कश्मीरियों की तरह मैंने सहा अपनों को खोने का दर्द, लेकिन मोदी-शाह नहीं समझ सकते ये दर्द- राहुल गांधी

श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारी बर्फबारी के बीच भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में राहुल ने इंदिरा और राजीव गांधी को याद कर मोदी-शाह-आरएसएस पर साधा निशाना, कश्मीर को बताया अपना घर, कहा- जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे ग्रेनेड नहीं दिया बल्कि दिल खोलकर प्यार किया, कश्मीरियों और फौजियों के परिवार का दर्द मैं समझ सकता हूं मेरी बहन समझ सकती है, यात्रा के दौरान हुए किस्सों को किया याद, बताया कैसे उतर गया पूरा अहंकार, बर्फ से खेलते हुए दिखे राहुल-प्रियंका गांधी

rahul gandhi in bharat jodo yatra in srinagar
rahul gandhi in bharat jodo yatra in srinagar

Rahul Gandhi at Sher-e-Kashmir Stadium in Srinagar. कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में समाप्त हो गई. 14 राज्यों से करीब 3500 से ज्यादा किलोमीटर लंबी चली ये ऐतिहासिक यात्रा बीते साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी. श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारी बर्फबारी के बीच हुए भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह में राहुल मर जाना मंजूर लेकिन BJP के साथ जाना नहीं कबूल- भाजपा के बयान पर CM नीतीश का जोरदार पलटवारगांधी ने 35 मिनट लंबी और भावुक स्पीच दी. यहां राहुल ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि मैंने भी कश्मीरियों एवं फौजियों की तरह अपनों को खोने का दर्द सहा है लेकिन मोदी-शाह यह दर्द नहीं समझ सकते.

भारत जोड़ो यात्रा के इस अंतिम भाषण में राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि जो विचारधारा इस देश की नींव को तोड़ने की कोशिश कर रही है, उसके खिलाफ हम खड़े हों, मिलकर खड़े हों. नफरत से नहीं, क्योंकि वो हमारा तरीका नहीं, मोहब्बत से खड़े हों. हम मोहब्बत से खड़े होंगे, प्यार से बात करेंगे तो हमें सफलता मिलेगी. उनकी विचारधारा को सिर्फ हराएंगे नहीं, उनके दिलों से भी निकाल देंगे.

आपको बता दें, बीते रविवार को श्रीनगर के लाल चौक पर देश का तिरंगा झंडा फहराकर राहुल गांधी ने अपनी यात्रा का फॉर्मल समापन कर दिया था. वहीं सोमवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में हुए यात्रा के समापन समारोह के पहले सुबह से ही जारी रही भारी बर्फबारी के चलते कई दिग्गज कांग्रेसी नेता श्रीनगर ही नहीं पहुंच पाए. वहीं इस भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षाबलों से कुछ कहना चाहता हूं. मैं हिंसा को समझता हूं, मैंने हिंसा सही है, देखी है. जिसने हिंसा नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी. जैसे मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है. वो डरते हैं. यहां पर हम 4 दिन पैदल चले, गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकता है. इसलिए नहीं कि जम्मू-कश्मीर के लोग उन्हें चलने नहीं देंगे, इसलिए क्योंकि वे डरते हैं. कश्मीरियों और फौजियों की तरह मैंने अपनों को खोने का दर्द सहा है, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह यह दर्द नहीं समझ सकते.’

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यहां आपको यह भी बता दें कि श्रीनगर में सोमवार सुबह से हो रही भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी को सुनने के लिए पहुंचे कार्यकर्ताओं का उत्साह कम नहीं हुआ. सुबह से कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ देखी गई. उधर, राहुल गांधी यहां भी अलग रंग में दिखे और उन्होंने बहन प्रियंका के साथ बर्फबारी का लुत्फ उठाया. दोनों एक-दूसरे पर बर्फ उछालते नजर आए.

जो हिंसा करवाता है, वो दर्द को समझ नहीं सकते
अपने संबोधन में राहुल गांधी ने बीजेपी के दिग्गज नेताओं पर जबरदस्त प्रहार करते हुए भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री और अपनी दादी इंदिरा गांधी की मौत से जुड़ा किस्सा सुनाया. राहुल गांधी ने कहा कि मैं अभी जो कह रहा हूं, ये बात प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को नहीं समझ आएगी. ये बात कश्मीर को समझ आएगी, CRPF और आर्मी के परिवार वालों को समझ आएगी. राहुल गांधी ने कहा, “मैं जम्मू कश्मीर के लोगों को , सुरक्षाबलों को थोड़ा से बताना चाहता हूं कि जब मैं 14 साल का था, स्कूल में था, ज्योग्राफी की क्लास में था. मेरी एक टीचर क्लास में आयी और उन्होंने कहा कि राहुल तुम्हे प्रिंसिपल बुला रही है. मैं बहुत बदमाश था, मैने सोचा कि प्रिंसिपल बुला रही है जरुर मार पड़ेगी. प्रिंसिपल ने कहा कि राहुल तुम्हारे घर से फोन है. मुझे लगा कि कुछ गलत हो गया है, मेरे पैर कांपे. फोन कान के पास लगाते ही मेरी मां के साथ एक औरत काम करती है, वह चिल्लाते हुए बोली कि राहुल दादी को गोली मारी. उसने कहा कि दादी को गोली लग गई. मैने वह जगह देखी जहां मेरी दादी का खून था, पापा आए, मां आयी. मां पूरी तरह हिल गई थी, वह बोल नहीं पा रही थी”

