Politalks.News/MadhyaPradesh. केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के किसान आंदोलनरत है. इसी बीच मध्यप्रदेश में किसान सम्मलेन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथ लिया और तीनों कृषि कानूनों की खूबियां गिनवाई. पीएम मोदी ने कहा कि ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए, पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. पीएम मोदी ने कहा, ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं, लेकिन कर्जमाफी कितनी हुई.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने बीते 5-6 वर्षों में जो ये आधुनिक व्यवस्था बनाई है, उसकी आज पूरी दुनिया में चर्चा है. पीएम मोदी ने कहा, किसानों के कंधे पर बंदूक रख वार किए जा रहे हैं, जो लोग किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं, वे लोग जब सरकार में रहे तो किसानों के लिए क्या किया यह देश को याद रखना चाहिए.
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आपको बता दें, कृषि कानूनों को समझाने के लिए बीजेपी द्वारा देश भर के कई शहरों में ‘किसान महासम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है. मध्य प्रदेश के रायसेन में किसान महासम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, ‘एमपी के मेहनती किसानों को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम है. रायसेन में एक साथ इतनी संख्या में किसान आए हैं. आज इस कार्यक्रम में भंडारण-कोल्ड स्टोरेज से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी हुआ है. ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियां-अनाज का अगर सही भंडारण न हो या सही तरीके से न हो तो उसका बहुत बड़ा नुकसान होता है.’
मध्यप्रदेश के किसानों को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं देश के व्यापारी जगत और उद्योग जगत से आग्रह करूंगा कि भंडारण की आधुनिक व्यवस्थाएं बनाने में, कोल्ड स्टोरेज बनाने में, फूड प्रोसेसिंग के नए उपक्रम लगाने में अपना योगदान, अपना निवेश और बढ़ाएं. मोदी ने कहा, ये सच्चे अर्थ में किसान की सेवा करना होगा, देश की सेवा करना होगा. भारत की कृषि, भारत का किसान, अब और पिछड़ेपन में नहीं रह सकता. दुनिया के बड़े-बड़े देशों के किसानों को जो आधुनिक सुविधा उपलब्ध है, वो सुविधा भारत के किसानों को भी मिले, इसमें अब और देर नहीं की जा सकती.
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पीएम मोदी ने कहा तेजी से बदलते हुए वैश्विक परिदृष्य में भारत का किसान, सुविधाओं के अभाव में, आधुनिक तौर तरीकों के अभाव में असहाय होता जाए, ये स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती. पहले ही बहुत देर हो चुकी है. जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वो अब हो रहे हैं.
वहीं तीनों कृषि कानून पर सफाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, बीते कई दिनों से देश में किसानों के लिए जो नए कानून बने, उनकी बहुत चर्चा है. ये कृषि सुधार कानून रातों-रात नहीं आए. पिछले 20-22 साल से हर सरकार ने इस पर व्यापक चर्चा की है. कम-अधिक सभी संगठनों ने इन पर विमर्श किया है. देश के किसान, किसानों के संगठन, कृषि एक्सपर्ट, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे यहां के प्रोग्रेसिव किसान भी लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं. पीएम मोदी ने कहा, सचमुच में तो देश के किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते रहे, किसानों के वोट बटोरते रहे, लेकिन किया कुछ नहीं, सिर्फ इन मांगों को टालते रहे और देश का किसान इंतजार ही करता रहा.
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पीएम मोदी ने कहा अगर आज देश के सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्र देखे जाएं, उनके पुराने बयान सुने जाएं, पहले जो देश की कृषि व्यवस्था संभाल रहे थे उनकी चिट्ठियां देखीं जाएं, तो आज जो कृषि सुधार हुए हैं, वो उनसे अलग नहीं हैं. जबकि किसानों के लिए समर्पित हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है. पीएम मोदी ने कहा हमने फाइलों के ढेर में फेंक दी गई स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं और किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया.
पीएम मोदी ने कहा किसान आंदोलन करते थे, प्रदर्शन करते थे लेकिन इन लोगों के पेट का पानी नहीं हिला. इन लोगों ने ये सुनिश्चित किया कि इनकी सरकार को किसान पर ज्यादा खर्च न करना पड़े. इनके लिए किसान देश की शान नहीं, इन्होंने अपनी राजनीति बढ़ाने के लिए किसान का इस्तेमाल किया है. किसानों की बातें करने वाले लोग कितने निर्दयी हैं इसका बहुत बड़ा सबूत है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट.
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स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा रिपोर्ट आई, लेकिन ये लोग स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को आठ साल तक दबाकर बैठे रहे. हर चुनाव से पहले ये लोग कर्जमाफी की बात करते हैं, और कर्जमाफी कितनी होती है? सारे किसान इससे कवर हो जाते है क्या? जो छोटा किसान बैंक नहीं गया, जिसने कर्ज नहीं लिया, उसके बारे में क्या कभी एक बार भी सोचा है इन लोगों ने.
पीएम मोदी ने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा, कि जितने पैसे ये भेजने की बात करते रहे हैं, उतने पैसे किसानों तक कभी पहुंचते ही नहीं हैं. किसान सोचता था कि अब तो पूरा कर्ज माफ होगा, और बदले में उसे मिलता था बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वॉरंट. कर्जमाफी का सबसे बड़ा लाभ किसे मिलता था? इन लोगों के करीबियों को.
