अब न्यौते में होगा माननीयों का भी नाम, अबरार के एतराज के बाद बदला फॉर्मेट तो शुरू हुई ये चर्चाएं

सलाहकार दानिश अबरार की मांग मानी गहलोत सरकार ने, रीको ने बदला इन्वेस्टमेंट समिट का निमंत्रण पत्र का फॉर्मेट, अब स्थानीय विधायक और जिला प्रमुख का भी होगा नाम, सवाईमाधोपुर की समिट के न्योते में नहीं था 'माननीय' का नाम, इस पर अबरार ने सीएम को लिखा था पत्र, पूरे मामले में भाजपाई दिग्गज राठौड़ ने कसा था तंज

अब न्यौते में होगा माननीयों का भी नाम
अब न्यौते में होगा माननीयों का भी नाम

Politalks.News/Rajasthan. सीएम सलाहकार दानिश अबरार (Danish Abrar) की धमकी के बाद उद्योग विभाग अब बैकफुट पर है. सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के सलाहकार दानिश अबरार के इन्वेस्टमेंट समिट का काले झंडे दिखाकर विरोध (Protest) करने की धमकी के मात्र 24 घंटे बाद उद्योग विभाग ने यू टर्न ले लिया है. अब कार्यक्रम के आमंत्रण पत्रों का फॉर्मेट बदल दिया गया है. अब आमंत्रण पत्रों पर स्थानीय विधायक व जिला प्रमुखों के नाम हैं, पहले इन्वेस्टमेंट समिट के लिए उद्योग विभाग की तरफ से जो आमंत्रण पत्र छापे गए उनमें स्थानीय विधायकों का नाम नहीं था. इस पूरे प्रकरण को लेकर भाजपाई दिग्गज राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार और सीएम सलाहकार की नियुक्तियों को लेकर जमकर तंज कसे थे. अब जब उद्योग विभाग ने न्योते का फॉर्मेट बदल दिया है तो दानिश अबरार ने ट्वीट कर खुशी जताई है और सीएम गहलोत और मंत्री शकुंतला रावत का आभार जताया है. हालांकि सरकार के बैकफुट पर आने को लेकर सियासी गलियारों में जोरदार चर्चाओं का दौर जारी हो गया है.

अबरार ने सीएम गहलोत को पत्र लिख जताया था एतराज
आपको बता दें कि सवाईमाधोपुर विधायक और सीएम गहलोत के सलाहकार दानिश अबरार ने सीएम गहलोत को एक पत्र लिखा था. जिसमें इस बात की जिक्र था कि सवाईमाधोपुर में हो रही उद्योग विभाग की समिट के निमंत्रण पत्र में ना तो सीएम गहलोत का नाम है और ना ही स्थानीय विधायक का. निमंत्रण पत्र में प्रभारी सचिवों का नाम था. सीएम के सलाहकार नियुक्त किए गए विधायक का नाम अपने जिले की इन्वेस्ट समिट के आमंत्रण पत्र में नहीं थे. जयपुर में होने जा रही समिट के निमंत्रण पत्र में प्रभारी मंत्री के साथ प्रभारी सचिव की जगह उद्योग मंत्री शकुंतला रावत का नाम था. इसको लेकर कांग्रेस विधायक वेद सोलंकी ने भी सवाल उठाए थे.

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अबरार ने दी थी बहिष्कार की चेतावनी
सवाईमाधोपुर में रीको के आयोजन के निमंत्रण पत्र में सीएम गहलोत और उद्योग मंत्री शकुंतला रावत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का नाम नहीं होने पर सीएम सलाहकार दानिश अबरार ने जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का आरोप लगाया था. सीएम सलाहकार दानिश अबरार ने सीएम गहलोत को पत्र लिख कहा था कि, ‘वो कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे और काले झंडे दिखाएंगे’.

मंत्री की सफाई- नेता भी अपने भाई हैं, अफसर भी
सीएम सलाहकार अबरार के एतराज के बाद उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा है कि, ‘मुझे पॉलिटिक्स नजर नहीं आ रही. नेता अपने भाई हैं, अफसर भी अपने हैं’. अब उद्योग विभाग ने आमंत्रण पत्रों का फॉर्मेट बदल दिया है. अब होने वाली समिट में स्थानीय विधायक और जिला प्रमुखों के नाम भी होंगे.

अबरार ने जताई खुशी, लिखा- गलत हो तो आवाज उठानी चाहिए
अब जब समिट के आमंत्रण पत्र का फॉर्मेट बदले जाने पर सीएम सलाहकार दानिश अबरार ने खुशी जताते हुए ट्वीट किया है कि, ‘ग़लत हो तो आवाज़ उठानी चाहिए और अधिकारियों की बातों में नही आना चाहिए, सवाईमाधोपुर में ग़लत हुआ तो अधिकारियों ने अजमेर का उदाहरण दिया, परंतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मंत्री शकुंतला रावत जी का आभार की अधिकारियों की बातों में न आ कर सही को सही माना और निर्णय लिया’

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राठौड़ का तंज- सलाहकारों को बर्खास्त करो
सीएम के सलाहकार दनिश अबरार द्वारा रीको के कार्यक्रम के बहिष्कार की चेतावनी ने भाजपा को बैठे-बैठाए सरकार के खिलाफ एक मुद्दा दे दिया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. इस पत्र में राठौड़ ने दानिश अबरार को सीएम सलाहकार के पद से बर्खास्त करने की मांग करने की मांग की. गहलोत सरकार पर तंज कसते हुए राठौड़ ने लिखा है कि, ‘सलाहकार महोदय अपनी उपेक्षा के चलते अपनी ही सरकार के कार्यक्रम में काले झंडे दिखाने की चेतावनी मुख्यमंत्री को दे रहे हैं. यह तो महज शुरुआत है, इनके बाद अन्य असंतुष्ट सलाहकारों में विरोध के संक्रमण का रोग ना फैले, इससे पूर्व आपको मेरे दूवारा पूर्व में सलाहकारों के संबंध में उठाई गई सभी तथ्यात्मक बातों पर एक बार पुनः गंभीरता से विचार करना चाहिए’

सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर
सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि प्रदेश की राजनीति में नई परिपाटी जो इस बार गहलोत सरकार ने डाली है वो अब एक कदम आगे बढ़ गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार विधायकों को बहुत ‘पावरफुल‘ कर दिया है. भाजपा भी इसको लेकर गहलोत सरकार को घेरती रही है. भाजपा के दिग्गज यह आरोप लगाते रहे हैं कि गहलोत सरकार के शासन में इस बार हर विधायक अपने आप को सीएम से कम नहीं समझ रहा है.

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