राहुल गांधी ने आगे कहा, “ठीक उसी के सात साल बाद मैं अमरीका में था और फिर से टेलीफोन आया. जैसे बहुत सारे, जैसे पुलवामा में हमारे सैनिक मरे थे, उनके घर टेलीफोन आया होगा, हजारों कश्मीरियों के घर जैसे फोन आया होगा, वैसा ही फोन आया. पिता जी के एक दोस्त का फोन आया मैने कहा पिता जी मारे गए हैं. पिता जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, ये सुनकर मैं सुन्न पड़ गया था. पुलवामा शहीदों के परिवार का दर्द समझ सकता हूं. राहुल गांधी ने कहा कि इस हिंसा को पीएम मोदी और अमित शाह या आरएसएस नहीं समझ सकता. हम समझ सकते हैं क्योंकि हम इसी दौर से गुजरे हैं. मैं पुलवामा के शहीदों के परिवार वालों का दर्द समझ सकता हूं.

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इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि जो हिंसा करवाता है, मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, अजित डोभाल जी हैं… वो इस दर्द को समझ नहीं सकते. हम दर्द को समझ सकते हैं. अपनों को खोने वालों के दिल में क्या होता है, जब फोन आता है तो कैसा लगता है, वो मैं समझता हूं, मेरी बहन समझती है.

मुझे थोड़ा अहंकार था, 3500 किमी. चलने से उतर गया
इस दौरान राहुल गांधी ने आगे कहा कि मैं कन्याकुमारी से चला था. पूरे देश में चले हम लोग. सच बताऊं तो मुझे लगा कन्याकुमारी से कश्मीर चलने में मुश्किल नहीं होगी. फिजिकली ये काम मुश्किल नहीं होगा, ये मैंने सोचा था. शायद मैं काफी वर्जिश करता हूं, रोजाना 8-10 किलोमीटर दौड़ता हूं, इसलिए थोड़ा सा अहंकार आ गया, जैसे आ जाता है. मगर फिर बात बदल गई, 5-7 दिन चलने के बाद जबरदस्त प्रॉब्लम हुई थी. थोड़ा अहंकार उतर गया, मैं सोचने लगा कि जो 3500 किलोमीटर हैं, उन्हें चल पाऊंगा कि नहीं. मुझे जो आसान काम लगा, वो काफी मुश्किल हो गया. आखिर किसी न किसी तरह से मैंने ये काम पूरा कर लिया.

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राहुल गांधी ने कहा कि हिंदुस्तान प्यार का देश है और इसी नफरत को खत्म करने के लिए मैंने ये यात्रा की. मैं इतने दिनों तक पैदल चला और लोगों के दुखों को समझ पाया. राहुल गांधी ने कहा, “मुझसे लोगों ने कहा कि पूरे भारत में आप पैदल चल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में गाड़ी से चलिए क्योंकि आपकी सुरक्षा का सवाल है. मैंने कहा कि यह कश्मीर मेरा घर है और ये (कश्मीरी) अपने घर के लोग हैं. मैं उनके बीच में चलूंगा. मैंने सोचा कि जो मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें क्यों न मौका दें कि वह मेरी टी-शर्ट को लाल कर दें. क्योंकि गांधी जी ने मुझे सिखाया है कि जीना है तो बिना डरे जीना है. मैंने सोचा कि करना है तो लाल कर दो मेरी टी-शर्ट, लेकिन जो मैंने सोचा था वही हहुआ. जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे ग्रेनेड नहीं दिया बल्कि दिल खोलकर प्यार किया और मुझे बहुत खुशी हुई कि उन्होंने मुझे अपना माना.

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि ये विचारधारा की लड़ाई है. जो विचारधारा इस देश की नींव तोड़ने की कोशिश कर रही है. उसके खिलाफ खड़े हों नफरत से नहीं, मोहब्बत से खड़े हों. अगर हम प्यार से अपनी बात रखेंगे तो हम कामयाब होंगे, नफरत की विचारधारा को उनके दिलों से निकाल पाएंगे. बीजेपी ने जो जीने व राजनीतिक का तरीका दिखाया है, उसके खिलाफ हम देश को याद दिलाएं कि हिंदुस्तान इज्तत, भाइचारे और प्रेम का देश है.

राहुल गांधी ने यात्रा का एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि मैं यात्रा में चल रहा था, 4 बच्चे आए. ये भीख मांगते थे, उनके पास कपड़े नहीं थे. मजदूरी करते थे तो मिट्टी थी. मैं उनके गले लगा, घुटनों पर जाकर पकड़ा. मेरे साथ चल रहे एक व्यक्ति ने बोला कि ये बच्चे गंदे हैं और इनके पास नहीं जाना चाहिए. मैंने उनसे कहा कि बच्चे आपसे और मुझसे ज्यादा साफ हैं. अंत में राहुल गांधी ने सेना, सुरक्षाबलों और पुलिस का सुरक्षा अदा किया राहुल ने कहा कि सेना की वजह से ही देश सुरक्षित हैं और ये यात्रा भी उनकी वजह से सफल हो पाई है.

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