NSUI के पक्ष में राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव का माहौल चरम पर है. पिछले हफ्ते तक लग रहा था कि एबीवीपी और एनएसयूआई में सीधा मुकाबला होगा, लेकिन अब अधिकांश कालेजों में तिकोना मुकाबला देखने में आ रहा है. उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ के कालेजों में भील पार्टी विद्यार्थी मोर्चा ने खम ठोक रखा है, जबकि जयपुर सहित कुछ शहरों में बागी बागी प्रत्याशी दोनों प्रमुख छात्र संगठनों को चुनौती दे रहे हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई से बगावत करते हुए पूजा वर्मा ने निर्दलीय के रूप में अध्यक्ष पद के लिए पर्चा भर दिया है, और वह मजबूत दावेदार बनकर उभर रही है.

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री भंवरसिंह भाटी ने सोशल मीडिया पर छात्रों से एनएसयूआई के उम्मीदवारों को जिताने की अपील कर नया विवाद छेड़ दिया है. ट्विटर हैंडल से किए गए इस ट्वीट को मुद्दा बनाते हुए भाजपा नेताओं ने सोशल मीडिया पर जंग छेड़ दी है.

पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने ट्वीट किया है कि भाटी ने मंत्री पद की गरिमा के खिलाफ काम किया है, इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने लिखा- उच्च शिक्षा मंत्री की ओर से छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस समर्थित संगठन के पक्ष में मतदान की अपील करना एक मंत्री के रूप में ली गई संविधान की शपथ और राज्यमंत्री के रूप में उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. जो निंदनीय है. देवनानी ने कहा कि अब मंत्री भी कांग्रेस के एजेंट के रूप में छात्र संघ चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं.


हालांकि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भी एनएसयूआई को जिताने की अपील की है, लेकिन वह निशाने पर नहीं हैं.

एनएसयूआई के पक्ष में ट्वीट पर विवाद शुरू होने के बाद भंवरसिंह भाटी ने कहा कि मेरा ट्विटर हैंडल मेरे निजी लोग देख रहे हैं. उनमें से किसी ने एनएसयूआई के पक्ष में पोस्ट की है. मैंने इसे हटाने के लिए कह दिया है. वैसे मैंने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि आदर्श चुनाव आचार संहिता का पालन कराया जाए.

राजस्थान विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद के पांच उम्मीदवार हैं. एबीवीपी के अमित बड़बड़वाल और एनएसयूआई के उत्तम चौधरी को पूजा वर्मा ने तगड़ी चुनौती दे दी है. बागी मुकेश चौधरी को भी अच्छा खासा समर्थन है. महासचिव पद पर चार उम्मीदवार मजबूत दिख रहे हैं. एबीवीपी के बागी नितिन शर्मा एनएसयूआई के महावीर गुर्जर और एबीवीपी के अरुण शर्मा को कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. महसचिव पद पर सात उम्मीदवार मैदान में हैं.

राजस्थान विवि छात्रसंघ के उपाध्यक्ष पद पर तीन उम्मीदवार हैं. इनमें एबीवीपी के दीपक कुमार, एनएसयूआई की प्रियंका मीणा और एसएफआई की कोमल मैदान में हैं. इसमें प्रियंका और कोमल में कड़ी टक्कर दिख रही है. संयुक्त सचिव पद पर एनएसयूआई की लक्ष्मी प्रताप खांगारोत और एबीवीपी की किरण मीणा में सीधा मुकाबला दिख रहा है, लेकिन अशोक चौधरी भी अच्छा जोर लगा रहे हैं. संयुक्त सचिव पद पर ये तीन उम्मीदवार ही मैदान में हैं.

एनएसयूआई ने अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी कर दिया है. इसमें विश्वविद्यालय की वही समस्याएं हल करवाने का वादा है, जिनके आधार पर वह पहले भी चुनाव लड़ता आया है. इस बार एनएसयूआई की नई प्रमुख मांग यह है कि छात्रसंघ अध्यक्ष को भी विवि सिंडीकेट का सदस्य बनाया जाए. एबीवीपी की भी यह प्रमुख मांग है. इसके साथ ही उसने भी अपने घोषणा पत्र में कई वादों और मांगों की झड़ी लगा रखी है. जमीनी स्तर पर उसका जोरदार प्रचार चल रहा है. एनएसयूआई ने घोषणा की है कि उसके जो छात्रनेता बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें 28 अगस्त को छह साल के लिए संगठन से निष्कासित कर दिया जाएगा.

राजस्थान विश्वविद्यालय में चुनाव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. कुलपति प्रोफेसर आरके कोठारी ने विद्यार्थियों से बगैर किसी दबाव या प्रलोभन में आए बड़ी संख्या में अपने विवेक से मतदान करने की अपील की है. मंगलवार 27 अगस्त को सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक संबंधित कालेजों, विभागों और केन्द्रों पर मतदान होगा. मतदाता को 2019-20 का परिचय पत्र साथ लाना अनिवार्य है. प्रवेश पत्र अवैध पाए जाने पर पुलिस कार्रवाई की जाएगी.

विवि परिसर में विद्यार्थियों के वाहनों पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी. विवि के गेट से मतदान केंद्र तक वाहन सुविधा विवि प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी. मतदान के दिन अध्ययन एवं शोध कार्य आदि स्थगित रहेंगे. केंद्रीय पुस्तकालय और अन्य पुस्तकालय बंद रहेंगे. मतदान केंद्र और मतगणना स्थल पर मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग पर पाबंदी रहेगी. 27 और 28 अगस्त को विश्वविद्यालय के वे कार्यालय ही खुलेंगे, जहां चुनाव प्रक्रिया से संबंधित कार्य होंगे. बाकी कार्यालय बंद रहेंगे.

छात्रसंघ चुनाव में इस बार सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार हो रहा है. ज्यादातर प्रत्याशी हाईटेक दिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए छात्र नेताओं ने वार रूम बना लिए हैं. विशेष टीम बनाई गई है. एबीवीपी के सभी उम्मीदवारों ने व्हाट्सएप को चुनाव प्रचार का हथियार बनाया हुआ है. कई उम्मीदवार ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं. लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर रोक नहीं लगी है, जिससे उम्मीदवारों को काफी सुविधा है. रविवार को छात्रसंघ चुनाव का प्रचार थम जाने के बाद उम्मीदवारों को सोशल मीडिया का ही सहारा है.

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