जीणगर को पर्ची देकर कैलाश मेघवाल को ना-पक्ष लॉबी में आने को कहा गया, लेकिन मेघवाल नहीं गए. इसके बाद एक बार फिर विधायक अर्जुन लाल को पर्ची देकर मेघवाल के पास भेजा गया, अबकी बार की पर्ची पढ़कर मेघवाल उठकर ना-पक्ष लॉबी में चले गए और फिर शुरू हुई महाभारत. लॉबी में पहुंचते ही मेघवाल ने वहां चल रहा टीवी बंद कराया और जोरदार नाराजगी जताते हुए याद दिलाया कि जब मैं विधानसभा अध्यक्ष था, तब शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने का विरोध क्यों नहीं किया गया, तब नियम कहां गए थे?
और फिर, कैलाश मेघवाल की गुलाब चंद कटारिया और सतीश पूनियां से जबरदस्त वाली बहस शुरू हो गई. कैलाश मेघवाल ने कहा, “आज आपको नियम याद आ रहे हैं, ये नियम उस दिन कहां गए थे जब गहलोत ने 15वीं विधानसभा का पहला सत्र मात्र 6 दिन के शाॅर्ट नोटिस पर बुलाया था और मैंने प्रेस कांफ्रेंस कर विरोध भी किया था. लेकिन तब आप सब यानी भाजपा और कांग्रेस एक हो गए, किसी ने मेरा साथ नहीं दिया. मेघवाल ने लॉबी में स्वीकारा की वे जानबूझ कर नहीं आए और कहा- यदि ये व्हिप का उल्लंघन है तो जाओ ले आओ मेरे खिलाफ व्हिप, करो कार्रवाई. मेघवाल यहीं नहीं रुके, उन्होंने गुलाब चंद कटारिया और राजेंद्र राठौड़ की ओर इशारा करते हुए बड़ा आरोप लगाया और कहा, ‘जब जरूरत होती है तब विधायकों का इस्तेमाल करते हैं, वरना सरकार से सेटिंग कर लेते हैं. ऐसा कैसे चलेगा?
सूत्रों की मानें तो इसी बीच वहां मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि वे बिल्कुल सही कह रहे हैं.
“आप मेरा नाम क्यों कोट कर रहे हो”- राजे
इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ बिना कोई प्रतिक्रिया दिए सब कुछ सुनते रहे और कुछ देर बाद राठौड़ सतीश पूनिया के पास पहुंचे और पूनियां के कान में कुछ कहा. जिसके बाद सतीश पूनियां ने मेघवाल से कहा- ” आपको अंदर नहीं बैठना चाहिए था, ये बंद कमरे की बात थी, वहीं रहनी चाहिए थी, इसके बाहर आने से न तो मेरा, न कटारिया जी का, न वसुंधरा जी का और न ही राठौड़ जी का कोई फायदा होगा.” इस पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पूनियां को टोकते हुए कहा- “आप मेरा नाम क्यों कोट कर रहे है.”
“कह दूंगा नींद आ गई थी ध्यान नहीं रहा”
इन सबके बीच कोटा से भाजपा विधायक संदीप शर्मा ने नाराज कैलाश मेघवाल से कहा- यह बात मीडिया तक जाएगी तो क्या बोलेंगे? मेघवाल बोले- मैं कह दूंगा नींद आ गई थी इसलिए ध्यान नहीं रहा. और मामला इसके बाद शांत हो गया. लेकिन सत्र के पहले दिन हुए इस पॉलिटिकल ड्रामे से कई बातें खुलकर सामने आ गई जिससे पता चलता है कि प्रदेश बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. वहीं सत्ता पक्ष के लोगों ने भी बीजेपी के इस ड्रामे का खुलकर आनंद लिया.
वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने इन मामले में सफाई देते हुए कहा कि- ‘पहले दो विधायक दल की बैठक में मेघवाल शामिल नहीं थे, इसलिए उन्हें वॉकआउट की जानकारी नहीं थी लेकिन बाद में वे पार्टी के वॉकआउट में शामिल हो गए थे. वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा- “सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर 4 दिन के शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाया है, इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. विधानसभा सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाता है, जिससे विधायकों को तैयारी करने का मौका मिल सके. लेकिन इस बार सरकार ने सिर्फ 4 दिन के अंदर ही विधानसभा का सत्र बुला लिया, जो कि नियमों का सरासर उल्लंघन है.