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लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद अब सत्तापक्ष के विधायक ही अपनी सरकार के खिलाफ खुलकर नाराजगी जाहिर करने लगे है. कांग्रेस के विधायक अपनी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. पिछले दिनों कुछ मंत्रियों और विधायकों ने तो खुलकर कहा कि कांग्रेस राज में ब्यूरोक्रेट्स बेलगाम हो गए हैं, जिसके चलते सरकार की आमजन में जमकर किरकिरी हो रही है.

ताजा उदाहरण विधायक हरीश मीणा और पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह का है. दोनों ने पुलिस-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपनी ही सरकार पर सवालिया निशान खड़े कर दिए. मीणा अपनी ही सरकार को हत्यारी बताते हुए आमरण अनशन पर बैठ गए तो मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने खाकी के खिलाफ ट्वीटर पर जंग छेड़ दी. इतना ही नहीं इससे पहले रमेश मीणा ने बेलगाम नौकरशाही को करारी हार का जिम्मेदार ठहराया.

वहीं पीआर मीणा ने तो सीएम पर ही काम नहीं करने के आरोप जड़ दिए. कांग्रेस के करीब एक दर्जन विधायक नौकरशाही की कार्यशैली से तंग आ चुके हैं. जिसमें इंद्रा मीणा, रामनिवास गावड़िया, रामनारायण मीणा और चेतन डूडी जैसे नेता शुमार हैं. हालांकि कुछ विधायक तो अभी बंद कमरे में ही आला नेताओं से अफसरों पर नकेल कसने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका साफ कहना है कि अगर ये ही हालात रहे तो उन्हें फिर खुलकर बोलना ही होगा.

अधिकतर मीणा विधायक हो रहे हैं मुखर
खास बात यह है कि सरकार से अधिकतर मीणा समाज के विधायक ही ज्यादा नाराज दिख रहे हैं. सबसे पहले खाद्य मंत्री रमेश मीणा ने लोकसभा चुनाव हारते ही सरकार को नौकरशाहों पर नकेल कसने की सलाह दी थी. उसके बाद विधायक हरीश मीणा तो दो कदम आगे निकलते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए. तो पीआर मीणा ने सीएम को ही नहीं बख्शा और उन पर ही विधायकों को काम नहीं करने देने के आरोप जड़ दिए. वहीं विधायक इंद्रा मीणा भी अपनी सरकार में काम नहीं होने का रोना रो रही हैं.

इसके अलावा रामनारायण मीणा ने अलग तरीके से नाराजगी जाहिर करते हुए सरकार बर्खास्त होने का अंदेशा जता दिया. दरअसल, जैसे ही चुनाव के बाद विधायकों ने जनसुनवाई शुरू की तो लोगों ने समस्याओं की झड़ी लगा दी और समाधान के लिए जब विधायकों ने अफसरों को निर्देश दिए तो उन्होंने कोई रुचि नहीं दिखाई. ऐसे में लोगों के बार-बार ताने सुनकर विधायकों के सब्र का बांध अब छलकने लगा है. ऐसे में सरकार के खिलाफ बोलने के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचा.

पब्लिक में इससे जा रहा है गलत मैसेज
कांग्रेस विधायकों के ही सड़कों पर उतरने और बोलने से सरकार की बेहद किरकिरी हो रही है. जनता के बीच यही संदेश जा रहा है कि कांग्रेस विधायक ही विपक्ष का रोल निभा रहे हैं. वहीं बीजेपी कांग्रेस विधायकों की नाराजगी को गहलोत वर्सेज पायलट की गुटबाजी की वजह बताते हुए तूल देने में लगी हैं. अधिकतर विधायक पुलिस की कार्यशैली से ज्यादा नाराज हैं. विधायक एसपी से लेकर थानेदार पर काम नहीं करने की शिकायतें ज्यादा कर रहे हैं.

खादीधारी नेता कह रहे है कि खाकी जरा भी उनकी परवाह नहीं कर रही है. नाराज विधायकों की नाराजगी अभी तो सड़कों और बयानों तक ही सिमित है, लेकिन जल्द उनकी नहीं सुनी गई तो सदन में भी ये जनप्रतिनिधि अपनी सरकार की खिंचाई कर सकते हैं. बता दें कि जल्द ही विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है. ऐसे में सत्ता पक्ष अपने ही विधायकों के निशाने पर आ सकता है.

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