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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के भीतर मंथन का दौर जारी है. कभी खबर आती है कि राहुल गांधी इस्तीफा देने के अड़े है. उसके पलभर बाद फिर खबर आ जाती है कि राहुल गांधी इस्तीफा न देने के लिए मान गए हैं. कांग्रेस के भीतर क्या चल रहा है, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा. इसी बीच यह खबर आयी कि प्रियंका गांधी CWC की बैठक में पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर जमकर बरसी. उन्होंने तल्ख लहजे में चुनिंदा नेताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘पार्टी के हत्यारे’ आज हमारे बीच इसी बैठक में मौजूद हैं. उन्होंने अपने स्वार्थ साधने के लिए पार्टी को दांव पर लगा दिया.

इसी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी वरिष्ठ नेताओं पर नाराजगी जाहिर की. राहुल गांधी की नाराजगी इस पर थी कि कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अपने पुत्रों को लोकसभा चुनाव का टिकट देने के लिए पार्टी नेतृत्व पर जरुरत से ज्यादा दबाव बनाया था. राहुल गांधी ने बैठक में कहा कि इन नेताओं ने अपने निजी हितों को पार्टी से ऊपर रखा. इन हमलों में राहुल और प्रियंका का सीधा-सीधा निशाना कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं पर था जिन्होंने अपने बेटों को लोकसभा का टिकट दिलाया था.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पुत्र नकुलनाथ को अपनी परम्परागत सीट छिंदवाड़ा से प्रत्याशी बनाया था. राहुल गांधी नकुलनाथ की जगह छिंदवाड़ा से पार्टी के किसी कार्यकर्ता को टिकट देना चाहते थे. लेकिन कमलनाथ के दबाव के कारण यह सीट बाद में उनके पुत्र को दी गई. हालांकि नकुलनाथ तो चुनाव जीतन में सफल रहे लेकिन पार्टी प्रदेश की 29 में से 28 सीटें हार गई.

ऐसा ही कुछ हाल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का रहा. उन्होंने भी अपने बेटे वैभव गहलोत के टिकट के लिए राहुल गांधी पर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के जरिए दबाव बनाया था. इसी दबाव के चलते राहुल वैभव गहलोत को जोधपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने के लिए तैयार हुए. लेकिन वैभव को गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए बीजेपी के गजेंद्र शेखावत से करारी हार का सामना करना पड़ा. वह अशोक गहलोत के निर्वाचन क्षेत्र सरदारपुरा से भी पिछड़ गए.

राहुल ने बैठक में कहा कि इन नेताओं ने खुद को चुनाव के दौरान सिर्फ अपने पुत्रों के संसदीय क्षेत्रों तक ही सीमित कर लिया. प्रदेश के अन्य सीटों का इन्होंने कुछ ध्यान नहीं रखा. इनका उद्देशय सिर्फ पुत्रों को जिताना रहा, न कि पार्टी को. इन हिंदी पट्टी के कांग्रेस मुख्यमंत्रियों के अलावा राहुल और प्रियंका के निशाने पर पी. चिदंबरम भी रहे. उन्होंने भी इस बार अपने पुत्र कार्ति चिदंबरम को शिवगंगा लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिलाया था. हालांकि कार्ति चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

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