पीएम मोदी ने कहा, हमारी सरकार ने जो पीएम-किसान योजना शुरू की है, उसमें हर साल किसानों को लगभग 75 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. यानि 10 साल में लगभग साढ़े 7 लाख करोड़ रुपए, किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर. कोई लीकेज नहीं, किसी को कोई कमीशन नहीं.
पीएम मोदी ने यूरिया की कालाबाजारी का जिक्र करते हुए कहा, याद करिए, 7-8 साल पहले यूरिया का क्या हाल था? रात-रात भर किसानों को यूरिया के लिए कतारों में खड़े रहना पड़ता था या नहीं? कई स्थानों पर, यूरिया के लिए किसानों पर लाठीचार्ज की खबरें आती थीं या नहीं? यूरिया की जमकर कालाबाजारी होती थी या नहीं आज यूरिया की किल्लत की खबरें नहीं आतीं, यूरिया के लिए किसानों को लाठी नहीं खानी पड़तीं. हमने किसानों की इस तकलीफ को दूर करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम किया. हमने कालाबाजारी रोकी, सख्त कदम उठाए, भ्रष्टाचार पर नकेल कसी. हमने सुनिश्चित किया कि यूरिया किसान के खेत में ही जाए अगर पुरानी सरकारों को चिंता होती तो देश में 100 के करीब बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट दशकों तक नहीं लटकते.
पीएम मोदी ने कहा सोचिए, बांध बनना शुरू हुआ तो पच्चीसों साल तक बन ही रहा है. इसमें भी समय और पैसे, दोनों की जमकर बर्बादी की गई. अब हमारी सरकार हजारों करोड़ रुपए खर्च करके इन सिंचाई परियोजनाओं को मिशन मोड में पूरा करने में जुटी है. हम हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. हमारी सरकार अनाज पैदा करने वाले किसानों के साथ ही मधुमक्खी पालन, पशुपालन और मछली पालन को भी उतना ही बढ़ावा दे रही है. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए हमारी सरकार ब्लू रिवॉल्यूशन स्कीम चला रही है. कुछ समय पहले ही 20 हजार करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना भी शुरू की गई है. इन्हीं प्रयासों का ही नतीजा है कि देश में मछली उत्पादन के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं.
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पीएम मोदी ने किसानों को विश्वास दिलाते हुए कहा, मैं विश्वास से कहता हूं कि हमने हाल में जो कृषि सुधार किए हैं, उसमें अविश्वास का कारण ही नहीं है, झूठ के लिए कोई जगह ही नहीं है, अगर हमें MSP हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते? दूसरा ये कि हमारी सरकार MSP को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार, बुवाई से पहले MSP की घोषणा करती है. इससे किसान को भी आसानी होती है, उन्हें भी पहले पता चल जाता है कि इस फसल पर इतनी MSP मिलने वाली है. 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया है, जब ये कानून लागू किए गए थे. कानून बनने के बाद भी वैसे ही MSP की घोषणा की गई, जैसे पहले की जाती थी. कोरोना महामारी से लड़ाई के दौरान भी ये काम पहले की तरह किया गया.
MSP पर चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा MSP पर खरीद भी उन्हीं मंडियों में हुई, जिन में पहले होती थी. मैं देश के प्रत्येक किसान को ये विश्वास दिलाता हूं कि पहले जैसे MSP दी जाती थी, वैसे ही दी जाती रहेगी, MSP न बंद होगी, न समाप्त होगी. कृषि सुधारों से जुड़ा एक और झूठ फैलाया जा रहा है. APMC यानि हमारी मंडियों को लेकर. हमने कानून में क्या किया है? हमने कानून में किसानों को आजादी दी है, नया विकल्प दिया है. नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी. अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है. फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? सच्चाई तो ये है कि हमारी सरकार APMC को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है. फिर ये APMC बंद किए जाने की बात कहां से आ गई.
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पीएम मोदी ने आगे कहा, नए कृषि सुधारों को लेकर तीसरा बहुत बड़ा झूठ चल रहा है, फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर. देश में फार्मिंग एग्रीमेंट क्या कोई नई चीज है? नहीं, हमारे देश में बरसों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है. अभी किसी ने मुझे एक अखबार की रिपोर्ट भेजी 8 मार्च 2019 की, इसमें पंजाब की कांग्रेस सरकार, किसानों और एक मल्टीनेशनल कंपनी के बीच 800 करोड़ रुपए के फार्मिंग एग्रीमेंट का जश्न मना रही है. पंजाब के किसान की खेती में ज्यादा निवेश हो, ये हमारी सरकार के लिए खुशी की ही बात है. पीएम मोदी ने बताया कि फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों या उपज का समझौता होता है, जमीन किसान के ही पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना-देना ही नहीं है. प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो भी किसान को पूरे पैसे मिलते हैं. नए कानूनों के अनुसार, वहीं अगर अचानक मुनाफा बढ़ जाता है, तो उस बढ़े हुए मुनाफे में भी किसान की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई है.
अंत में पीएम मोदी ने कहा कि मेरी इन बातों के बाद भी, सरकार के इन प्रयासों के बाद भी अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ देश के किसान के हित में उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए हर मुददे पर बात करने के लिए तैयार हैं.