बता दें, प्रदेश में करीब 52 बोर्ड, आयोगों, समितियों और अकादमियों में प्रदेश स्तर पर नियुक्तियां होनी है. प्रदेश स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में कांग्रेस के बडे नेताओं को अध्यक्ष बनाया जाएगा. ऐसे में इन नियुक्तियों में जगह पाने के लिए पार्टी नेताओं ने जयपुर से दिल्ली तक भागदौड तेज कर दी है. कई नेता और विधायक जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर हैं तो कई उपमुख्यमंत्री व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के यहां अपनी हाजरी लगा रहे हैं. कुछ नेता ऐसे भी हैं जो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों से मुलाकात कर इन नियुक्तियों में अपनी जगह पक्की करने की जुगत में लगे हैं. बीते कुछ दिनों में दर्जनों प्रमुख नेताओं और विधायकों ने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से नियुक्तियों के सिलसिले में मुलाकात की है.
वहीं प्रदेश के कुछ नेता ऐसा भी हैं जो दिल्ली आलाकमान से सीधे संपर्क में है और दिल्ली दरबार के सहारे ही राजनीतिक नियुक्ति पाने की जुगत में हैं. सूत्रों की मानें तो कुछ नेताओं ने पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाधी व राहुल गांधी से मुलाकात की है तो कुछ ने मिलने का समय भी लिया हुआ है. वहीं कुछ नेता प्रदेश प्रभारी व कॉर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे और सह-प्रभारी विवेक बंसल से सम्पर्क बनाए हुए हैं. कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल से भी प्रदेश के कुछ नेताओं ने राज्यसभा चुनाव के दौरान अच्छे संबंध बना लिए है ऐसे कुछ नेता वेणुगोपाल से भी सीधा संपर्क कर नियुक्ति पाने की जुगत में है. इन प्रदेश स्तर की नियुक्ति की चाह रखने वाले नेताओं को वरिष्ठता के हिसाब से कैबिनेट और राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाएगा.
बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी की ओर से यह निर्देश दिए गए हैं कि पार्टी में जल्द निष्ठावान नेताओं को विभिन्न आयोगों, बोर्ड और निगमों में राजनीतिक नियुक्ति दी जाए ताकि पार्टी में अच्छा संदेश जाए. पार्टी आलाकमान के निर्देश के बाद अब बहुप्रतिक्षित नियुक्तियों का काम तेजी से शुरू कर दिया गया है. सीएम अशोक गहलोत और आलाकमान के बीच नियुक्तियों को लेकर चर्चा भी हो चुकी है. पीसीसी चीफ व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी पार्टी के लिए पिछले 6 साल से खून पसीना बहाने वाले नेताओं का नियुक्ति दिलाना चाहते है इसके स्पष्ट संकेत भी वो पिछले दिनों दे चुके है. प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे भी नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से विचार विमर्श कर चुके है.
जानकारों की मानें तो बसपा छोडकर कांग्रेस में आए छह विधायकों को भी मंत्रीमंडल या राजनीतिक नियुक्तियों में जगह मिलेगी. सूत्रों की मानें तो इन छह विधायकों में से दो को मंत्रीमंडल में जगह दी सकती है और बाकी चार विधायकों को संसदीय सचिव और निगम बोर्ड में अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इसी तरह सरकार को समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों में से भी कुछ को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. मौजूदा समय में कांग्रेस में ऐसे भी बहुत से नेता है जो कि विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में शामिल हुए थे ऐसे नेताओं को भी राजनीतिक नियुक्तियों में सम्मानित पद देने की कोशिश की जा रही है.
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सूत्रों की मानें तो प्रदेश स्तर पर होने वाली राजनीतिक नियुक्तियों में रामेश्वर डूडी, घनश्याम तिवाड़ी, राजीव अरोड़ा, पूर्व मंत्री प्रधुम्न सिंह, डॉ चंद्रभान, धीरज गुर्जर, महेश शर्मा, जुबेर खान, प्रशांत शर्मा, पुखराज पाराशर, गोपाल सिंह इड़वा, गिर्राज गर्ग, रणदीप धनखड़, धर्मेन्द्र राठौड़, सत्येन्द्र भारदाज, सुरेश चौधरी, संजय गुर्जर, मुमताज मसीह, ज्योति खंडेलवाल, अर्चना शर्मा, करण सिंह उचियारडा, धर्मेंद्र राठौड़, सुशील शर्मा, सुनील शर्मा, रामेश्वर दाधीच, राजेन्द्र सिंह सोलंकी, सुनील परिहार, पंकज मेहता, गोपाल बाहेती, ललित भाटी, दिनेश खोडनिया, रतन देवासी, सलावत खान, करण सिंह राठौड़, अरूण कुमावत, महेश शर्मा, गिर्राज खंडेलवाल, कैलाश सोयल, मनोज मुद्गल आदि नेताओं जगह मिल सकती है.
इन निगम और बोर्ड में होगी राजनीतिक नियुक्तियां- जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, अल्पसंख्यक आयोग, राज्य वित्त आयोग, वैदिक शिक्षा संस्कार, किसान आयोग, महिला आयोग, आरटीडीसी, समाज कल्याण सलाहकार बोर्ड, राजस्थान खादी बोर्ड, राजस्थान राज्य बीज निगम, आवासन मंडल, डांग विकास बोर्ड, राज्य खेल परिषद, मगरा विकास बोर्ड, राज्य हज कमेटी, हस्तशिल्प कला बोर्ड, केश कला बोर्ड, वरिष्ठ नागरिक बोर्ड.
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इसके साथ ही नि:शक्तजन आयोग, गो सेवा आयोग, उर्दू अकादमी, भूदान बोर्ड, मेला विकास प्राधिकरण, घुमंतू जाति कल्याण बोर्ड, ओबीसी आयोग, सिंधी अकादमी, राज्य सफाई कर्मचारी आयोग, बृजभाषा अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, डेयरी फैडरेशन, ललित कला अकादमी, संस्कृत अकादमी, सार्वजनिक प्रन्यास बोर्ड, अनुसूचित जाति आयोग, जन जाति आयोग, लघु उद्योग विकास निगम, अंतरराज्यीय जल विवाद निवारण समिति, धरोहर विकास प्राधिकरण और युवा बोर्ड में वरिष्ठ नेताओं को अध्यक्ष बनाया जाएगा और उन्हें कैबिनेट या राज्यमंत्री स्तर का दर्जा दिया जाएगा.