Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में पल पल बदल रहे सियासी घटनाक्रम पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. रविवार को उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मीडिया ग्रुप पर उनके मीडिया सलाहकार द्वारा गहलोत सरकार के अल्पमत में होने और पायलट के पास 30 विधायकों का समर्थन होने के मैसेज से प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया. इस भूचाल के चलते कांग्रेस के कई बड़े नेता लेकर बीती रात से ही राजधानी जयपुर में डेरा डाले हुए हैं. आलाकमान से लेकर कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं द्वारा बार-बार कोशिश की जा रही है कि पायलट किसी भी तरह बैठकर बात करें, लेकिन पायलट की तरफ से इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. पार्टी नेताओं ने अब यह साफ कर दिया है कि अगर पार्टी का कोई भी पदाधिकारी या विधायक पार्टी विरोधी कोई गतिविधि करता है तो उसके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. सरकार बचाने में जुटी कांग्रेस अब अपने करीब 109 (जैसा कांग्रेस विधायक दानिश अबरार ने मीडिया के सामने दावा किया) विधायकों के साथ दिल्ली रोड स्थित एक आलीशान पांच सितारा होटल में अनिश्चित काल के लिए कैद हो गई है.
प्रदेश कांग्रेस ने 109 विधायकों के समर्थन का दावे पर बीजेपी के राष्ट्रीय आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने कांग्रेस से फ्लोर टेस्ट को मांग कर दी. वहीं इसके बाद भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेशभाई सी. वसावा ने अपने दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर को लिखित में सख्त निर्देश देते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट में हम कांग्रेस और बीजेपी को वोट नहीं देंगे और पार्टी के निर्देशों की अवेहलना होती है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दोनों विधायकों को दी गई. यही कारण रहा कि बीटीपी के दोनों विधायक विधायक दल की बैठक के दौरान सीएम आवास पर तो मौजूद रहे लेकिन उसके बाद होटल में हुई बाड़ाबंदी में नहीं पहुंचे.
इधर उपमुख्यमंत्री एवं पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बगावती तेवर के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जयपुर में डेरा डाल दिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल सरकार बचाने की कोशिशों में जुट गए हैं. बीती रात 2:30 बजे प्रभारी अविनाश पांडे ने पत्रकार वार्ता कर पार्टी के सभी विधायकों के लिए सोमवार सुबह 10:30 बजे सीएम निवास पर आयोजित हुई विधायक दल की बैठक में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया. बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायकों को अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी भी दी. इसके बाद भी पायलट सहित उनके 18 समर्थित विधायक पार्टी आदेशों की अनदेखी कर विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए.
सोमवार अल सुबह से ही खबरें आने लगी कि सचिन पायलट प्रदेश में अपनी अलग पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. इससे पार्टी नेताओं की चिंता ओर बढ़ी व विधायक दल की सुबह 10:30 बजे शुरू होने वाली बैठक करीब ढाई घंटे की देरी के बाद शुरू हुई. इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बार फिर से पत्रकार वार्ता कर सचिन पायलट व उनके समर्थित विधायकों से बातचीत कर मामला सुलझाने का आग्रह किया. सुरजेवाला ने कहा कि पायलट के लिए आलाकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी के दरवाजे सदैव खुले है.
कांग्रेस नेताओं की पत्रकार वार्ता के बाद करीब 1 बजे मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस व कांग्रेस समर्थित विधायकों की बैठक शुरू हुई. इस बैठक की शुरुआत में तमाम मीडिया चैनल्स के सामने विधायकों की एकजुटता को दिखाया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पार्टी के सभी बड़े नेता, मंत्री और विधायक विक्ट्री साइन दिखाकर खुशी जाहिर करते नजर आए. कांग्रेस के सभी नेता मीडिया के सामने यह दिखाने की कोशिश करते नजर आए कि हमें कोई खतरा नहीं है. इस विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट सहित उनके समर्थित विधायकों के शामिल नहीं होने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया.
विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव हुआ पारित
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि राजस्थान की 8 करोड़ जनता ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को संपूर्ण बहुमत देकर प्रदेश की सेवा, प्रगति व विकास की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व कांग्रेस विधायक दल का हर साथी इस कर्तव्य को निभाने हेतु संकल्पबद्ध है. पिछले डेढ़ वर्ष में सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जनहित व लोकसेवा के अनेकों क्रांतिकारी और निर्णायक कदम उठाए हैं और फैसलों का क्रियान्वयन किया है.
