‘बागियों’ की घर वापसी से फैलता दिखा ‘रायता’ तो भन्नाए रावत बोले- पहले माफी मांगें ‘महापापी’

उत्तराखंड में कांग्रेस का मिशन 'घर वापसी', आर्य के बाद कई नेता कतार में, लेकिन अचानक रावत हो गए असहज, दे डाला बड़ा बयान, सरकार गिराने वाले 'महापापी' पहले मांगें माफी, दरअसल यशपाल आर्य हैं बड़ा दलित चेहरा, खुद रावत कह चुके हैं एक बार की दलित होना चाहिए उत्तराखंड का सीएम, ऐसे में बड़े नेताओं की घर वापसी से अघोषित दावेदार रावत के सामने खड़ी हो रही है चुनौती

'बागियों' की घर वापसी से फैलता दिखा 'रायता'
'बागियों' की घर वापसी से फैलता दिखा 'रायता'

Politalks.News/Uttrakhand. उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कुछ नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी में जा रहे हैं तो कुछ वापसी कर रहे हैं. उत्तराखंड कांग्रेस में कई नेता ‘घर वापसी’ करना चाह रहे हैं, लेकिन सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बात से खफा हैं. हरीश रावत ने बागियों को ‘महापापी’ बताया है. दरअसल कांग्रेस पार्टी का ‘ऑपरेशन उत्तराखंड’ चल रहा है. कांग्रेस के इस ऑपरेशन में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के अघोषित दावेदार हरीश रावत और उनके बनवाए प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोंदियाल से ज्यादा प्रभारी देवेंद्र यादव सक्रिय हैं. इस तरह कांग्रेस का ऑपरेशन उत्तराखंड दिल्ली से चल रहा है. हालांकि पुष्कर सिंह धामी की सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य को कांग्रेस में लाने के अभियान में हरीश रावत भी शामिल थे पर अब जिन पुराने कांग्रेसी नेताओं की घर वापसी कराने की तैयारी है उसमें देवेंद्र यादव ज्यादा सक्रिय हैं. माना जा रहा है कि पार्टी छोड़ कर गए कई कांग्रेसी नेताओं को घर वापसी को लेकर हरीश रावत बहुत सहज नहीं हैं.

आपको याद दिला दें कि हरीश रावत के प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते देवभूमि की कांग्रेस टूटी थी और पार्टी के नौ विधायक भाजपा में चले गए थे. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी थे. उनके साथ उनके बेटे ने भी भाजपा का दामन थाम लिया था. बहुगुणा के अलावा सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, रेखा आर्य, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, उमेश शर्मा, शैलेंद्र मोहन सिंघल और शैला रानी रावत भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे. भाजपा ने सभी को टिकट भी दी, लेकिन सिर्फ पांच लोग ही चुनाव जीत पाए. इनके अलावा हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत भी कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे.

कांग्रेस के जानकार नेताओं के मुताबिक कांग्रेस छोड़ कर गए कई नेता वापस आने को इच्छुक हैं. यह राज्य में बदलते हालात का भी संकेत है. बहरहाल, इनमें से कई नेताओं की एंट्री का हरीश रावत विरोध कर रहे हैं. हरक सिंह रावत और सतपाल महाराज दोनों राजपूत नेता हैं और बहुत लोकप्रिय हैं. इनके आने से हरीश रावत की स्थिति कमजोर हो सकती है. इस खींचतान के बाद अब फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है.

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सूत्रों की माने तो सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के पुराने दिग्गजों की इस बात से खफा हैं. हरीश रावत ने बागियों को ‘महापापी’ बताया है. हरीश रावत ने कहा कि, ‘जिन महापापी लोगों ने 2016 में कांग्रेस की सरकार गिराने का महापाप किया है, जब तक वो सार्वजनिक रूप से अपनी गलती मानते हुए माफी नहीं मांगते, तब तक वो उनको कांग्रेस में वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं’. रावत ने कहा कि, ‘इस महापाप से उत्तराखंड पर भी कलंक लगा है, इसलिए जब तक वो गलती नहीं मानते हैं और कांग्रेस के साथ निष्ठा से खड़े होने की बात स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक ऐसे लोगों को कांग्रेस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए’.

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उत्तराखंड कांग्रेस के एक सूत्र का कहना है कि, ‘देवभूमि में जिस तरह से सभी कद्दावर नेताओं का एक साथ कांग्रेस से जाना हुआ, उससे भले ही कांग्रेस 2017 के चुनाव में अपनी सरकार न बना पाई हो मगर हरीश रावत एकमात्र प्रदेश के ऐसे नेता रह गए जिनका कद सबसे बड़ा रह गया. लेकिन यशपाल आर्य के आने से कहीं न कहीं उनको अब चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि खुद हरीश रावत अपने एक बयान में ये कह चुके हैं कि, ‘वो उत्तराखंड में भी पंजाब की तरह एक दलित मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं’ .ऐसे में यशपाल आर्य जो एक बड़ा दलित चेहरा माने जाते हैं उनके कांग्रेस में वापसी करने से कहीं न कहीं हरीश रावत के अपने कद पर संकट आना तय माना जा रहा है. इसके अलावा वो बाकी बचे हुए नेताओं की घर वापसी के पक्ष में नजर नहीं आते क्योंकि ऐसा करने से उनकी मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ ने की उम्मीद ज्यादा है.

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