पाॅलिटाक्स ब्यूरो/महाराष्ट्र. कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है. वहीं भाजपा नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि शिवसेना ने सत्ता की हवस में भाजपा को धोखा दिया है. इन सबके के बीच महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आना शुरू हो गया है. कांग्रेस नेताओं की उद्वव सरकार से नाराजगी की खबरों के बीच शिवसेना के मुख पत्र सामना ने कांग्रेस को चरमराने वाली पुरानी खटिया कह दिया है. सामना में छपे एक लेख में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा गया है. लेख में कहा गया है कि कांग्रेस समय-समय पर पुरानी खटिया की तरह चरमराती है.
शिवसेना ने सामना में महाराष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट के बयानों का जिक्र किया है. लेख में लिखा है कि दोनों मंत्री मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं. मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और फैसला लेंगे. लेकिन कांग्रेस कहना क्या चाहती है? राजनीति की पुरानी खटिया कुरकुर की आवाज कर रही है?
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सामना के संपादकीय में कहा गया, ‘राज्य के मामले में मुख्यमंत्री का फैसला ही आखिरी होता है, ऐसा तय होने के बाद कोई और सवाल नहीं रह जाता. शरद पवार ने खुद इसका पालन किया है. समय-समय पर मुख्यमंत्री से मिलते रहते हैं और सुझाव देते हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन में सब कुछ ठीक नही है, इस बात के कयास कई दिनों से लगाए जा रहे हैं. लेकिन अब आपस में बात करने के बजाए गठबंधन के नेता मीडिया के माध्यम से एक दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं.’ शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है, कि अशोक चव्हाण को अगर कोई शिकायत है, तो वो मुख्यमंत्री से बात करें. यह बात प्रशासन और सरकार के संघर्ष की नहीं है. वैसे ही इस समय महाराष्ट्र पर कोरोना और चक्रवात का बहुत बड़ा संकट है. सीएम उद्धव ठाकरे का सभी कैबिनेट मंत्रियों के साथ समन्वय बहुत अच्छा है.
विधान परिषद की खाली सीटों को लेकर नाराज नेता
महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के बीच नए विवाद का कारण विधान परिषद की 12 खाली सीटों को लेकर खड़ा हुआ है. इसी मामले में उद्वव ठाकरे द्वारा कोई निर्णय नहीं लिए जाने के चलते कांग्रेस नेताओं में नाराजगी हैं. विवादसे जुड़े जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सीटों का बंटवारा तीन पार्टियों के बीच बराबर होना चाहिए. यानि की तीनों ही पार्टियों को 4-4 सीटें मिलनी चाहिए. जबकि शिवसेना अपने खाते में पांच, एनसीपी को 4 और कांग्रेस को तीन सीटें देना चाहती है. इसी को लेकर कांग्रेस के नेता नाराज चल रहे है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने इस विवाद पर कहा है कि मुख्यमंत्री के साथ जल्दी ही बैठक करके इस मुददे पर चर्चा की जाएगी. यह मुलाकात एक-दो दिनों में होगी. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के लिए यह मुलाकत काफी अहम मानी जा रही है.
कांग्रेस-राकंपा के समर्थन से चल रही है उद्धव सरकार
महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थितियों की चर्चा की जाए तो बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था. चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली थी. 288 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में जनता ने बीजेपी शिवसेना को स्पष्ट बहुमत दिया था लेकिन शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर अड़ जाने के बाद दोनों पार्टियों के बीच विवाद हो गया और एक अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के बाद शिवसेना ने एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों के समर्थन से सरकार बना ली. महाराष्ट की राजनीति मं पहली बार कोई बाला साहेब ठाकरे परिवार से उद्धव ठाकरे के रूप में मुख्यमंत्री बना.
सरकार बनाने में शरद पवार ने निभाई अहम भूमिका
बीजेपी और शिवसेना के पास स्पष्ट बहुमत होने के बावजूद भी वो सरकार नहीं बना सके. एनसीपी नेता शरद पवार ने बड़ी भूमिका निभाते हुए उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनवाया. शरद पंवार ने शिवसेना की घोर विरोधी पार्टी कांग्रेस का समर्थन भी हासिल कर लिया. अब शिवसेना और कांग्रेस के बीच लगातार किसी न किसी कारण दूरियां बढ़ती जा रही है. दोनों के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं. अब शिवसेना ने एक कदम आगे जाकर कांग्रेस को चरमराने वाली पुरानी खटिया बता दिया है. हालांकि इस पर कांग्रेस नेताओं ने फिलहाल कोई बयान नहीं दिया है लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने वो अपनी नाराजगी रखेंगे.