पार्टी को आना होगा गुटबाजी से बाहर तभी हो पाएगा कम बैक, बदलाव से होगा नवीनीकरण- आनंद शर्मा

हमने 2018 में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना, लेकिन उन्होंने दिया इस्तीफा, हमने उनसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा, यह महत्वपूर्ण है कि नेहरू-गांधी परिवार अभिन्न बना रहे लेकिन कांग्रेस को समावेशी और सामूहिक सोच और दृष्टिकोण की है आवश्यकता- आनंद शर्मा

शर्मा की आलकमान को सलाह
शर्मा की आलकमान को सलाह

Politalks.News/AanandSharma. एक समय पर देश की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली कांग्रेस अपने वर्चस्व की लड़ाई को लेकर संघर्षरत है. आगामी दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के दिग्गज नेता ही अपने दल के लिए मुसीबत खड़ा करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश चुनाव संचालन समिति से इस्तीफा देने के बाद आज हिमाचल प्रदेश के शिमला पहुंचे आनंद शर्मा बड़ा बयान देते हुए पार्टी को गुटबाजी से बाहर आने की सलाह दी. यही नहीं आनंद शर्मा ने कहा कि, पार्टी छोड़ने का तो सवाल कहीं उठता ही नहीं, मुझे जो भी ज़िम्मेदारियां दी गई हैं उसमें मैं हमेशा सक्रिय रहा हूं. मैंने कभी भी किसी भी पद की दावेदारी नहीं की. कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही है गुटबाजी अगर दूर हो जाए तो फिर कांग्रेस को विजयपथ की और जाने से कोई रोक नहीं सकता.’ इस दौरान उन्होंने जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात को लेकर भी सफाई दी.

चुनाव संचालन समिति से इस्तीफा देने के बाद बुधवार को कांग्रेस नेता आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पहुंचे. यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस दौरान कई कांग्रेसी दिग्गज नदारद रहे. हालांकि यह माना जा रहा है कि हिमाचल कांग्रेस नेता आज शाम और कल दिन में भी आनंद शर्मा से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं पत्रकारों से बात करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि, प्रदेश में सभी प्रत्याशियों के लिए विधानसभा चुनाव में प्रचार करूंगा. मैंने जो इस्तीफा दिया उसकी बात हमारे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच की है. हमें जो भी और जिस तरह की भी नाराजगी थी वो हमने पार्टी के प्लेटफॉर्म पर रखी दी है.’ वहीं पत्रकारों से बात करते हुए आनंद शर्मा ने पार्टी छोड़ने की सभी अटकलों पर विराम लगा दिया.

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दरअसल आनंद शर्मा ने हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की थी. जिसके बाद से अटकलों ने जोर पकड़ लिया था कि आनंद शर्मा जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे. लेकिन शिमला में पत्रकारों से बात करते हुए आनंद शर्मा ने इन सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि, मैंने अपने जीवन के 51 साल कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित किए हैं. अब जीवन के सांयकाल में आकर कांग्रेस को छोड़ने का सोच मैं कभी सोच भी नहीं सकता. वह कभी भी अपने विरोधियों के पक्ष में नहीं बोलेंगे. हिमाचल में यदि कहीं कोई इशू है तो कांग्रेस को एकजुट करेंगे और भाजपा को पटकनी देंगे.’ वहीं नड्डा से मुलाकात को लेकर आनंद शर्मा ने कहा कि,मेरे और जेपी नड्डा के शुरू से ही अच्छे संबंध रहे हैं. हम दोनों एक ही विश्वविद्यालय में पढ़े हैं. ऐसे में हमारी मुलाकात पर तरह तरह से सवाल उठाना सही नहीं है. देश के लिए आज यह अच्छा होगा कि राजनीतिक कटुता न आए.’

आनंद शर्मा ने आगे कांग्रेस को एकजुट करने की बात कहते हुए कहा कि, यदि हम कुछ आंतरिक परिवर्तन लाते हैं, तो कांग्रेस का नवीनीकरण और पुनरुद्धार होगा. ए ग्रुप या बी ग्रुप होने से कांग्रेस पुनर्जीवित नहीं हो सकती, कांग्रेस को सामूहिक रूप से पुनर्जीवित करना होगा. हमने 2018 में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दिया, हमने उनसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा. यह महत्वपूर्ण है कि नेहरू-गांधी परिवार अभिन्न बना रहे लेकिन कांग्रेस को समावेशी और सामूहिक सोच और दृष्टिकोण की आवश्यकता है. जहां भी जरूरत होगी मैं कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार करूंगा. कांग्रेस को गुटबाजी से बाहर निकलकर एकजुट रहने की जरूरत है. हम सब कांग्रेसी हैं. महत्वपूर्ण यह है कि कांग्रेस पार्टी मजबूत बनी रहे.’

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पत्रकारों से बात करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि , कांग्रेस पार्टी देश में कम-बेक करेगी. इसके लिए अनुभव और युवा पीढ़ी के जोश का साथ चलना जरूरी है. कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही है गुटबाजी अगर दूर हो जाए तो फिर कांग्रेस को विजयपथ की और जाने से कोई रोक नहीं सकता. एक संतुलित मिश्रण हमेशा विजय की ओर ले जाता है. कांग्रेस को हिमाचल और पूरे देश में पुनर्जीवित करने के लिए सामूहिक सोच और सामूहिक निर्णय की जरूरत है.’ हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि, जिस पर संगठन की सहमति हो उन्हीं की दावेदारी को आशीर्वाद मिलना चाहिए. कांग्रेस की विचारधारा की जीवित करने के लिए लोगों के बीच जाना होगा. विधानसभा चुनाव में टिकट केवल स्वच्छ छवि और जनता में पकड़ रखने वाले नेताओं को ही मिलना चाहिए. टिकट आवंटन का आधार किसी नेता से अच्छे संबंध नहीं होना चाहिए.’

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