पडौसी देशों से तनाव के बीच 53 इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने खोला भारत के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा

पाकिस्तान, चीन और नेपाल से तनाव के बीच 53 इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने दिया भारत विरोधी बयान, भारत के खिलाफ लामबद्व हो रहे हैं इस्लामिक देश, कश्मीरी लोगों के आत्म निर्णय के अधिकार का किया समर्थन, मानव अधिकार हनन को लेकर जारी भारत विरोधी रिपोर्ट पर भी लगाई मुहर

ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन यानी ओआईसी
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन यानी ओआईसी

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो/देश-दुनिया. भारत की ओर से पिछले कुछ सालों में किए गए कूटनीतिक प्रयासों से यूरोप सहित अन्य क्षेत्रों के देशों से जहां एक और रिश्ते मजबूत और फायदेमंद साबित हुए हैं. वहीं पडौसी देशों से लगातार रिश्तों की मिठास खत्म हो रही है. पाकिस्तान से तो भारत का झगड़ा आजादी के समय से ही चल रहा है. वहीं हाल के दिनों में पहले चीन और फिर नेपाल से लगातार बिगड़ते जा रहे रिश्तों से कहीं न कहीं भारत की कूटनीतिक प्रबंधन पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. इस बीच दुनिया के 53 इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने भी आपात बैठक करके कश्मीर सहित अन्य मामलों पर भारत विरोधी प्रस्ताव पारित करके मोदी सरकार के सामने नई स्थितियां खड़ी कर दी है. इन प्रस्तावों को लेकर पाकिस्तान की ओर से मुस्लिम देशों में मुहिम चलाई हुई थी, लेकिन भारत के प्रभाव के चलते पाकिस्तान को समर्थन नहीं मिल पा रहा था. भारत चीन विवाद के बीच अब पिछले कुछ दिनों में यह स्थितियां पूरी तरह बदल गई.

भारत के लिए चिंता का सबब

मुस्लिम देशों के सबसे बड़े मंच ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन यानी ओआईसी ने कश्मीर को लेकर आपातकालीन बैठक की. जम्मू-कश्मीर को लेकर 1994 में बनाए गए ओआईसी के कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत को लेकर कई ऐसे प्रस्ताव पारित किए गए, जो भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती के साथ चिंता का भी कारण बन सकते हैं.

कश्मीरी लोगों के आत्म निर्णय का समर्थन

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में ओआईसी के सदस्य देशों ने भारत के खिलाफ कड़ा रूख अख्तियार करते हुए कहा कि वे कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं. इसके अलावा इस बैठक में भारत के 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने की भी आलोचना की गई. इतना ही नहीं ओआईसी ने भारत पर मानवाधिकार के उल्लंघन को लेकर जारी रिपोर्ट का समर्थन किया.

पहले तटस्थ, अब भारत का विरोध

भारत ने जब से जम्मू कश्मीर में अनु्च्छेद 370 को हटाया है, तब से पाकिस्तान की यही मांग थी कि ओआईसी भारत के खिलाफ कड़ा रूख अपनाए. हालांकि उस समय ओआईसी ने तटस्थ रूख अपनाते हुए कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया था. लेकिन, अब पाकिस्तान की चाल में फंसते हुए इस संगठन ने कश्मीर को लेकर बयान जारी किया है.

भारत जता चुका है अपना ऐतराज

ओआईसी के कई देशों ने जून 2019 में भी कश्मीर में मानव अधिकार हनन को मुददा बनाते हुए कड़ा रूख अपनाया था, जिस पर भारत ने ऐतराज जताते हुए इसे भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला बताया था. उस समय सउदी अरब सहित यूएई ने इस मसले पर कुछ नहीं कहा था. जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत बताया गया था. इसके साथ ही इससे पहले ओआईसी में भारत को उस समय बड़ी जीत मिली थी, जब मार्च 2019 में यूएई की राजधानी अबू धाबी में हुई बैठक में तत्कालिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहुंची थीं. सुषमा स्वराज को बुलाए जाने से पाकिस्तान खफा हो गया था और पाकिस्तान ने अपने विदेश मंत्री महमूद कुरैशी इस बैठक में शामिल नहीं होने दिया था. इस बैठक में सुषमा स्वराज ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा था.

सउदी अरब की खामोशी भारत के लिए राहत की खबर

विषेशज्ञों के अनुसार मुस्लिम देशों के इस संगठन में पाकिस्तान सबसे बड़े देश के रूप में सदस्य है। वह एक मात्र ऐसा इस्लामिक देश है, जो परमाणु संपन्न है। पाकिस्तान ने कश्मीर मसले को लेकर इस्लामिक देशों पर दबाव बनाया हुआ था. उसी के दबाव के चलते ओआईसी ने कश्मीर मामले में आपात बैठक बुलाई. लेकिन इस संगठन पर सबसे बड़ा दबदबा सउदी अरब का है. भारत के विरोध में पास हुए प्रस्ताव को लेकर सउदी अरब की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है. इसे भारत के लिए अच्छी खबर के तौर पर देखा जा रहा है. यदि सउदी अरब इस प्रस्ताव का समर्थन करता है तो यह भारत के लिए बड़ी चिंता का कारण हो सकता है.

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कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से मुहिम

भारत सरकार की ओर से कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत विरोधी बड़ी मुहिम चलाई. हालांकि इस मुहिम को अमेरिका, रूस सहित अन्य यूरोपियन देशों से कोई समर्थन नहीं मिला. इसके बाद पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इस्लामिक देशों को भारत के विरोध में लामबद्व करने का कूटनीतिक प्रयास शुरू किया. भारत के प्रभाव के चलते उसे शुरूआती समय में सफलता नहीं मिली थी लेकिन अब जब भारत का चीन के साथ तनाव बना हुआ है, ऐसे समय में ओआईसी की ओर से भारत के विरोध में आपात बैठक बुलाकर प्रस्ताव पारित किए गए.

भारत की है मजबूत स्थिति

कश्मीर से धारा 370 हटाने सहित सीएए कानून को लेकर दुनिया भर में भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है. दुनिया के सभी प्रभावशाली देशों ने इसे भारत का अंदरूनी मसला करार दिया है. माना जा रहा है कि ओआईसी के द्वारा कश्मीर मसले पर दिए गए भारत विरोधी बयान का भारत की स्थितियों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. इस मामले को लेकर भारत के राजनीयिकों ने दुनिया के देशों को न सिर्फ संतुष्ट किया है बल्कि भारत के पक्ष का सफलता से समर्थन भी कराया है.

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