सरकार के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं, लोकतंत्र में सच्ची श्रद्धा और आस्था का है प्रतीक- गहलोत

आज कोई भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे देश विरोधी करार दे दिया जाता है, कोरोना काल में लोगों ने उनके कहने पर ताली, थाली, घंटी बजाई एवं मोमबत्ती जलाई, लेकिन किसानों के मुद्दे पर मोदी जी ने चुप्पी साध ली, अगर वो किसानों के हक में सही निर्णय लेते तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता- सीएम गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साधा मोदी सरकार पर निशाना
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साधा मोदी सरकार पर निशाना

Politalks.News/Rajasthan. कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर पिछले 14 दिनों से जारी किसान आंदोलन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. सीएम गहलोत ने कहा- आज कोई भी मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे देश विरोधी करार दे दिया जाता है. इनको समझना चाहिये कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाना, अपने अधिकार मांगना देशद्रोह नहीं लोकतंत्र में सच्ची श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है. ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले ये लोग धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं. यह आने वाली पीढ़ियों के लिये खतरनाक है और वो इन्हें कभी माफ नहीं करेंगी.

सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार में बैठे अधिकारी कह रहे हैं कि भारत में लोकतंत्र ज्यादा है इसलिये यहां रिफॉर्म संभव नहीं हैं, ये बयान केवल सरकार को खुश करने के लिये है. जिस प्रकार लोकतंत्र की आड़ में केंद्र सरकार ने सभी संवैधानिक प्रक्रियाओं को ताक पर रख कर विभिन्न कानून पास किये हैं. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि भारत में उदारीकरण और उसके बाद रिफॉर्म मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री एवं प्रधानमंत्री रहते समय हुये थे जिनकी बुनियाद पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी है. लेकिन तब ना ही लोग सड़कों पर आये और ना ही किसी ने ठगा हुआ महसूस किया.

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मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अब ऐसा क्या कारण है कि लोगों को सड़कों पर उतरकर भारत बंद का ऐलान करना पड़ा. ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 10 केंद्रीय मंत्रियों एवं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा? क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेकहोल्डर से संवाद ही नहीं किया. अगर संवाद किया होता तो ऐसी जरूरत नहीं पड़ती.

सीएम गहलोत ने आगे कहा कि पहले भी देश की जनता ने अपने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है. उनके बनाये हुये कानूनों को स्वागत किया है. अगर आज भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनकर उनसे संवाद करते तो मामला इतना नहीं बढ़ता. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में लोगों ने उनके कहने पर ताली, थाली, घंटी बजाई एवं मोमबत्ती जलाई, लेकिन किसानों के मुद्दे पर मोदी जी ने चुप्पी साध ली. अगर वो किसानों के हक में सही निर्णय लेते तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी को सलाह देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी को अब भी सभी से संवाद स्थापित कर उनकी बात सुननी चाहिये और उनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिये. अभी तक वो ऐसा करने में नाकाम रहे हैं.

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