इस मार्ग पर बढ़ते रहने के लिए कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस विधायक दल वचनबद्ध है. हालही में कोरोना महामारी व आर्थिक संकट से जूझने में राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों व निर्णयों की पूरे देश में प्रशंसा हुई. यहां तक कि केंद्र सरकार ने भी राजस्थान कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए निर्णयों की अनुशंसा करते हुए उन्हें पूरे देश के लिए अनुकरणीय बताया. कांग्रेस सरकार के बेहतरीन कार्यों व जनसेवा से घबराकर भाजपा के नेतृत्व वाली षडयंत्रकारी
ताकतों द्वारा कांग्रेस की राज्य सरकार को अस्थिर करने, विधायकों की खरीद-फरोख्त करने, पैसों का प्रलोभन दे निष्ठा खरीदने, धनबल व सत्ताबल का दुरुपयोग कर प्रजातंत्र की हत्या करने का षडयंत्र किया जा रहा है.
दुर्भाग्य की बात यह है कि हाल में ही हुए राज्यसभा चुनावों की करारी हार के बावजूद भाजपा ने कोई सबक नहीं लिया और भ्रष्ट तरीकों से कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का षडयंत्र बदस्तूर जारी है. कांग्रेस विधायक दल की यह बैठक इन षडयंत्रकारी मनसूबों की घोर निंदा करते हुए सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करती है कि भाजपा के द्वारा प्रजातंत्र का चीरहरण करने का यह षडयंत्र राजस्थान की 8 करोड़ जनता के जनमत का अपमान है, जिसे राजस्थान कभी स्वीकार नहीं करेगा.
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कांग्रेस विधायक दल की यह बैठक कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, हमारे नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में संपूर्ण आस्था व विश्वास प्रकट करती है. विधायक दल की यह बैठक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का एकमत से संपूर्ण समर्थन करती है. कांग्रेस विधायक दल की यह बैठक कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस सरकार को कमजोर करने वाले सभी अलोकतांत्रिक कुकृत्यों की कठोर शब्दों में निंदा करती है और यह मांग करती है कि कांग्रेस का कोई पदाधिकारी या विधायक दल का कोई सदस्य अगर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कांग्रेस सरकार या पार्टी विरोधी गतिविधि करता है या ऐसे षडयंत्र में संलिप्त है, तो उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए. कांग्रेस विधायक दल एकमत से राजस्थान की जनता की सेवा के प्रति संकल्पबद्ध है.
मुख्यमंत्री निवास पर करीब 2 घंटे चली बैठक के बाद कांग्रेस के सभी विधायकों को 4 बसों के द्वारा दिल्ली रोड स्थित एक होटल ले जाया गया. खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायकों के साथ बस में विक्ट्री साइन दिखाते हुए सीएम आवास से होटल के लिए रवाना हुए. वहीं कुछ विधायक अपनी गाड़ियों से होटल के लिए रवाना हुए.
मुख्यमंत्री गहलोत के आवास पर आयोजित बैठक में दावा किया गया कि बैठक में 102 विधायक पहुंचे. एक फोटो भी सामने आई, जिसमें मुख्यमंत्री और विधायक विक्ट्री साइन दिखा रहे थे. लेकिन कांग्रेस के 107 में से 18 विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए. इसी बीच सचिन पायलट के करीबियों ने फिर से दवा किया है कि गहलोत सरकार अल्पमत में है. पायलट के करीबियों ने कहा कि अगर गहलोत के पास बहुमत है तो वो विधानसभा में इसे साबित करें, अपने विधायकों को होटल में क्यों भेज रहे हैं.
बता दे, मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित हुई बैठक में सचिन पायलट के साथ विधायक राकेश पारीक, मुरारी लाल मीणा, जीआर खटाना, इंद्राज गुर्जर, गजेंद्र सिंह शक्तावत, हरीश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा, इंदिरा मीणा, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावड़िया, मुकेश भाकर और सुरेश मोदी शामिल नहीं हुए.