जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करते हुए उसे लद्दाख से अलग करने के फैसले के करीब दो हफ्ते बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन किया और करीब आधा घंटा बातचीत की. दोनों नेताओं के बीच सीमा पार से चल रहे आतंकवाद, द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों को लेकर बातचीत हुई. मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ क्षेत्रीय नेता भारत विरोधी हिंसा भड़का रहे हैं, जो कि क्षेत्र में शांति स्थापित करने में सबसे बड़ी रुकावट है. पिछले दो हफ्तों से उनकी भारत बयानबाजी बहुत बढ़ गई है, जो ठीक नहीं है.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाने के बाद से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद में एलान किया है कि दिल्ली को सबक सिखाएंगे. उन्होंने कहा, इससे पुलवामा जैसे आतंकी हमले और बढ़ेंगे. उसके बाद क्या होगा? वे हमला करेंगे और हम जवाब देंगे. जंग शुरू होगी और हम अपने खून की आखिरी बूंद गिरने तक लड़ेंगे. यह जंग कौन जीतेगा? इसमें कोई जीतने वाला नहीं है और पूरी दुनिया के लिए इसके नतीजे ठीक नहीं होंगे. यह न्यूक्लियर ब्लैकमेल की बात नहीं है. इमरान खान ने संसद में तो भड़काऊ बयान दिया ही है, वे ट्विटर पर भी आग उगलने से नहीं चूक रहे हैं. रविवार को एक ट्वीट में उन्होंने भारत की सरकार को नाजियों के दर्शन से प्रेरित फासिस्ट और नस्लवादी बताया है. उन्होंने कहा कि भारत की सरकार नस्लवादी विचारधारा अपनाते हुए नरसंहार की तरफ बढ़ रही है.
मोदी ने ट्रंप से कहा कि कुछ क्षेत्रीय नेता लगातार भारत विरोधी राग अलाप रहे हैं और भारत के खिलाफ हिंसा का माहौल तैयार करने के लिए दूसरों को भड़का रहे हैं, जो शांति के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने हिंसा और आतंक से मुक्त वातावरण तैयार करने और सीमा पार से आतंकवाद खत्म करने पर जोर दिया. मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को ऐसे समय फोन किया जब अफगानिस्तान में अमेरिका-तालिबान की शांति वार्ता गंभीर मोड़ पर है. इसी के साथ ही पाकिस्तान ने भी क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति के मद्देनजर पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन साल और बढ़ा दिया है. बाजवा इस साल नवंबर में रिटायर होने वाले थे. उन्होंने 14 अगस्त को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भाषण दिया था कि कश्मीर की वास्तविकता 1947 के कागज के एक टुकड़े से तय नहीं हो सकती और न ही वह भविष्य में कभी बदल सकती है.
एक अखबार में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि मोदी से फोन पर बात करने की पहल ट्रंप की तरफ से की गई थी. बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने कहा, बातचीत अच्छी रही. प्रधानमंत्री कार्यालय ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बातचीत की जानकारी दी है. इसके मुताबिक भारत ने संकल्प दोहराया है कि वह गरीबी, निरक्षरता और बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में किसी के भी साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.
इससे पहले शुक्रवार को न्यूयार्क में कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में बैठक हुई थी. बैठक से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन किया था. दोनों में करीब 12 मिनट तक बातचीत हुई थी. इसके बाद अमेरिकी विदेश नीति से जुड़े मामलों के एक विशेषज्ञ रिचर्ड एस हास ने ट्रंप को सलाह दी थी कि वह पाकिस्तान के प्रति किसी भी तरह के राजनीतिक झुकाव से सतर्क रहें.
सोमवार रात वाशिंगटन में व्हाइट हाउस से जारी बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ क्षेत्रीय विकास और भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक भागीदारी के मुद्दों पर बातचीत की. इसमें राष्ट्रपति ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर जोर दिया. दोनों नेता अमेरिका-भारत के बीच आर्थिक संबंधों को आगे बढ़ाने और व्यापारिक गतिविधियों को विस्तार देने पर सहमत हुए. जल्दी ही फिर से बातचीत की उम्मीद है.
व्हाइट हाउस से जारी बयान में भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत का जिक्र नहीं है, जबकि शुक्रवार को हुई ट्रंप-खान की बातचीत के बाद जारी बयान के मुताबिक ट्रंप ने पाकिस्तान से तनाव कम करने के लिए भारत के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संवाद से ही तनाव दूर हो सकता है. भारत की नीति इस मुद्दे पर साफ है. वह आतंकवाद खत्म होने से पहले पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं करेगा.
इससे पहले मोदी और ट्रंप के बीच जून में ओसाका में बातचीत हुई थी, जब वे जी-20 सम्मेलन में मिले थे. तब दोनों ने सम्मेलन से अलग करीब 35-40 मिनट बातचीत की थी. उसके बाद सोमवार को दोनों के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई. प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के मुताबिक मोदी ने ट्रंप को याद दिलाया कि आज अफगानिस्तान की स्वतंत्रता के सौ साल पूरे हो रहे हैं. भारत चाहता है कि अफगानिस्तान सही मायनो में स्वतंत्र, सुरक्षित, लोकतांत्रिक राष्ट्र बने. प्रधानमंत्री ने इस बात की सराहना की कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ नियमित संपर्क बना हुआ है. दोनों नेता बियारिट्ज, फ्रांस में इस माह फिर मिलेंगे, जहां 25-26 अगस्त को जी-7 देशों का सम्मेलन होने वाला है.