लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. इसकी भनक लगते ही कांग्रेस के नेताओं ने जयपुर से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग शुरु कर दी है. हालांकि जब तक राहुल गांधी के इस्तीफे पर स्थिति साफ नहीं हो जाती है तब तक राजनीतिक नियुक्तियों का काम ठंडे बस्ते में रहेगा. सूत्रों के अनुसार राहुल इस्तीफा प्रकरण का पटाक्षेप होने पर अगस्त माह में राजनीतिक नियुक्तियांं हो सकती हैं.

दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस के पास जल्द होने वाले निकाय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने और कार्यकर्ताओं-नेताओं में करारी हार से उपजी निराशा को दूर करने के लिए राजनीतिक नियुक्तियों का ही मजबूूत कदम बचा है. सूत्रों की मानें तो राजनीतिक नियुक्तियों में जातिगत और सियासी समीकरण तो साधे ही जाएंगे साथ ही मेहनती कार्यकर्ताओं को भी मौका दिया जा सकता है. करीब एक दर्जन निगम, बोर्ड और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होने की चर्चाएं जोरों पर हैं.

आपको बता दें कि किसान आयोग, हाउसिंग बोर्ड, आरटीडीसी, बीज निगम, एससी आयोग, एसटी आयोग, महिला आयोग, हज हाउस, वक्फ बोर्ड, देवनारायण बोर्ड, खादी आयोग, देवस्थान बोर्ड, खादी बोर्ड, अधिनस्थ सेवा चयन बोर्ड, सिंधी अकादमी, केशकला बोर्ड, हिंदी अकादमी, बाल आयोग, यूथ बोर्ड, क्रीडा परिषद, परशुराम बोर्ड, माटी कला बोर्ड, डांग विकास बोर्ड और डीएनटी बोर्ड समेत विभिन्न यूआईटी में नियुक्तियां होनी हैं. साथ ही मनोनीत पार्षद और बोर्ड-आयोगों में सदस्य बनाने का भी सिलसिला शुरु होगा.

इन राजनीतिक नियुक्तियों के लिए रामेश्वर डूडी, प्रधुम्न सिंह, गिरिजा व्यास, घनश्याम तिवाड़ी, सुमित्रा सिंह, डॉ. चंद्रभान, राजीव अरोड़ा, अश्क अली टाक, राजेंद्र चौधरी, सईद सऊदी, पुखराज पाराशर, शिवचरण माली, धर्मेंद्र राठौड़, रणदीप धनखड़, शिवचरण माली, सत्यनारायण सिंह, रेहाना रियाज, प्रो. नरेश दाधीच, महेश शर्मा, राजेश चौधरी, मुमताज मसीह, सुशील शर्मा, सुनील पारवानी, सुनील शर्मा, अशोक तंवर, सुनील परिहार, राजेंद्र बोहरा, विरेंद्र पूनियां, जाकिर हुसैन, विक्रम वाल्मिकी और संदीप चौधरी के नाम चर्चा में हैं.

इनके अलावा मनीष यादव, रुक्समणी कुमारी, अर्चना शर्मा, खानू खां बुधवाली, अजीत सिंह शेखावत, गिरिराज गर्ग, ताराचंद भगौरा, सुनिता भाटी, दिनेश खोडनिया, पवन गोदारा, अमित पूनिया, चयनिका उनियाल, बीना काक, हरेंद्र मिर्धा, रिछपाल मिर्धा, घनश्याम मेहर, सुरेश चौधरी, सुरेश मिश्रा, पंकज मेहता, ब्रह्मदेव कुमावत, ललित भाटी, श्रीगोपाल बाहेती, पुष्पेंद्र भारद्वाज, रामचंद्र चौधरी, कृष्ण मुरारी गंगवात, डॉ ईश मुंजाल और श्रवण तंवर को भी मौका दिया जा सकता है.

राजनीतिक नियुक्तियों में वरिष्ठता और अनुभव को सबसे ज्यादा तवज्जो दी जा सकती है. सरकार और संगठन आलाकमान से चर्चा करके ही नियुक्तियों को हरी झंडी देगी, लेकिन फिलहाल आलाकमान हार के कारणों में जुट गया है. जब तक राहुल गांधी के इस्तीफा प्रकरण का पटाक्षेप नहीं हो जाता तब तक राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होंगी. राहुल गांधी के इस्तीफे का निपटारा होते ही राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरु हो जाएगा.

Leave a Reply