Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार द्वारा हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के दो विधायकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति वापस लेने के मामले में सियासत शुरू भी नहीं हुई थी कि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार द्वारा नागौर के ताऊसर में बंजारा बस्ती प्रकरण में आरोपी बनाए गए आरएलपी के दो विधायकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति वापस लेने के आदेश को निरस्त कर दिया. यही नहीं हाईकोर्ट ने नागौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. ऐसे में अब माना जा रहा है कि इस मामले में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायक पुखराज गर्ग व इंद्रा बावरी की गिरफ्तारी भी हो सकती है.
दरअसल, लगभग दो साल पहले 25 अगस्त 2019 को हाइकोर्ट के आदेश पर पुलिस प्रशासन ताऊसर स्थित बंजारों की ढाणी पर अतिक्रमण हटाने पहुंचा था. इस दौरान बंजारा समाज के लोग भी पुलिस प्रशासन का सहयोग कर रहे थे. इसी बीच करीब 8.30 बजे भोपालगढ़ से आरएलपी विधायक पुखराज गर्ग तथा मेड़ता सिटी विधायक इंद्रा बावरी, रामकुमार बावरी, जेठाराम व सोनाराम के साथ दो वाहनों से मौके पर पहुंचे. उन्होंने एसडीएम दीपांशु सांगवान से कार्रवाई रोकने के लिए कहा. साथ ही, कार्रवाई नहीं रुकने पर अंजाम भुगतने की बात कही.
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इस पर एसडीएम ने रिट पिटिशन का हवाला देकर कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया. इसके बाद जोरदार हो-होल्ला के साथ ही पथराव शुरू हो गया. अतिक्रमण हटाने में लगे वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और इसमें कई कार्मिकों को चोटें आईं. इस बीच, प्रशासनिक दल ने कई बार विधायक एवं समाज के लोगों को समझाया भी. कुछ लोग सी ब्लॉक की तरफ भी चले गए और वहां भी उन्होंने पथराव करवा दिया. तभी देवाराम ने पिकअप लापरवाही एवं अनियंत्रित पूर्वक चलाकर जेसीबी चालक फारुख को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई.
तब से अदालत में चल रहे बंजारा बस्ती के इस प्रकरण में राज्य सरकार ने इसी वर्ष 20 फरवरी को एक आदेश निकाल आरएलपी के दोनों विधायक पुखराज गर्ग और इंद्रा बावरी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को वापस ले लिया था, जिसका किसी को पता भी नहीं चला था, लेकिन इसी मामले में एक आरोपी देवाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया. इस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के विशिष्ट शासन सचिव (गृह) व एएजी फरजंद अली से शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा था. हाईकोर्ट ने इन दोनों से पूछा था कि किन परिस्थितियों में राज्य सरकार ने दोनों विधायकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति को विड्रॉ किया है.
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इसके बाद घटनाक्रम तेजी से घूमा और राज्य सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए एएजी फरजंद अली के स्थान पर किसी अन्य अतिरिक्त महाधिवक्ता को जिम्मेदारी सौंप दी. इससे खफा होकर फरजंद अली ने अतिरिक्त महाधिवक्ता का पद त्याग दिया और शुक्रवार को कोर्ट में उपस्थित रहने में असमर्थता जता दी. इसे लेकर न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने भी नाराजगी जताई. विशिष्ट शासन सचिव (गृह) वी सर्वना कुमार के आग्रह पर फरजंद अली उनके साथ कोर्ट में पेश हुए और पक्ष रखा.
फरजंद अली ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को बताया कि घटना वाले दिन बंजारा बस्ती से लोग एकत्र हो गए. इस बीच, एक बोलेरो से टकरा जाने के कारण एक व्यक्ति की मौत भी हो गई. जनप्रतिनिधि होने के नाते दोनों विधायक पुखराज गर्ग व इंद्रा बावरी भी मौके पर मौजूद थे. इस कारण राज्य सरकार ने इन दोनों के खिलाफ अभियोजन पर रोक लगाई थी. न्यायाधीश भाटी ने दोनों पक्ष को सुनने के पश्चात राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी. ऐसे में अब यह तय हो गया कि दोनों विधायकों के खिलाफ अन्य आरोपियों के साथ ही मुकदमा चलेगा और जरूरत पड़ी तो दोनों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.